किस कमी से हो रहा सफेद दाग, रिसर्च स्कॉलर ने बताए विटिलिगो से बचाव के उपाए

भोपाल: दुनिया में एक प्रतिशत और भारत की करीब 3 प्रतिशत आबादी विटिलिगो यानि सफेद दाग जैसी बीमारी से जूझ रही है. जिसमें रोगी के शरीर के विभिन्न भागों पर सफेद धब्बे दिखाई देने लगते हैं. यह समस्या किसी भी आयु अथवा लिंग के व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है. इस बीमारी को लेकर भोपाल की अनम खान ने रिसर्च पेपर तैयार किया है. वो भोपाल एम्स में बायो कैमेस्ट्री विभाग और बरकतउल्ला के बायो टेक्नालाजी विभाग से सयुंक्त रुप से पीएचडी कर रही है.
जिंक-कापर की कमी और आक्सीडेटिव स्ट्रेस अधिक
अनम खान ने अपने अध्ययन में पाया कि विटिलिगो से प्रभावित व्यक्तियों में जिंक और कॉपर जैसे आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी पाई गई. वहीं ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस का स्तर भी अधिक पाया गया. यदि शरीर में जिंक व कॉपर का संतुलन बनाए रखा जाए और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम किया जाए, तो त्वचा के वापस पुरानी स्थिती में आने की संभावना बनी रहती है. अनम ने बताया कि यह निष्कर्ष महत्वपूर्ण है, क्योंकि भविष्य में इससे व्यक्तिगत उपचार की दिशा में बेहतर परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं.
विटिलिगो एक ऑटो इम्यून डिसआर्डर
एम्स भोपाल के डायरेक्टर प्रो. माधवानंद ने अनम खान द्वारा “विटिलिगो को लेकर किए गए रिसर्च की प्रशंसा करते हुए बताया कि इस शोध का उद्देश्य यह समझना था कि डीएनए की मरम्मत करने वाली प्रक्रिया बेस एक्सिशन रिपेयर से संबंधित जीन में पाए जाने वाले आनुवंशिक परिवर्तन विटिलिगो के विकास में क्या भूमिका निभाते हैं. वहीं विटिलिगो से प्रभावित मरीजों में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस अर्थात शरीर में बनने वाले हानिकारक रसायनों का स्तर, स्वस्थ व्यक्तियों की तुलना में कितना अधिक है. प्रो. माधवानंद ने बताया कि विटिलिगो एक ऑटो इम्यून डिसआर्डर है.
यह हमारे इम्यून सिस्टम से जुड़ा होता है. इस स्थिति में त्वचा का रंग निर्धारित करने वाली मेलानोसाइट्स कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं और अपना काम करना बंद कर देती है. इसका असर शरीर के उस हिस्से पर सफेद दाग के रुप में देखने का मिलता है.”
अनम एम्स भोपाल की पहली सीएसआईआर फेलो
विटिलिगो (सफेद दाग) की जैवरासायनिक समझ विकसित करने के लिए अनम खान को सीएसआईआर डायरेक्ट सीनियर रिसर्च फैलोशिप और एमपी काउंसिल अवार्ड मिल चुका है. एम्स भोपाल में बायोकैमिस्ट्री के विभागाध्यक्ष प्रो. जगत राकेश कंवर ने बताया कि “अनम एम्स भोपाल की पहली सीएसआईआर डायरेक्ट फेलो हैं. उनका विटिलिगो अनुसंधान भविष्य में व्यक्तिगत उपचार विकसित करने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है.”
विटिलिगो से इस तरह करें बचाव
प्रो. जगत राकेश कंवर ने बताया कि “विटिलिगो एक ऐसी स्थिति है, जो आपकी त्वचा में कास्मेटिक बदलाव करती है. इसके इलाज की जरुरत नहीं है, क्योंकि यह इतना खतरनाक नहीं है, लेकिन इससे आपकी त्वचा प्रभावित होती है, जिससे मरीज कॉफिडेंस कमजोर होता है. प्रो. राकेश कंवर ने बताया कि विटिलिगो मरीज में तनाव के स्तर को बढ़ा सकता है. इसलिए योग और ध्यान करने के साथ खुद को सकारात्मक उर्जा से ओतप्रोत रखने की जरुरत है.
इससे बचने के लिए आपने खानपान में विटामिन बी 12, सी और डी से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे फल, हरी सब्जियां, अंकुरित अनाज जैसी चीजों को अपनी डाइट में शामिल करें. वहीं धूप में निकलने से पहले सनस्क्रीन लगाने के साथ त्वचा को बचाने का इंतजाम करके निकलें.






