श्योपुर: श्योपुर जिले के विजयपुर अस्पताल में महिला नसबंदी शिविर के दौरान शर्मनाक तस्वीरें सामने आई। जिम्मेदारों ने बड़े रूप में शिविर तो आयोजित कर दिया, लेकिन अस्पताल में बेड और स्ट्रैचर तक के इंतजाम नहीं किए। नसबंदी ऑपरेशन के बाद महिलाओं को परिजन उठाकर ओटी से बाहर लाए। इतना ही नहीं बेड की व्यवस्था नहीं होने पर महिलाओं को जमीन पर ही लिटाना पड़ा।9 डिग्री तापमान में महिलाएं जमीन पर ठंड से ठिठुरती रही, लेकिन जिम्मेदारों ने रजाई-गद्दे तक के इंतजाम नहीं किए। नसबंदी करवाने आई महिलाओं के परिजनों का आरोप हैं कि टारगेट को पूरा करने के चक्कर बदहाल इंतजामों के बीच यह शिविर आयोजित किया। परिजनों ने ये भी कहा कि 24 घंटे में यहां 94 महिलाओं का नसबंदी ऑपरेशन हुआ है, जिसे सिर्फ दो डॉक्टरों ने किया। इसमें खुद श्योपुर के सीएमएचओ भी थे, लेकिन उन्होंने व्यवस्थाओं पर कोई ध्यान नहीं दिया और ऑपरेशन में लगे रहे।दो डॉक्टरों ने की 94 महिलाओं कीजिला मुख्यालय से 150 किलोमीटर दूर विजयपुर के सामुदायिक अस्पताल में महिला नसबंदी शिविर आयोजित हुआ। शिविर में गुरुवार को 77 महिलाओं की नसबंदी हुई, शुक्रवार को सुबह 11 बजे तक 17 और महिलाओं की नसबंदी हुई। हैरान कर देने वाली बात है कि इन सभी महिलाओं का ऑपरेशन सिर्फ दो डॉक्टरों ने किया। यानी एक डॉक्टर ने 47 महिलाओं की नसबंदी कर दी। इन डॉक्टरों के साथ सहायक के रूप में ट्रेनी डॉक्टर भी मौजूद थे।9 डिग्री तापमान, परिजन किराए से लाए कंबलविजयपुर अस्पताल में बेड की इंतजाम नहीं होने की वजह से महिलाओं को जमीन पर लिटाया गया। इस दौरान उनके लिए गद्दा-रजाई तक के इंतजाम नहीं किए। इस वजह से महिलाएं ठंड से ठिठुरते रही, बाद में परेशान परिजनों ने किराए पर कंबल इंतजाम किया। तब कहीं जाकर महिलाओं को ठंड से राहत मिली।गुरुवार को श्योपुर के विजयपुर में रात का तापमान 9 डिग्री तक पहुंच गया था। इस ठंड में भी महिलाएं बिना कंबल, रजाई और गद्दे के लेटी रहीं।गोद में उठाकर ले गए परिजनइस शिविर में महिलाओं को लिटाने के लिए न तो बैड हैं, नहीं उन्हें लाने ले जाने के लिए स्ट्रैचर और एम्बुलेंस के इंतजाम। इन हालातों में महिलाओं को जमीन पर लिटा कर उनकी नसबंदी की जा रही है। महिलाओं को लाने ले जाने का काम उनके परिजन कर रहे हैं। स्ट्रैचर नहीं होने की वजह से नसबंदी कराने वाली महिलाओं को उनके महिला और पुरुष परिजन हाथ पैर पकड़ कर और गोद में उठा कर गाड़ियों तक पहुंचा रहे हैं। मरीजों के परिजनों का कहना है कि जिम्मेदारों को उनकी जान से ज्यादा सिर्फ टारगेट पूरा करने की परवाह है।नसबंदी ऑपरेशन के बाद महिलाओं को ले जाने के लिए स्ट्रैचर की व्यवस्था नहीं थी। इसलिए परिजन महिलाओं को गोद में उठाकर ले गए।टारगेट पूरा करने के लिए जल्दबाजीनसबंदी करवाने आई महिला के परिजन घनश्याम रावत ने बताया कि नसबंदी शिविर में ना तो बेड के इंतजाम है और न ही स्ट्रैचर के। श्योपुर से आए 2 डॉक्टर नसबंदी कर रहे हैं। जो लगातार नसबंदी पर नसबंदी कर रहे हैं, कोई महिला चिकित्सक भी नहीं है। टारगेट को पूरा करने के लिए डॉक्टर दिन-रात नसबंदी कर रहे हैं। हमें तो डर है कि इस जल्दबाजी में किसी महिला को कुछ हो न जाए, यहां 4 डॉक्टर चेकअप कर रहे हैं।बिजली नहीं होने से रात को अंधेरे में लेटी रहीं महिलाएंगुरुवार की रात विजयपुर अस्पताल की बिजली गुल होने की वजह से महिलाएं अंधेरे में लेटी रही। स्वास्थ्य विभाग के सीएमएचओ डॉ. बीएल यादव खुद नसबंदी करने विजयपुर पहुंचे। फिर भी इन बदहाल इंतजामों को देखते हुए उन्होंने न तो वहां इंतजाम करना उचित समझा और नहीं महिलाओं की परेशानी समझी। इस बारे में सीएमएचओ डॉ. बीएल यादव ने कहा कि मैं अभी नसबंदी शिविर में हूं, इस बारे में थोड़ी देर बाद बात करूंगा।साला गांव से आए पंचम सिंह का कहना है कि वह अपनी पत्नी को नसबंदी के लिए विजयपुर अस्पताल लेकर आए हैं। यहां कोई इंतजाम नहीं है, बहुत परेशानी आ रही है। वहीं घनश्याम रावत का कहना है कि शिविर में कोई इंतजाम नहीं है, नसबंदी कराने वाली महिलाओं को जमीन पर लिटाया गया है। स्ट्रैचर की भी व्यवस्था नहीं है।
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