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भारत में मर्दों को उंगलियों पर नाचने वालीं बीवियां पसंद…अमेरिकी रिसर्च सेंटर का सर्वे

प्यू रिसर्च सेंटर ने भारत में लैंगिक समस्याओं पर साल 2019-20 के बीच एक सर्वेक्षण किया, जिसमें 29,999 भारतीयों को शामिल किया गया था। इस सर्वे की रिपोर्ट 2 मार्च को जारी की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय पुरुष महिलाओं को राजनेता के रूप में स्वीकार करते हैं, लेकिन ज्यादातर लोग इस पक्ष में दिखे कि पारंपरिक जिम्मेदारियां महिलाएं निभाएं। आगे कहा गया है, 10 में से 9 भारतीयों का मानना है कि महिलाओं को हमेशा अपने पति की बात माननी चाहिए।रिपोर्ट में कहा गया है कि घरेलू काम के पारंपरिक विभाजन के बारे में महिलाओं और पुरुषों में मतभेद नजर आए।

बच्चों को संभालने को लेकर ज्यादातर की राय है कि दोनों को वक्त देना चाहिए। वहीं 34% महिला उत्तरदाताओं का कहना है कि बच्चों की प्राथमिक देखभाल पुरुषों को करनी चाहिए..भारत में 94% लोगों का मानना है कि परिवार में एक बेटा होना जरूरी है, जबकि 90% बोले कि एक बेटा और एक बेटी होनी चाहिए। 64% भारतीय मानते हैं कि माता-पिता की संपत्ति पर बेटा और बेटी को समान अधिकार मिलना चाहिए। 10 में से 4 वयस्कों ने कहा कि बुजुर्ग मां-बाप की देखभाल करना बेटों जिम्मेदारी है, जबकि सिर्फ 2% ने ​बेटियों के बारे में ऐसा ही कहा।

वहीं 16% महिलाओं ने कहा कि उन्होंने व्यक्तिगत रूप से लिंग के आधार पर भेदभाव महसूस किया है।रिपोर्ट के मुताबिक, ज्यादातर भारतीयों का कहना है कि मात-पिता की अंत्येष्टि की जिम्मेदारी प्राथमिक रूप से बेटों की होनी चाहिए। मुस्लिम में 74% जैन 67% और हिंदू में 63% लोगों का कहना है कि माता-पिता के अंतिम संस्कार की प्राथमिक जिम्मेदारी बेटों की होनी चाहिए। वहीं, 29% सिखों, 44% ईसाइयों और 46% बौद्ध धर्मावलंबी अपने बेटों से यह उम्मीद करते हैं।

इसके साथ ही उनका यह भी कहना है कि माता-पिता की अंत्येष्टि की जिम्मेदारी बेटे और बेटी, दोनों की होनी चाहिए। अगर बेटा नहीं उठाता है तो बेटी को यह जिम्मेदारी उठानी चाहिए।प्यू रिसर्च सेंटर ने यह सर्वे हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार और झारखंड राज्य शामिल हैं। दक्षिणी राज्यों में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु के लोगों पर किया।

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