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एक मामले में फौरी कार्रवाई दूसरे की अटकाई फाइल

बिलासपुर। अवैध कब्जा तोड़ने के मामले में रतनपुर तहसीलदार का दोहरा चेहरा देखने को मिल रहा है। उन्होंने बिलासपुर—कटघोरा मार्ग में शनिचरी बाजार के पास हुए अवैध कब्जे को महज एक सप्ताह के भीतर ही ढहा दिया। वहीं एक जमीन मालिक की ओर से अवैध कब्जे की शिकायत किए महीनों गुजर गए अब तक संबंधित के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा रही है। दरअसल, पीड़ित की जमीन के सामने भाजपा के एक पूर्व पार्षद ने कब्जा कर लिया है। रास्ता नहीं मिलने के कारण वे खेती नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने कलेक्टर जनदर्शन मेें भी इसकी शिकायत दर्ज कराई है।

बिलासपुर निवासी महेंद्र अग्रवाल ने खेती के लिए बिलासपुर—कटघोरा एनएच पर 61 डिसमिल जमीन खरीदी है। इसका खसरा नंबर 5584 है। 2018 में विक्रय पत्र पर उनका नाम दर्ज है। इस जमीन के सामने ही शासकीय भूमि है। महेंद्र की ओर से इसके पहले की वे खेती शुरू करते भाजपा के एक पूर्व पार्षद जयप्रकाश कश्यप ने सामने की शासकीय भूमि पर कब्जा कर ढाबा का निर्माण कर दिया। सामने कब्जा करने से पीछे की जमीन का रास्ता अवरुद्व हो गया। इससे जमीन मालिक महेंद्र खेती नहीं कर पा रहे हैं।

महेंद्र ने कब्जा करने वाले से रास्ता छोड़ने की गुजारिश भी की, लेकिन वह कब्जा छोड़ने के लिए तैयार नहीं है। इस पर महेंद्र ने इस साल के अप्रैल माह में उन्होंने रतनपुर तहसीलदार शिल्पा भगत के कोर्ट में मामला पेश किया। तहसीलदार ने 13 अप्रैल को पटवारी को पत्र लिखकर जांच प्रतिवेदन सौंपने के लिए कहा। जांच के बाद पटवारी ने प्रतिवेदन तहसीलदार को सौंप दिया।

इसके बाद आठ तहसीलदार ने महेंद्र अग्रवाल को जवाब पेश करने के लिए तलब किया। यहां दिनभर उन्हें बैठाया गया, लेकिन मामले में क्या कार्रवाई की गई इस संबंध में कोई भी दस्तावेज नहीं दिया गया। अभी तक पीड़ित अवैध कब्जा हटवाने के लिए भटक रहे हैं। मामले में कोटा एसडीएम हरीओम द्विवेदी और रतनपुर तहसीलदार शिल्पा भगत से बात करने की कोशिश की गई, लेकिन दोनों ने फोन ही रिसीव नहीं किया।

कलेक्टर से लगाई गुहार

कब्जा हटवाने के लिए तहसीलदार शिल्पा भगत को दिए आवेदन में अब तक कार्रवाई नहीं हुई है। इससे परेशान होकर महेंद्र अग्रवाल कलेक्टर जनदर्शन में उपस्थित होकर अपनी पीड़ा बताई। 18 जुलाई को उन्होंने कलेक्टर जनदर्शन में अवैध कब्जे की शिकायत दर्ज कराई है। इस पर कलेक्टर ने मामले को गंभीरता से लिया है। साथ ही शिकायत को पंजी में दर्ज किया है।

दूसरे मामलों में तत्परता

एक ओर रतनपुर के शनिचरी बाजार के पास निजी भूमि पर सालों से काबिज 18 परिवारों के कब्जे को एक सप्ताह के भीतर नोटिस जारी कर बिना उनका पक्ष सुने ढहा दिया। वहीं दूसरे मामलों में इस तरह की कार्रवाई न करना कई सवाल खड़े हो रहे हैं।

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