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भोपाल में केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, बोलीं-कांग्रेस के जमाने में मरे लोगों को मिलता था पैसा

भोपाल :  21वीं सदी में के वैश्विक परिदृश्य में भारत का आर्थिक सामर्थ्य विषय पर आयोजित व्याख्यान माला में शामिल होने के लिए निर्मला सीतारमण रविन्द्र भवन पहुंची। सीतारमण ने कहा- शिवराज सिंह चौहान को यशस्वी और वेरी पॉपुलर चीफ मिनिस्टर कहकर संबोधित किया। निर्मला सीतारमण ने कहा जब भी मुझे हिन्दी भाषी राज्यों में बोलने का आमंत्रण मिलता है मैं थोड़ा संकोच करती हूं। मेरी हिन्दी और व्याकरण थोड़ी कमजोर है। मैं गंभीरता से कह रही हूं एक राष्ट्रऋषि जैसे दत्तोपंत जी की स्मृति में आयोजित व्याख्यान में मुझे बुलाया गया उसके लिए धन्यवाद देती हूं। ब्रिटिश जमाने में एक संगठन करने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती थी। सिर्फ संगठन खड़ा करना और उसे आईडियोलॉजिकल शक्ति के साथ संगठन खड़ा रखना सामान्य बात नहीं हैं। उस समय सरकार में प्रोत्साहन देने वाली आईडियोलॉजी अलग थी। उससे अलग दत्तोपंत जी ने अपनी विचारधारा के मुताबिक संगठन बनाया। निर्मला ने कहा सत्ता के विरूद्ध खडे़ होकर अपनी विचारधारा के अनुसार संगठन की नींव रखी। आज हम देख रहे हैं उस समय उनकी वैचारिक दृष्टिकोण मजबूत था। भारतीय मजदूर संघ जब बना तब कम्युनिट कैम्प को ही लेबर का संगठन माना जाता था। उस समय कम्युनिस्ट लोग ही बात करते थे। मजदूराें की बात रखने वाला कोई दूसरा संगठन नहीं था। 1955 में दत्तोपंत जी ने भारतीय मजदूर संघ बनाया। 1985 में भारतीय मजदूर संघ को चीन से आमंत्रण मिला। उन्होंने पहचाना कि शायद दुनियां में मजदूरों का सबसे बड़ा संगठन भारतीय मजदूर संघ है। चीन और रूस से पैसे लेकर कम्युनिस्ट संगठन अपने लोगों को सपोर्ट करते थे। 30 साल में कोई विदेशी सहयोग न लेते हुए भारतीय मजदूर संघ ने अपना वर्चस्व बना लिया। जब मैं पहली बार उनकाे सुना मैं चकित रह गई उन नारों में सिर्फ एक कॉमा बदला वो नारा था- ट्रेड यूनियन का नारा था वर्कर्स ऑफ द वर्ल्ड यूनाइट। यानि मजदूरों एकत्रित हो जाओ। कार्ल्स मार्क्स के नारे को ट्रेड यूनियन ने अपनाया। हमारे दत्ताेपंत जी ने बोला-हमें सहयोग और समन्वय के साथ एक जुट होना चाहिए। विदेशी सहयोग और नारों के आधार पर हम आगे बढ़ने के बजाय संगठित हो जाओ। उस समय सिर्फ अकेले भारतीय मजदूर संघ ही नहीं भारतीय अधिवक्ता परिषद , ग्राहक पंचायत भी दत्तोपंत जी की देन है।

सीतारमण ने कहा-

जिन्होंने हमारे ऊपर राज किया उसे छोड़ दाे हम आजादी के 2047 में ऐसे डेवलप नेशन होने के लिए मानसिकता होनी चाहिए। ये काम पीएम नरेन्द्र मोदी ने पंच प्रण में किया है। हमारी विरासत को याद करो ताकि हम आत्मविश्वास के साथ आत्मनिर्भर बना सकें।पिछले सात-आठ साल में भारत की ब्रांड इमेज बनाने वाले ऋषि मिलते हैं। हर देश में 21 जून को योगा दिवस उत्साह से मनाते हैं। 2023 में जी-20 के आयोजन की मेजबानी भारत कर रहा है। सभी देशों के राजदूतों की ट्रिप अंडमान तक कराई। सब एक खुले स्थान पर एकत्रित हुए और राजदूतों ने योग किया। योग को पिछले सात-आठ साल में दुनिया भर में मान्यता मिली। ये नहीं कह रही हूं कि पहले लोग योग नहीं करते थे लेकिन योग को उत्साह पूर्वक स्थान इन सात-आठ सालों में मिला है।

दत्तोपंत जी मुख्यत: चार बातें कहा करते थे…

पहला विषय- फ्री कॉम्प्टिशन होना चाहिए। इससे बाजार में आर्थिक सुधार होगा। इस सरकार में जहां भी प्रतिबंध थे लाइसेंस के नाम पर रोक थी उसे हटा रहे हैं। ओपन कर रहे हैं।
दूसरा विषय- हर कदम बराबरी के साथ – राज्य के लोगों को बराबरी का मौका दिया जाए। दत्तोपंत जी बाबा साहब अंबेडकर के एलेक्शन एजेंट थे। उनके नजदीकी संबंध थे। अगर बराबरी की बात करनी है तो संविधान में जितने भी सकारात्मक एक्शन का जिक्र है। संविधान से पिछड़े वर्गों को जो आरक्षण मिलता है उसे बरकरार रखना ये दत्तोपंत जी का ध्येय था। एसटी, एससी हो या ईडब्ल्यूएस कैटेगरी के लोग। सबको बराबरी से मौका मिले बिना भेदभाव के सभी पात्रों को लाभ मिले।
तीसरा विषय- ग्लोबल डेवलपमेंट- दत्ताेपंत ने कहा प्रकृति का दोहन करो लेकिन जरूरत से ज्यादा न करो जिससे प्रकृति विनाश की ओर न बढ़े। आजकल पूरी दुनिया में क्लाइमेट के ऊपर सब चिंतित हैं। हमें भी संभालकर पर्यावरण को बचाने के लिए अपनी लाइफस्टाइल को बदलने की जरूरत है। LIFE यानि लाइफ स्टाइल फॉर एनवॉयरमेंट का मंत्र पीएम नरेन्द्र मोदी ने दिया। दत्तोपंत जी ने इसपर उस समय जोर दिया था। पीएम जोर देते हैं कि अगर आप सीढ़ी चढ़ सकते हैं तो चढ़कर जाओ। उससे बिजली बचेगी, सेहत ठीक रहेगी। उसमें आज की सरकार ने जीवनशैली बदलने का आमंत्रण दिया है जिससे पर्यापवरण संरक्षण में मदद मिलेगी।
चौथा विषय- रोजगार के विषय में दत्तोपंत जी ने कहा था स्वरोजगार की दिशा में आगे बढ़ना है न कि वेतन धारी नौकरी की तरफ। भारत के डीएनए में इंटरप्रन्योनरशिप है। उस समय कांग्रेस के द्वारा सेंट्रलाइज प्लानिंग की गई थी उस समय दिल्ली में बैठकर एक ही मॉडल में हर राज्य के विकास की प्लानिंग करते थे। उसमें सबसे ज्यादा छोटे उद्यमियों को सबसे ज्यादा दबाया गया। आज अगर ईकोनॉमी कम है तो उसकी वजह उस समय की नीति है। दत्तोपंत जी का विचार था कि युवा नौकरी देने वाले बनें न कि नौकरी खोजने वाले। दत्तोपंत जी ने कहा था लाल की गुलामी छोड़ो बोलो वंदे मातरम्। कम्युनिज्म और सोशलिज्म के नीचे गुलामी मत करो। इसलिए भारतीय मजदूर संघ का झंडा भगवा है लाल नहीं। दत्तोपंत जी ने भगवा देकर वंदेमातरम् कहने का सबको बुलावा दिया। आज दिल्ली और मप्र की सरकार इन्ही सिद्धांतों पर सरकार चल रही है।

सीतारमण के भाषण के कुछ खास बिन्दु

भारत में पूंजी ले आओ लेकिन यहीं प्रोडक्शन करो अब हमारा ये कहना है।
भारत में तीसरे नंबर पर सबसे ज्यादा स्टार्टअप भारत में बन रहे हैं।
एक बिलियन डॉलर वाले यूनिकॉर्न सबसे ज्यादा भारत में जन्म लिए।
1980 से 2000 के बीच जन्मे लोग 7 करोड़ लोग हैं। ये युवा ताकत भारत देश की है। ये स्टार्टअप की क्रांति भारत के युवा की है। देश में भाजपा और मोदी जी की सरकार ने स्टार्टअप की पॉलिसी बनाकर प्रोत्साहन दिया।
अगले 25 सालों के लिए टेक्नोलॉजी का उपयोग करने वाला भारत बना रहे हैं।
दो लाख करोड़ से ज्यादा बचत हुई है। डीबीटी के जरिए जो पैसा जाता है उसका आधार वेरिफिकेशन होता है। जो जिन्दा है उसके खाते में पैसा जाता है।

कांग्रेस के समय में जो मर गए जिनका जन्म नहीं हुआ उनको भी पैसा मिलता था।

सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा- हमारा देश अद्भुत है। अगर थोडे़ पीछे चले जाएं। दो सौ साल के गुलामी के कालखंड को छोड़ दें तो भारत का स्थान सभ्यता संस्कृति और आर्थिक रूप से सबसे ऊपर था। मुगल काल में आर्थिक सांस्कृतिक दमन के बाद जीडीपी में 25 फीसदी योगदान भारत का होता था। ब्रिटिश काल में हमारा योगदान घटकर 4 फीसदी रह गया। और 1970 में ये गिरकर 3 फीसदी रह गया। लेकिन आज पीएम नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में अर्थव्यवस्था में हमारी भागीदारी 9.5% पहुंच गई है।

मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने कहा कि मप्र ने तय किया है 5सौ ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाकर देंगे। 2014 के पहले भारत घोटालों का भारत था। अब कभी मत कहियेगा कि हमारी हिन्दी कमजोर है

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