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यूपी चुनाव 2022: बिहार में साथ तो यूपी में ‘हम आपके हैं कौन’, इलू-इलू के लिए NDA में वैलेंटाइन तलाश रहा विपक्ष

पटना। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बिहार की सियासत (Bihar Politics) का एंगल भी कम रोचक नहीं है। राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की बात करें तो यूपी में इसके घटक दल एक-दूसरे से अलग राह पर दिख रहे हैं। बिहार एनडीए के सबसे बड़े घटक भारतीय जनता पार्टी (BJP) व जनता दल यूनाइटेड (JDU) के बीच बातचीत अभी बंद नहीं हुई है, लेकिन दोनों के बीच दबाव की राजनीति (Pressure Politics) में कोई कमी नहीं दिख रही। मुकेश सहनी (Mukesh Sahani) की विकासशील इनसान पार्टी (VIP) तो खुलकर बीजेपी के खिलाफ ताल ठोक रही है तो हिंदुस्‍तानी अवाम मोर्चा (HAM) भी अकेले चुनाव मैदान में उतरने जा रही है। बिहार में एक साथ रहने वाले ये दल यूपी में हम आपके हैं कौन (Ham Aapke Hain Kaun) की तर्ज पर एक-दूसरे के खिलाफ ताल ठोक रहे हैं। इसका असर बिहार में ब्रेक-अप (Break-Up) के रूप में समाने आए, विपक्ष इसके इंतजार में पहले से इलू-इलू (I Love You – I Love You) करने के लिए अपने वैलेंटाइन काे ताड़ रहा है। कैसे व कहां प्रपोज करें, इसकी पृष्‍ठभूमि भी तैयार की जा रही है।

बात नहीं बनी तो यूपी में अपने उम्मीदवार उतार देगा जेडीयू

यूपी विधानसभा चुनाव में बिहार एनडीए के दल भी ताल ठोक रहे हैं। वहां सत्‍ताधारी बीजेपी की जेडीयू से सीटों को लेकर वार्ता अभी तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है। इस बीच जेडीयू की लखनऊ व दिल्‍ली में अहम बैठकें हों चुकी हैं। अब जेडीयू ने तय किया है कि वह सीटों को लेकर समझौते के लिए गुरुवार तक इंतजार करेगा। अगर बात बन गई तो ठीक, अन्‍यथा पार्टी शुक्रवार को अपने प्रत्याशियों की सूची जारी कर देगी। जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह (Lalan Singh) ने ट्वीट कर कहा है कि यदि बीजेपी नेतृत्व से निर्णायक रिस्पांस नहीं मिलता है तो पार्टी अपनी तरफ से उम्मीदवारों की सूूची जारी कर देगी।

एक-दूसरे के खिलाफ ताल ठोकेंगे बिहार के दो बड़े सहयोगी

विदित हो कि जेडीयू के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह (RCP Singh) ने यूपी चुनाव में गठबंधन को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah), बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda)और बीजेपी के यूपी प्रभारी व केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान (Dharmendra Pradhan) के साथ कई दौर की बातचीत की है, लेकिन अभी तक ठोस नतीजा नहीं आया है। ऐसे में जेडीयू अपने दम पर विधानसभा चुनाव लड़ सकता है। अगर ऐसा होता है तो बिहार में एक साथ सरकार चला रहे दो बड़े दल यूपी में एक-दूयरे के खिलाफ ताल ठोकते नजर आएंगे।

राज्‍य की 165 सीटों पर अपने उम्‍मीदवार देंगे मुकेश सहनी

बात वीआइपी की करें तो महागठबंधन (Mahagathbandhan) से अलग होने के बाद उसे बीजेपी ने बिहार एनडीए में एंट्री दी थी। पार्टी सुप्रीमो मुकेश सहनी को विधान परिषद की सदस्‍यता देकर नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की सरकार में मंत्री भी बनाया गया है। लेकिन मुकेश सहनी यूपी में बीजेपी के खिलाफ ताल ठोक रहे हैं। चुनाव के दौरान निषाद आरक्षण (Nishad Reservation) की मांग उठाकर उन्‍होंने बीजेपी के लिए असहज हालात बना दिए हैं। यूपी के कई इलाकों में निषाद निर्णायक वोट बैंक हैं, जिसमें मुकेश सहनी की सेंधमारी का असर वहां के राजनीतिक समीकारण पर पड़ता दिख रहा है। यूपी चुनाव के लिए मुकेश सहनी ने अपने 24 उम्मीदवारों की पहली सूची भी जारी करते हुए 165 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है। उन्‍होंने कहा है कि कितनी सीटें जीतेंगे यह पता नहीं, लेकिन 25 लाख वोट लाना लक्ष्य है।

एनडीए से ब्रेक-अप तो महागठबंधन से प्‍यार की रणनीति

मुकेश सहनी के इस कदम का असर बिहार में उनकी राजनीति पर भी पड़ना तय है। बिहार में बीजेपी ने दबाव बढ़ाया है। इस बीच उन्‍होंने सरकार से समर्थन वापसी की धमकी तक दे डाली है। इसपर बीजेपी कोटे के मंत्री नीरज बबलू (Neeraj Singh Bablu) ने कहा है कि मुकेश सहनी चाहते हैं तो ऐसा कर के देख लें। बीजेपी के अजय निषाद (Ajay Nishad) तो उन्‍हें पहले से परिणाम भुगतने की चेतावनी देते रहे हैं। इस बीच मुकेश सहनी ने भी अब राष्‍ट्रीय जनता दल (RJD) नेता तेजस्‍वी यादव (Tejashwi Yadav) के पक्ष में बयान देकर राजनीति गरमा दी है। बुधवार की रात आरजेडी नेता मृत्‍युंजय तिवारी (Mrityunjay Tiwari) ने मुकेश सहनी के घर जाकर उनसे मुलाकात की, जिसके राजनीतिक निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। हालांकि, मृत्‍युंजय तिवारी ने इनकार किया है, लेकिन कयास लगाए जा रहे हैं कि एनडीए से ब्रेक-अप की स्थिति में महागठबंधन (Mahagathbandhan) में प्‍यार की पृष्‍ठभूमि बनाई जा रही है।

मांझी भी पीछे नहीं, बिहार में बीजेपी साध रही निशाना

जीतन राम मांझी भी यूपी चुनाव में किस्‍मत आजमाते दिख रहे हैं। वहां उनके निशाने पर बीजेपी के साथ-साथ समाजवादी पार्टी (SP) भी है। हाल ही में उन्‍होंने सपा नेता व पूर्व मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के खिलाफ बयानबाजी की थी। उन्‍होंने मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ (CM Yogi Adityanath) के दलित के घर खाना खाने पर भी प्रतिक्रिया देते हुए नाम लिए बिना दलितों के घर खानेवालों नेताओं को दलितों का निवाला छीननेवाला करार दिया था। इसका असर बिहार में भी पड़ा है। मांझी भी बिहार में बीजेपी के निशाने पर हैं।

पीएम नरेंद्र मोदी के हनुमान से भी बीजेपी है परेशान

यूपी में बीजेपी को पीएम मोदी के हनुमान (Hanuman of PM Modi) से भी परेशानी होती दिख रही है। बिहार की जमुई लोकसभा सीट से सांसद व लोक जनशक्ति पार्टी-रामविलास (LJP Ramvilas) के अध्‍यक्ष चिराग पासवान (Chirag Paswan) खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) का करीबी होने का दावा करने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं। उन्‍होंने भी यूपी की 100 सीटों पर ताल ठोक दिया है।

एनडीए व महागठबंधन में किसकी कितनी सीटें, जानिए

सवाल यह है कि यूपी की इस उठापटक का बिहार एनडीए में क्‍या असर पड़ेगा? बिहार एनडीए में फिलहाल 127 विधायक हैं। जेडीयू के 45 विधायक हैं तथा उसे एक निर्दलीय का समर्थन प्राप्त है। बीजेपी के 74 विधायक हैं। ‘हम’ के चार तो वीआइपी के तीन विधायक हैं। वीआइपी के एक विधायक का निधन हो चुका है। दूसरी ओर विपक्षी महागठबंधन में शामिल आरजेडी, कांग्रेस और वाम दलों को मिलाकर कुल 110 विधायक है। आइएमआइएम के पांच विधायक किसी को समर्थन नहीं दे रहे हैं। बिहार में सरकार बनाने के लिए 122 विधायकों की जरूरत है। ऐसे में अगर मांझी और मुकेश सहनी पाला बदल लें तो एनडीए का बहुमत नहीं रहेगा। ऐसे में जीतन राम मांझी और मुकेश सहनी के खिलाफ एनडीए कोई बड़ा फैसला तब तक नहीं लेता दिख रहा है, जबतक कि पानी सिर के नीचे है। रणनीति दोनों छोटे दलों को एक होने से रोकने की हो सकती है। जहां तक बीजेपी व जेडीयू के संबंधों की बात है, आल इज वेल नहीं दिख रहा। बीजेपी शराबबंदी (Liquor Ban) व कानून-व्‍यवस्‍था (Law and Order) जैसे मुद्दों पर नीतीश सरकार (Nitish Government) को घेरती रही है तो जेडीयू ने भी जवाब देने का मौका नहीं छोड़ा है।

…शह-मात के खेल में आगे-आगे क्‍या होता है, देखिए

अब इस पृष्‍ठभूमि में आए दिन बीजेपी, जेडीयू, वीआइपी व हम के बड़े नेताओं के परस्‍पर विरोधी या सरकार के पक्ष-विपक्ष में राय आते रहे हैं। इससे इतना तो स्‍पष्‍ट है कि सरकार पर भले ही कोई असर नहीं पड़े, आपसी रिश्‍ते तो प्रभावित होते दिख ही रहे हैं। एनडीए में ब्रेक-अप के कयासों के बीच आरजेडी इलू-इलू का दांव फेंक महागठबंधन की सीटाें की संख्‍या बढ़ाने में लगा है। अब शह-मात के इस खेल में आगे-आगे क्‍या होता है, यह देखना शेष है।

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