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पाकिस्तान हुआ बेरहम: अफगान शरणार्थी कैंप बंद, घर जलाने की खुली धमकी

पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने बलूचिस्तान के कई लंबे समय से चल रहे अफगान शरणार्थी कैंपों को बंद कर दिया है. इनमें लोअरलाई, गारदी जंगल, सारानन, झोब, कलाँ-ए-सैफ़ुल्लाह, पिशीन और मुस्लिम बाग शामिल हैं.

इन कैंपों में रह रहे अफगान शरणार्थियों को उनके घरों और दुकानों से निकाला गया और उनकी संपत्तियों को ध्वस्त कर दिया गया. लोगों को धमकी तक दी गई कि अगर घर नहीं छोड़ा तो सब कुछ जला देंगे.

जबरन निकाले जा रहे हैं अफगानी

चमन में अफगान शरणार्थियों की मदद करने वाले नागरिक संगठन के वली मोहम्मद ने कहा कि मैं पाकिस्तानी सरकार से अपील करता हूँ कि शरणार्थियों को जबरन बाहर निकालते समय मानवाधिकारों का सम्मान किया जाए. दुनिया के दूसरे देश अफ़ग़ानियों को पांच साल में नागरिकता दस्तावेज़ दे देते हैं, लेकिन पाकिस्तान में यह दशकों बाद भी नहीं हुआ. बलूचिस्तान के इन कैंपों से निकाले गए शरणार्थियों का कहना है कि वे अफागानिस्तान लौटे तो उनके पास कुछ भी नहीं बचा. उन्हें तत्काल आश्रय और मानवतावादी मदद की आवश्यकता है.

5 दिन में 13 हजार अफगानियों को निकाला

Tolo News की एक खबर के मुताबिक अधिकारी कुछ सहायता प्रदान कर रहे हैं, लेकिन अफगान शरणार्थियों को जबरन पाकिस्तान से निकाले जाने की बढ़ती घटनाओं से चिंतित हैं. अधिकारियों के अनुसार, सिर्फ पिछले पांच दिनों में 13,504 शरणार्थी, जिनमें सैकड़ों पूर्व कैदी भी शामिल हैं. ये सभी सीमा के माध्यम से अफगानिस्तान लौटे हैं. शरणार्थियों की यह मुश्किलें और बढ़ती वापसी चिंता का विषय हैं और स्थानीय व अंतरराष्ट्रीय समुदाय की तत्काल मदद की आवश्यकता है.

क्यों अफगानियों पर बेरहम हुआ पाकिस्तान

दरअसल 2023 में पाकिस्तान ने पिछले 40 सालों में अपने देश में घुसने वाले लगभग 40 लाख अफगानों को वापस भेजने के लिए एक बड़ी पहल शुरू की थी. दरअसल पिछले तीन सालों में पाकिस्तान और पड़ोसी अफगानिस्तान के संबंध बिगड़ गए हैं. इस्लामाबाद का कहना है कि अफगानिस्तान में तालिबान सरकार तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के हमलों को रोकने में नाकाम रही हैं. यह संगठन 2007 में बना था और पाकिस्तान की सुरक्षा बलों पर कई हमले कर चुका है. जानकारों के मुताबिक लाखों अफगान शरणार्थियों को जब भी दोनों देशों के बीच तनाव होता है तो दबाव बनाने के लिए बंधकों के रूप में इस्तेमाल किया जाता है.

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