वंदे भारत एक्सप्रेस को लेकर सरकार लगातार नए बदलाव कर रही है. आधुनिक तकनीक से लेकर यात्रियों की सुविधाओं का पूरा ख्याल रखा जा रहा है. अब सरकार ने इस हाई स्पीड ट्रेन को लेकर बड़ा ऐलान किया है. देश की हाई-स्पीड वंदे भारत ट्रेनें अब एल्युमिनियम से बनेंगी. इसलिए पहले के मुकाबले ये ट्रेन अधिक हल्की व एनर्जी एफिशिएंट साबित होंगी. जानकारी के मुताबिक, वंदे भारत ट्रेन के कोच अब स्टील की बजाय एल्युमिनियम से तैयार होंगे. पहले चरण में 100 एल्युमिनियम-बॉडी वाली वंदे भारत ट्रेनों को तैयार किया जाएगा.
रेलवे ने मांगी थीं बोलियां
इसके लिए रेलवे ने पिछले दिनों नई वंदे भारत एल्युमीनियम ट्रेनों के लिए बोलियां आमंत्रित की थीं, जिस पर कई कंपनियों ने ट्रेनों की मैन्युफैक्चरिंग व रखरखाव के लिए बोली लगाई है. इन आवेदकों में फ्रांस की एल्सटॉम, हैदराबाद की मेधा सर्वो ड्राइव्स ने प्रोजेक्ट के लिए बोली लगाई है.वहीं रूस की फर्म ट्रांसमैशहोल्डिंग (टीएमएच) और रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) के जॉइंट एंटरप्राइज ने भी 200 लाइटवेट वंदे भारत ट्रेनों की मैन्युफैक्चरिंग व रखरखाव के लिए सबसे कम बोली लगाई है.
जानकारी के मुताबिक, कंसोर्टियम ने करीब 58,000 करोड़ रुपये की बोली लगाई है, जिसमें एक ट्रेन सेट के मैन्युफैक्चरिंग की लागत 120 करोड़ रुपये है, यह आईसीएफ-चेन्नई की बनाई गई आखिरी वंदे भारत ट्रेनों की लागत 128 करोड़ रुपये प्रति सेट से कम है. दूसरी सबसे कम बोली टीटागढ़-बीएचईएल की थी, जिसने एक वंदे भारत के विनिर्माण की लागत 139.8 करोड़ रुपये लगाई.
अब तक मिलीं सिर्फ 10 ट्रेनें
हालांकि, अभी इसकी कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है लेकिन ये तय माना जा रहा है कि आगे आने वाली वंदे भारत ट्रेनों की मैन्युफैक्चरिंग अब रूस की फर्म ट्रांसमैशहोल्डिंग (टीएमएच) और रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) करेंगे. देश को अब तक केवल दस वंदे भारत ट्रेनें मिली हैं. ये तय टारगेट 200 वंदे भारत ट्रेनों से कोसों दूर है. इसलिए ट्रेन मैन्युफैक्चरिंग के काम को रफ्तार देने के लिए रेलवे ने प्राइवेट कंपनियों का सहयोग लेने का फैसला किया था.
पहली बार इन कंपनियों की बनाई जाने वाली वंदे भारत ट्रेनों में एल्युमीनियम से बने कोच होंगे. अभी तक इन सेमी-हाई स्पीड ट्रेनों को स्टेनलेस स्टील से बनाया जा रहा था. एल्युमीनियम बॉडी वंदे भारत ट्रेनों को हल्का और ज्यादा एनर्जी एफिशिएंट बनाएगा. साथ ही, इन ट्रेनों की लागत भी कम हो जाएगी. रेलवे डील की शर्तों के मुताबिक भारतीय रेल इन कंपनियों को इंफ्रा और फैक्ट्री मैन्युफैक्चरिंग की सुविधा देगा. लेकिन इन कंपनियों को ट्रेनों के मैन्युफैक्चरिंग करने के साथ ही अगले 35 साल तक रखरखाव में भी मदद करनी होगी.