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65 प्रतिशत लोग देश में मौजूदा टैक्स स्ट्रक्चर से नाखुश, क्या क्या सीतारमण बजट 2022 में दे सकती हैं राहत !

एक ब्रिटिश अंतरराष्ट्रीय इंटरनेट-आधारित मार्केट रिसर्च और डेटा एनालिसिस “फर्म यूगोव” के एक नए सर्वे से पता चला है कि लगभग दो-तिहाई या 65 प्रतिशत लोग देश में मौजूदा टैक्स स्ट्रक्चर से नाखुश थे। सर्वे के अनुसार 74 प्रतिशत शहरी भारतीय इस बात से सहमत हैं कि देश के आर्थिक विकास के लिए इनकम टैक्स महत्वपूर्ण है। 38 प्रतिशत शहरी भारतीयों ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि सरकार इनकम टैक्स में छूट की सीमा को मौजूदा से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर देगी। यह उन लोगों के लिए प्रमुख अपेक्षा थी, जिन्होंने खुद को गरीब या मिडिल क्लास बताया है। संसद का बजट सत्र 2022 आज सोमवार 31 जनवरी से शुरू होने जा रहा है, जिसमें राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद दोनों सदनों को संबोधित करेंगे। इसके बाद 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपना चौथा केंद्रीय बजट पेश करने वाली हैं, जिसका आम आदमी तक को बेसब्री से इंतजार है। इसका कारण बजट को लेकर लोगों को अपनी-अपनी उम्मीदें हैं।

31 फीसदी चाहते हैं इनकम टैक्स में ज्यादा छूट
विशेषज्ञों को उम्मीद है कि आगामी बजट लोकलुभावन हो सकता है, क्योंकि बजट के तुरंत बाद पांच राज्यों में चुनाव होने वाले हैं, लेकिन बड़ा सवाल है कि खासकर नौकरी-पेशा वर्ग की क्या सरकार महंगाई की मार के बीच इनकम टैक्स में राहत देने जा रही है? क्या वह नए इनकम टैक्स स्लैब से छेड़छाड़ करने को तैयार है? सर्वे के मुताबिक 31 फीसदी का मानना है कि इनकम टैक्स में छूट कुल की सीमा को मौजूदा 1.5 लाख रुपये से बढ़ाया जाना चाहिए। सर्वे के अनुसार 35 प्रतिशत उम्मीद करते हैं कि इनकम टैक्स रिबेट में कोविड के उपचार से संबंधित खर्चों को अलग से शामिल किया जाए, जबकि लगभग 30 फीसदी चाहते हैं कि वित्त मंत्री 80 डी के तहत मेडिकल खर्च के लिए रिबेट बढ़ाए जाएं।

सिंगल हाइब्रिड इनकम टैक्स स्लैब की उम्मीद
वर्तमान में इनकम टैक्स फाइल करने वालों के लिए चुनने के लिए दो इनकम टैक्स स्लैब (ओल्ड और न्यू) हैं, लेकिन कई टैक्स विशेषज्ञों की राय है कि दो के बजाय सिंगल या हाइब्रिड टैक्स स्लैब की जरूरत है। इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 115 बीएसी के तहत 1 अप्रैल, 2020 से लागू हुए नए इनकम टैक्स स्लैब में घर का किराया और यात्रा भत्ता, शिक्षा भत्ता जैसी छूट, सेक्शन 80 सी और 80 डी के लाभ और सेक्शन 24बी के तहत होम लोन के ब्याज के लिए छूट की अनुमति नहीं है। केंद्र सरकार ने पिछली बार 2014 में सेक्शन 80 सी छूट की सीमा को 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये की थी। उसके बाद, 2015 में राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) में योगदान के लिए सेक्शन 80सीसीडी (1बी) के तहत 50,000 रुपये की अतिरिक्त छूट की अनुमति दी गई थी, लेकिन टैक्सपेयर्स को अधिक टैक्स रिबेट मिले अब छह साल से अधिक समय हो गया है।

आय 200 रुपए बढ़ने पर भी देना पड़ता है टैक्स
मौजूदा इनकम टैक्स स्ट्रक्चर के अनुसार किसी व्यक्ति को 5 लाख रुपये तक की वार्षिक आय पर कोई टैक्स देने की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन अगर उसकी आय में मामूली वृद्धि भी हो तो वह हजारों रुपये के टैक्स का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी हो जाता है। उदाहरण के लिए अगर आपकी वार्षिक आय 5 लाख रुपये से मात्र 200 रुपये अधिक हो जाए तो मौजूदा स्ट्रक्चर के अनुसार आपको 13,000 रुपये का टैक्स देना होगा। टैक्स विशेषज्ञों का सुझाव है कि आगामी बजट 2022 में इसपर कदम उठाया जाना चाहिए जिसके माध्यम से टैक्सपेयर्स आय के 5 लाख रुपये से थोड़े अधिक होने पर ही हजारों के टैक्स भुगतान करने के लिए उत्तरदायी नहीं हो।

वर्क फ्रॉम होम’ के लिए अलाउंस की उम्मीद
सरकार लगातार बड़े राज कोषीय घाटे से गुजर रही है और कोविड-19 महामारी की तीसरी लहर की आशंका के बीच हॉस्पिटल से लेकर बूस्टर डोज के लिए उच्च सरकारी खर्च की आवश्यकता है। ऐसे में विशेषज्ञों की राय है कि सरकार को मामूली ब्याज दर और 3 से 5 साल के टाइम लिमिट के साथ कोविड बॉन्ड लाना चाहिए और धन जुटाने का प्रयास करना चाहिए। उनका कहना है कि कोविड बॉन्ड में निवेश को टैक्स में पूरी तरह छूट मिलनी चाहिए। दूसरी तरफ कोरोना महामारी की वजह से, कई संगठनों ने पिछले एक साल से वर्क फ्रॉम होम मॉडल को अपनाया है। जिससे वेतनभोगी क्लास के लिए घर में ही इंटरनेट/वाईफाई कनेक्शन, लैपटॉप, प्रिंटर, ऑफिस डेस्क, कुर्सी इत्यादि को इंस्टॉल करना मजबूरी रही है। इसी के मद्देनजर विशेषज्ञों की मांग है कि ऐसे भत्तों को इनकम टैक्स में छूट देने के लिए आईटी एक्ट में बदलाव करना चाहिए।

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