Breaking
सीआरएम ने परखी पटरियों की गुणवत्ता, अब नए ट्रैक पर दौड़ेंगी ट्रेनें एक नारी पुलिस पर भारी, बिना हेलमेट रोका तो रोने लगी महिला, हाथ जोड़कर कहा जाओ प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी हरदा में आमसभा को संबोध‍ित करेंगे, कुछ देर में पहुंचने वाले है प्रवेश प्रक्रिया शुरू होने को और कालेजों के पास नहीं संबद्धता तवा रिसोर्ट के मेन्यू कार्ड में दिखेंगे चुनावी व्यंजन, वोट डालने वाले दूल्हा-दुल्हनों को मिलेगा उपहा... दूसरे चरण में वोटरों को झुलसा देगी गर्मी, जानें किस शहर के लिए कौन सा अलर्ट जारी वन विभाग ने जानापाव से किया तेंदुए का रेस्क्यू, एक वनकर्मी घायल ओंकारेश्वर दर्शन कर लौट रहे श्रद्धालुओं की कार पेड़ से टकराई, 7 वर्षीय मासूम की मौत, 6 घायल खरगोन में बोले मप्र के सीएम डॉ मोहन यादव- कांग्रेस देश के टुकड़े करवाने वाली पार्टी सोनिया-राहुल बैकफुट पर आए, बेनकाब हुई कांग्रेस… सैम पित्रोदा के बयान पर अमित शाह का पलटवार

तब परमात्मा सहित पूरी प्रकृति देती है सहारा 

जब निश्चय प्रबल होता है, तब परमात्मा सहित पूरी प्रकृति उसको पूरा करने में लग जाते हैं। जरूरत है अपने निश्चय को मजबूत से मजबूत करते जाने की। एक समय मां पार्वती ने भगवान शंकर को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की। भगवान शंकर ने पार्वती की परीक्षा के लिए सप्तर्षियों को भेजा। सप्तर्षियों ने पार्वती से शंकर के अनेक अवगुणों का वर्णन किया जिससे पार्वती, महादेव से विवाह न करें, लेकिन देवी नहीं मानीं। अब भगवान शंकर ने प्रकट हुए और पार्वती को वरदान दिया। कुछ देर बाद जिस स्थान पर पार्वती तप कर रही थीं, वही नजदीक तालाब में मगरमच्छ ने एक लड़के को पकड़ लिया, लड़का चिल्लाने लगा। पार्वती चीख सुनकर तालाब पर पहुंचीं और देखती हैं कि मगरमच्छ लड़के को खींच रहा है। लड़के ने कहा- हे माता, मेरी रक्षा करें।
पार्वती बोली- हे मगरमच्छ। इसको छोड़ दो बदले में तुमको जो चाहिए, मुझसे कहो। मगरमच्छ बोला- यदि महादेव के वरदान का फल तुम मुझे दान कर दो, तो छोड़ दूंगा। पार्वती तैयार हो गईं। मगरमच्छ बोला- आप विचार कर लो, जैसा तप आपने किया ऐसा देवताओं के लिए भी संभव नहीं। पार्वती बोली- मेरा निश्चय पक्का है। मैं तुम्हें अपने तप का फल देती हूं। तुम लड़के को छोड़ दो। तप का दान होते ही मगरमच्छ का शरीर प्रकाशित होने लगा। फिर मगर बोला- हे देवी। चाहो तो अपना फल वापिस ले सकती हो। पार्वती ने मना कर दिया। इतनी ही देर में लड़का और मगरमच्छ गायब हो गया।
पार्वती ने फिर से तप करने का संकल्प लिया। भगवान शंकर प्रकट होकर बोले- हे पार्वती।  मगरमच्छ और लड़का दोनों मैं ही था। यह देखने के लिए कि तुम्हारा मन दूसरे का दुःख अनुभव करता है या नहीं, इसकी परीक्षा लेने के लिए मैंने यह खेल रचा। अनेक रूपों में दिखने वाला मैं एक ही एक हूं। मैं सभी शरीरों में और सभी शरीरों से अलग निर्विकार हूं। हे देवी। तुमने अपना तप भी मुझे ही दे दिया है, इसलिए अब और तप करने की आवश्यकता नहीं। देवी ने महादेव को प्रणाम किया और महादेव अंतर ध्यान हो गए।

सीआरएम ने परखी पटरियों की गुणवत्ता, अब नए ट्रैक पर दौड़ेंगी ट्रेनें     |     एक नारी पुलिस पर भारी, बिना हेलमेट रोका तो रोने लगी महिला, हाथ जोड़कर कहा जाओ     |     प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी हरदा में आमसभा को संबोध‍ित करेंगे, कुछ देर में पहुंचने वाले है     |     प्रवेश प्रक्रिया शुरू होने को और कालेजों के पास नहीं संबद्धता     |     तवा रिसोर्ट के मेन्यू कार्ड में दिखेंगे चुनावी व्यंजन, वोट डालने वाले दूल्हा-दुल्हनों को मिलेगा उपहार     |     दूसरे चरण में वोटरों को झुलसा देगी गर्मी, जानें किस शहर के लिए कौन सा अलर्ट जारी     |     वन विभाग ने जानापाव से किया तेंदुए का रेस्क्यू, एक वनकर्मी घायल     |     ओंकारेश्वर दर्शन कर लौट रहे श्रद्धालुओं की कार पेड़ से टकराई, 7 वर्षीय मासूम की मौत, 6 घायल     |     खरगोन में बोले मप्र के सीएम डॉ मोहन यादव- कांग्रेस देश के टुकड़े करवाने वाली पार्टी     |     सोनिया-राहुल बैकफुट पर आए, बेनकाब हुई कांग्रेस… सैम पित्रोदा के बयान पर अमित शाह का पलटवार     |    

पत्रकार बंधु भारत के किसी भी क्षेत्र से जुड़ने के लिए सम्पर्क करें