मजिस्ट्रेट महादेव की कोर्ट में सलीम, कहा- मंदिर में झूठी कसम खाने का हिसाब करेंगे भोलेनाथ

ग्वालियर : मध्यप्रदेश के ग्वालियर जिला मुख्यालय से लगभग 12 किलोमीटर की दूरी पर गिरगांव महादेव का मंदिर स्थापित है. ये अनोखा मंदिर मजिस्ट्रेट महादेव के नाम से भी जाना जाता है. दरअसल, तकरीबन 1 हजार साल पुराने इस मंदिर में भगवान शिव न्यायाधीश बनकर बैठते हैं. और कोर्ट की तरह उन्हीं की शरण में कई मामलों का निपटारा होता है. खास बात ये है कि यहां हिंदू-मुस्लिम हर धर्म के लोग न्याय के लिए अर्जी लगाते हैं.
रजिस्टर में दर्ज होती है याचिका
कहते हैं भगवान सबका न्याय करता है और ग्वालियर के गिरगांव महादेव के मंदिर में यह बात बरसों से प्रमाणित होती आ रही है.
मंदिर के पुजारी अमरदास बाबा के अनुसार, ” इस मंदिर में कई बड़े विवादों का निपटारा हुआ है. जब लोग किसी विवाद में कोर्ट नहीं जाते तो वे अपना केस लेकर महादेव की अदालत में आते हैं. केस की कार्रवाई भी पूरी तरह लिखा पड़ी से होती है. यहां लगाए गए हर परिवाद का लेखा जोखा रजिस्टर में दर्ज है.”
झूठ बोलना पड़ सकता है भारी
गिरगांव महादेव की शरण में आए विवाद में 12 पंचों का पैनल होता है, जिसमें गांव के सरपंच के साथ गांव के कुछ बुजुर्ग और न्यायप्रिय लोग शामिल होते हैं. इसके बाद यहां विवाद से संबंधित एक पंचनामा तैयार किया जाता है. इस पंचनामा के साथ ही जो आरोप लगा रहा है और जिस पर आरोप हैं, दोनों पक्षकारों को सरपंच चेतावनी भी देता है कि यहां सिर्फ सच ही बोला जाए. झूठ बोलना धन हानि से लेकर जनहानि तक की सजा दे सकता है. इसके बाद सुनवाई शुरू होती है, दोनों पक्ष साक्ष्य भी पेश करते हैं और अंत में दोनों पक्षों द्वारा धर्म (सौगंध) उठाई जाती है.
कम से कम 20 हजार की हानि पर होती है सुनवाई
गिरगांव के पंचायत सदस्य मलखान सिंह बताते हैं , ” गिरगांव मंदिर पर मामूली विवाद नहीं सुलझाए जाते इस बात की जानकारी सभी को है. बाकायदा इसके लिए जानकारी का बोर्ड भी लगाया गया है. लोग खुद से आकर धर्म (सौगंध) नहीं उठाते बल्कि सारी प्रक्रिया पंचों के सामने होती है. कोई भी सुनवाई तभी होती है जब कम से कम 20 हजार रु से अधिक की हानि हो क्योंकि उसी के अनुसार पंचनामा तैयार किया जाता है. यहां सबसे ज्यादा विवाद चोरी, जमीन और पार्टनरशिप को लेकर आते हैं. कई बार मामले पारिवारिक होते हैं, एक दो बार तो राजनीति से जुड़े भी मामले आए थे.”
पंचनामा में क्या होता है?
गिरगांव महादेव मंदिर पर हर केस के लिए एक पंचनामा तैयार किया जाता है, जिसमें पूरा प्रकरण लिखा जाता है. इसके बाद उसमें तय समय की हतौड़ी खोली जाती है. हतौड़ी यानी एक समय सीमा, जिसकी अवधि 3 दिन, 5 दिन, 7 दिन या एक महीना का समय लिखा जाता है, जिसका अर्थ होता है कि महादेव की सौगंध उठाने के इतने समय बाद एक निश्चित रकम जितना नुकसान आरोपी को होगा.
यानी उतने समय के अंदर यदि आरोपी का कोई नुकसान नहीं होता तो उसे ईश्वर का न्याय मानकर निर्दोष करार दिया जाता है. और अगर नुकसान होता है तो वह दोषी माना जाएगा और पंच उसे दंडित करेंगे. दंड स्वरूप पुलिस केस तक कराया जाता है.
मुस्लिम परिवारों को भी ‘महादेव’ पर भरोसा
ऐसा नहीं है कि इस मंदिर की मान्यता सिर्फ हिंदुओं तक सीमित है. यहां न्याय का विश्वास कई मुस्लिम परिवारों को भी है. इसलिए यहां मुस्लिम पीड़ित भी न्याय के लिए पहुंचते हैं. हाल ही में 12 जुलाई को ऐसे ही एक प्रकरण का विवाद पहुंचा था. पुजारी अमरदास बाबा के मुताबिक, एक मुस्लिम फरियादी यहां अपनी फरियाद लेकर शिवजी की अदालत में पहुंचे थे. मुरैना जिले के पालोरी गांव के रहने वाले सलीम शाह के घर चोरी हुई थी. और उन्हें अपने ही गांव के एक शख्स पर शक था.
सलीम शाह को महादेव से मिला न्याय
ईटीवी भारत से बातचीत में सलीम शाह ने बताया कि उनका परिवार किसानी करता है पर वे फकीर हैं और माँग कर खाते हैं. मुरैना जिले के पारौली गांव के बाहर कुंए के पास उनका घर है. परिवार बड़ा है और गांव में उनकी खेती है. कटाई के बाद गेंहू भी उसी घर में रखा हुआ था, 12 जुलाई की सुबह जब देख तो घर से 25 मन गेहूं ( 10 क्विंटल), दो बोरा सरसों खाली, पीतल के बड़े बर्तन चोरी हो गए थे. गांव में सभी परेशान थे. सलीम शाह ने कहा, ” चोरी को लेकर गांव के एक आदमी पर शक था, जब उससे पूछा तो विवाद हो गया. तब गांव वालों के साथ गिरगांव महादेव की अदालत में आए.”
सलीम को भरोसा ‘झूंठी सौगंध खाने वाले को भोले बाबा देंगे दंड’
इसके बाद दो ट्रेक्टर ट्रॉलियों में भरकर गांव के लोग गुड़गांव महादेव मंदिर पर पहुंचे और पंचनामा बनाकर प्रक्रिया आगे बढ़ाई. सलीम शाह ने बताया, ” पहले मुझसे सौगंध ली गई थी कि मेरे घर में सच में चोरी हुई है या नहीं तो मैंने महादेव से प्रार्थना की कि, परमात्मा आप खुद सब जानते हैं आप न्याय करना. इसके बाद सामने वाले से भी कसम खिलाई गई.” सलीम ने कहा, ” परमात्मा पर पूरा विश्वास है सामने वाले ने झूठी कसम खाई है अब बस देखना यह है कि, भोले बाबा उसे क्या दंड देते हैं.”
गहने चोरी हुए तो शहनाज खान ने भी उठाया ‘धर्म’
इस मंदिर में धर्म उठाने से तात्पर्य है सौगंध या कसम खाना. सलीम शाह अकेले ऐसे शख्स नहीं हैं, जिन्होंने यहां कसम खाई. इनसे पहले कई लोग यहां धर्म उठाने आ चुके हैं. जुलाई के शुरुआती दिनों में भिंड जिले की शहनाज खान भी अपनी समस्या लेकर गिरगांव महादेव की कोर्ट में पहुंची थीं. उनके घर से 8 लाख रु के सोने चांदी के 9 तौला (90 ग्राम) जेवरात चोरी हो गए थे. उन्हें शक अपने ही समाज के पहचान के लोगों पर था. जिसके बाद पंचनामा बनाकर गिरगांव महादेव के सामने धर्म उठाया गया, दोनों पक्षों को सुना गया और उसके बाद पांच दिन की हतोड़ी खोली गई.
भोगना पड़ता है झूंठी सौगंध का परिणाम
इसी तरह के कई मामले आए दिन महादेव की शरण में पहुंंचते हैं और आरोपियों को परिणाम भी भुगतने पड़ते हैं. पुजारी ने बताया कि यहां अगस्त 2022 में एक जानेमाने संत को भी झूठ बोलने का परिणाम भुगतना पड़ा था.