भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रत्येक ग्रह का संबंध एक रत्न से होता है। हर रत्न का एक उपरत्न होता है। ऐसा ही एक रत्न गोमेद है, जिसका संबंध राहु ग्रह से होता है। ऐसी मान्यता है कि गोमेद रत्न धारण करने से शेयर बाजार, सट्टा और लॉटरी में लाभ हो सकता है। इस रत्न को धारण करने से भय भी खत्म होता है। आइए जानते हैं गोमेद रत्न धारण करने की विधि और लाभ।
इस राशि के जातक कर सकते हैं धारण
वृषभ, कन्या, मिथुन और कुंभ राशि के जातक गोमेद रत्न धारण कर सकते हैं। वहीं, यदि किसी जातक की कुंडली में राहु छठे, आठवें या लग्न भाव में स्थित रहे तो गोमेद धारण कर सकते हैं। वहीं राहु ग्रह अगर कुंडली में उच्च या शुभ स्थित हो तो भी गोमेद धारण किया जा सकता है।
इन बातों का रखें ध्यान
गोमेद रत्न का राहु से संबंध होता है। लेकिन गोमेद के साथ माणिक्य यो मोती धारण नहीं करें। अन्यथा नुकसान हो सकता है। वहीं अगर राहु की महादशा चल रही हो तो भी गोमेद रत्न धारण कर सकते हैं।
गोमेद धारण करने के लाभ
गोमेद धारण करने से राहु दोष से मुक्ति मिलती है। राजनीति से जुड़े लोगों को गोमेद धारण करने से लाभ होता है। शेयर बाजार में निवेश, सट्टा और लॉटरी लगाने वाले लोगों को इस रत्न को धारण करने से फायदा होता है। गोमेद को धारण करने से एकाग्रता बढ़ती है और अनिद्रा की समस्या से मुक्ति मिलती है। यह रत्न हर प्रकार के भय को दूर करता है।
इस विधि से करें धारण
-गोमेद को बाजार से कम से कम 7 से सवा 8 रत्नी का धारण करना चाहिए।
-गोमेद को शनिवार के दिन स्वाती, आर्दा व शतभिषा नक्षत्र में धारण करना शुभ रहता है।
-धातु की बात करें तो गोमेद को अष्टधातु या चांदी में धारण कर सकते हैं।
-अंगूठी धारण करने से पहले सबसे पहले गोमेद की अंगूठी को गंगाजल, दूध, शहद के मिश्रित घोल में एक रात के लिए रख दें।
-ॐ रां रावे नम: मंत्र का एक माला जप करें और मध्यमा उंगली में धारण करें।
-अंगूठी धारण करने के बाद राहु ग्रह से संबंधित दान निकालकर किसी मंदिर के पुजारी को देकर आएं।
डिसक्लेमर
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