नई दिल्ली । केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह गत दिवस बिहार दौरे पर थे। इस दौरान उनके तेवर बदले हुए नजर आ रहे थे। लौरिया से पटना तक भाजपा के चाणक्य काफी आक्रामक अंदाज में दिखे। उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीमो लालू यादव से अधिक गत दिवस बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सुनाया। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि वह 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार की छवि को धूमिल करना चाहते हैं, जो कि बीजेपी के विजय रथ को रोकने के लिए विपक्षी एकता की कोशिश में लगे हैं। अमित शाह ने इसके लिए कथित जंगलराज का सहारा लिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हों या फिर अमित शाह, दोनों ही गत दिवस की रैली से पहले तक नीतीश कुमार पर सीधा हमला करने से परहेज किया करते थे। इसका सबसे बड़ा कारण उनकी छवि है। हालांकि, बार-बार गठबंधन तोड़ने के कारण इसे नुकसान पहुंचा है। यही कारण है कि कल चंपारण से पटना तक अमित शाह ने नीतीश पर जुबानी आक्रमण का एक भी मौका नहीं छोड़ा। इतना ही नहीं, 2024 की लड़ाई जीतने के लिए बीजेपी की नजर बिहार की 40 लोकसभा सीटों पर है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को बेतिया के लौरिया स्थित साहू जैन हाई स्कूल मैदान में आयोजित जनसभा में 2024 का चुनावी शंखनाद करते हुए बिहार की महागठबंधन सरकार पर तीखे हमले किए। उन्होंने कहा कि यह तेल व पानी का गठबंधन है। इसमें जदयू पानी और राजद तेल है। अमित शाह ने कहा कि लालटेन से धधक उठ रही है। इससे पूरा राज्य धधक रहा है। बिहार की जनता 2024 में लालटेन की लौ बुझा देगी। गृहमंत्री ने तंज कसा कि नीतीश ने लालू प्रसाद यादव से गुप्त समझौते के तहत तेजस्वी को कुर्सी सौंपने का वादा किया है। हर दूसरे दिन राजद के लोग उनसे कुर्सी सौंपने की तारीख पूछ रहे हैं, लेकिन वे नहीं बताते। उन्हें राजनीति में पारदर्शिता रखते हुए तेजस्वी को कुर्सी सौंपने की तारीख बता देनी चाहिए। शाह ने यह भी कहा कि अब नीतीश कुमार के लिए भाजपा के दरवाजे हमेशा के लिए बंद हो चुके हैं।
अमित शाह ने तंज कसते हुए कहा कि नीतीश कुमार को हर तीन साल पर प्रधानमंत्री बनने का सपना आता है। पीएम पद के लिए वे विकासवादी से अवसरवादी हो गए। पिछले चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद भाजपा ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाया, लेकिन वे उसी राजद व कांग्रेस की गोद में बैठ गए, जिनके खिलाफ वे लड़ाई लड़ रहे थे। पटना में किसान-मजदूर समागम में गृह मंत्री ने कहा कि देश की दो लाख पंचायतों में डेयरी समूह बनना है। बिहार में डेयरी की भरपूर संभावना है। उन्होंने तंज कसा कि बिहार में जिस चारा चरने वाले के साथ नीतीश कुमार चले गए, उनके साथ रहकर वे डेयरी का काम कैसे कर सकते हैं। खेती-किसानी का वे भला नहीं कर सकते। जीवनभर कांग्रेस और जातिवादी राजनीति की मुखालफत करने वाले नीतीश कुमार आज लालू-सोनिया की शरण में हैं।
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