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मां भगवती का एक अनोखा मंदिर, जहां दूर-दूर से दर्शन करने आते हैं लोग

आज यानी 22 मार्च से देवी आराधना का महापर्व नवरात्रि आरंभ हो चुका है इस पर्व को देशभर में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। चैत्र महीने में पड़ने के कारण इसे चैत्र नवरात्रि भी कहा जाता है।

यह पर्व पूरे नौ दिनों तक चलता है जिसमें माता रानी के भक्त उनकी भक्ति में लीन रहते है इस दौरान मां भगवती के कई प्रसिद्ध मंदिरों में भक्तों की भीड़ देखने को मिलती है।

वैसे तो भारत में मां दुर्गा के कई शक्ति पीठ और मंदिर है लेकिन आज हम आपको एक ऐसे चमत्कारी मंदिर के बारे में बता रहे है नवरात्रि के शुभ दिन पर भक्तों का भारी ताता लगा होता है। मान्यता है कि यहां दर्शन पूजन से भक्तों की हर मनोकामना देवी मां पूर्ण करती है देवी आराधना का यह पवित्र स्थल गोरखपुर के देवरिया मार्ग के किनारे स्थित है जिसे तरकुलहा नाम से जाना जाता हैं, तो आइए जानते हैं इस पवित्र स्थल के बारे में।

आपको बता दें कि देवी भगवती का यहां गोरखपुर से करीब 22 किलोमीट दूर देवरिया मार्ग पर स्थित है जिसे तरकुलहा देवी मंदिर कहा जाता है। इस मंदिर को भक्तों की आस्था और भक्ति का प्रमुख केंद्र माना जाता है। यह मंदिर ताड़ के पेड़ों के बीच स्थित है। जिसके कारण इसका नाम तरकुलहा देवी मंदिर पड़ा।

मान्यताओं के अनुसार चैरी चैरा तहसील में स्थित यह मंदिर डुमरी रियासत में पड़ता था। इसी रियासत के बाबू बंधू सिंह स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। वह ताड़ के घने जंगलों में पिंडी बनाकर देवी मां की पूजा करते थे। इसी बीच अंग्रेजों ने उन्हें धोखे से गिरफ्रतार कर लिया और फंासी देने लगे। लगातार सात बार फंासी पर उन्हें चढ़ाया गया लेकिन हर बार फांसी का फंदा टूट जाता था। इसके बाद बाबू बंधू सिंह ने तरकुलहा देवी से आग्रह करते हुए। माता के चरणों में जगह मांगी और फिर फांसी का फंदा खुद गले में डालकर शहीद हो गए। ऐसा कहा जाता है कि उनके शहीद होते ही ताड़ का पेड़ टूट गया और उसमें से रक्त बहने लगा। जिसे देखने के बाद लोगों ने वहां पर मां तरकुलहा का एक मंदिर बनवया है। मान्यता है कि यहां नवरात्रि के शुभ दिनों में आकर पूजन और दर्शन करने से भक्तों के हर दुख का अंत होता है और मनोकामना भी पूर्ण हो जाती है।

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