पश्चिम बंगाल में हाल में ही हुए स्थानीय निकाय के चुनाव में भाजपा के नेताओं में आपसी खींचतान बढ़ती जा रही है। हार के कारण पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप का खेल शुरू हो गया है। भाजपा की हाल ही में हुई चिंतन बैठक में खासा बवाल मचना स्वाभाविक था क्योंकि कि पार्टी 108 नगर निकायों के चुनाव में एक भी नगरपालिका नहीं जीत सकी। जबकि तृणमूल कांग्रेस ने 102 नगर पालिकाओं में जीत हासिल की। वोट प्रतिशत के मामले में वाम दलों ने भाजपा की तुलना में मामूली रूप से बेहतर वोट हासिल किए और यहां तक कि एक नगर निकाय भी जीता।
पार्टी के नए पदाधिकारियों की नियुक्ति पर सवाल
भाजपा के राज्य महासचिव और हुगली लोकसभा सांसद लॉकेट चटर्जी उन लोगों में शामिल थी, जो चिंतन बैठक में सबसे अधिक मुखर थीं। चटर्जी ने पार्टी के नए पदाधिकारियों की नियुक्ति पर भी सवाल उठाया और कहा कि ये नियुक्तियां योग्यता नहीं बल्कि एक कोटा प्रणाली पर थीं, जहां व्यक्तिगत नेताओं की हितों को प्राथमिकता दी गई थी। हमें इस बात पर आत्ममंथन करना होगा कि हमारे वोट शेयर में इतनी भारी गिरावट किस वजह से हुई। क्या गलत हुआ?
हमें उन कमियों को भरने और अगले लोकसभा चुनाव के लिए खुद को तैयार करने की जरूरत है। सुश्री चटर्जी की टिप्पणी पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि उनकी टिप्पणी आत्मनिरीक्षण नहीं बल्कि आलोचना थी। चटर्जी ने यह कहते हुए पलटवार किया कि घोष को उनकी टिप्पणी पर उस समय प्रतिक्रिया देनी चाहिए थी जब बैठक चल रही थी। राज्य भाजपा का निराशाजनक प्रदर्शन 2021 के विधानसभा चुनावों में भगवा पार्टी के मतदान प्रतिशत में 38 फीसदी से घटकर 13 फीसदी नगर निकाय चुनावों में परिलक्षित होता है।