Breaking
नगर निगम की नर्सरी में गाड़ियों से निकाला जा रहा डीजल वीडियो वायरल दो ट्रक के आपस में टकराने के बाद सिलेंडर फटने से एक वाहन में लगी आग 'आलू से सोना पैदा करने वाला व्यक्ति लेक्चर दे रहा', राहुल गांधी पर भड़के केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जो... वैष्णो देवी जा रही बस खाई में गिरने से 10 तीर्थयात्रियों की मौत...PM मोदी ने जताया दुख, मुआवजे की घो... बहाना बनाया पिज्जा समय से नहीं पहुंचाने पर मिली यह सजा 28 दिन तक इन राशि वालों को खूब मिलेगा पैसा शुक्र-मंगल की युति से मिलेगा लाभ इंदौर के अक्षत खंपरिया ने हासिल किया पहला ग्रैंडमास्टर नार्म बृजभूषण सिंह को गिरफ्तार करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं दिल्ली पुलिस का दावा शादी की तारिख क्या है? कुछ तो बताओ, छुपाओ मत। पैपराजी के सवाल पर यूं शरमा गईं परिणीति चोपड़ा आधी रात टी-शर्ट पहनकर असम के मुख्यमंत्री ने किया निरीक्षण, निर्माण कार्यों को लेकर अधिकारियों से की ...

कब है द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी? शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और चंद्रोदय समय

प्रत्येक माह की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन विघ्नहर्ता गणेश की आराधना पूरे विधि विधान से की जाती है।

फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी या फिर द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस बार फाल्गुन मास की द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का व्रत 20 फरवरी, रविवार के दिन पड़ रहा है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से गौरी-गणेश की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस दिन गणेश जी की पूजा, व्रत, कथा और आरती आदि करके उन्हें भोग आदि लगाया जाता है। आइए जानते हैं फिर द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी तिथि और शुभ मुहूर्त
चतुर्थी तिथि आरंभ: 19 फरवरी, शनिवार, रात्रि 9:56 मिनट पर
चतुर्थी तिथि समाप्त: 20 फरवरी रविवार, रात्रि 9:05 मिनट पर
चंद्रोदय का समय: 20 फरवरी रविवार, रात्रि 9:50 मिनट पर

द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का महत्व
फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का शास्त्रों में विशेष महत्व है। द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन पूरे विधि-विधान से गौरी गणेश का पूजन और व्रत किया जाता है। भगवान गणेश देवताओं में सर्वश्रेष्ठ हैं और सर्वप्रथम पूजनीय हैं। इसलिए द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन श्री गणेश का उनकी माता गौरी के साथ पूरे विधि विधान से पूजन किया जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को रखने से जातक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं और सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी पूजा-विधि

सबसे पहले ब्रह्ममुहूर्त में स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
पूजा के लिए ईशान कोण में चौकी पर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें।
सबसे पहले चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं।
भगवान के सामने हाथ जोड़कर पूजा और व्रत का संकल्प लें।
गणेश जी को जल, अक्षत, दूर्वा घास, लड्डू, पान, धूप आदि अर्पित करें।
‘ॐ गं गणपतये नमः’ मंत्र का जाप करते हुए भगवान गणेश से प्रार्थना करें।
इसके उपरांत एक केले का पत्ता लें, इस पर आपको रोली से चौक बनाएं।
चौक के अग्र भाग पर घी का दीपक रखें।
संकष्टी चतुर्थी का व्रत शाम के समय चंद्र दर्शन के बाद ही खोला जाता है। चांद निकलने से पहले गणपति की पूजा करें।
पूजा के बाद चंद्रमा को शहद, चंदन, रोली मिश्रित दूध से अर्घ्य दें और व्रत का पारण करें।
पूजन समाप्ति और चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही अन्न का दान करें और भगवान से प्रार्थना भी करें।

नगर निगम की नर्सरी में गाड़ियों से निकाला जा रहा डीजल वीडियो वायरल     |     दो ट्रक के आपस में टकराने के बाद सिलेंडर फटने से एक वाहन में लगी आग     |     ‘आलू से सोना पैदा करने वाला व्यक्ति लेक्चर दे रहा’, राहुल गांधी पर भड़के केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी     |     वैष्णो देवी जा रही बस खाई में गिरने से 10 तीर्थयात्रियों की मौत…PM मोदी ने जताया दुख, मुआवजे की घोषणा     |     बहाना बनाया पिज्जा समय से नहीं पहुंचाने पर मिली यह सजा     |     28 दिन तक इन राशि वालों को खूब मिलेगा पैसा शुक्र-मंगल की युति से मिलेगा लाभ     |     इंदौर के अक्षत खंपरिया ने हासिल किया पहला ग्रैंडमास्टर नार्म     |     बृजभूषण सिंह को गिरफ्तार करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं दिल्ली पुलिस का दावा     |     शादी की तारिख क्या है? कुछ तो बताओ, छुपाओ मत। पैपराजी के सवाल पर यूं शरमा गईं परिणीति चोपड़ा     |     आधी रात टी-शर्ट पहनकर असम के मुख्यमंत्री ने किया निरीक्षण, निर्माण कार्यों को लेकर अधिकारियों से की बातचीत     |    

पत्रकार बंधु भारत के किसी भी क्षेत्र से जुड़ने के लिए इस नम्बर पर सम्पर्क करें- 8860606201