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भोपाल के दो कलाकारों ने किया नई संसद के सेंगोल का वीडियो डिजाइन

 भोपाल। देश की नई संसद का उद्घाटन रविवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी करेंगे।इससे पहले नई संसद का वीडियो इंटरनेट मीडिया में तहलका मचा रहा है। लोगों द्वारा इसे खूब पंसद भी किया जा रहा है। इस वीडियो में संसद के गेट से लेकर लोकसभा और राज्यसभा में बैठने से लेकर इसकी नक्काशी तक का वीडियो है। वहीं नई संसद भवन में एक सेन्गोल (सोने की छड़) को स्थापित किया जाएगा, जिसका वीडियो शहर के दो युवा कलाकारों ने मिलकर डिजाइन किया है। सेन्गोल को आजादी का प्रतीक माना गया है।

सात भाषाओं में है सेन्गोल वीडियो

नई संसद भवन के तहत सेन्गोल के वीडियो बनाए गए हैं। जिसमें आठ वीडियो हैं। इसमें एक वीडियो को शहर के कलाकार मनोहर राव और शितांशु दुबे ने तैयार किया है। इसे तैयार करने में महीनों का समय लगा है। इसमें वीडियो व बैकग्राउंड म्यूजिक शहर के मनोहर राव ने तैयार किया है।जबकि इसका निर्देशन शितांशु दुबे ने किया है। इसमें सेन्गोल के बारे में जानकारी है। सेन्गोल, तमिल शब्द “सेम्मई” से लिया गया है, इसका अर्थ है “नीतिपरायणता”। इसका निर्माण स्वर्ण या चांदी से किया जाता था और इसे कीमती पत्थरों से सजाया जाता था।सेन्गोल के वीडियो को सात भाषाओं में तैयार किया गया है।

राजसत्ता का प्रतीक है सेन्गोल

सेन्गोल राजसत्ता का प्रतीक था। औपचारिक समारोहों के अवसर पर सम्राटों द्वारा ले जाया जाता था, जो कि उनकी राजसत्ता का प्रतिनिधित्व करता था।यह दक्षिण भारत में सबसे लंबे समय तक शासन करने वाले और सबसे प्रभावशाली राजवंशों में से एक चोल राजवंश से जुड़ा है। चोलों ने 9वीं से 13वीं शताब्दी तक तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा तथा श्रीलंका के कुछ हिस्सों पर शासन किया।

आजाद के हिस्से के रूप में सेन्गोल का वीडियो

इस वीडियो के तहत सेन्गोल में भारत की प्राचीन सभ्यता और संस्कृति के साथ-साथ विविधता में एकता को भी दर्शाया गया है।14 अगस्त, 1947 को थिरुवदुथुराई अधीनम (500 वर्ष पुराना शैव मठ) द्वारा प्रधानमंत्री नेहरू को सेन्गोल राजदंड भेंट करने का वीडियो है। इस सेन्गोल को चेन्नई के एक प्रसिद्ध जौहरी वुम्मीदी बंगारू चेट्टी ने तैयार किया था।

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