भोपाल। राजधानी के कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में सातवां धर्म-धम्म सम्मेलन आज से शुरू होने जा रहा है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने इस सम्मेलन का शुभारंभ किया। पांच मार्च तक चलने वाले इस आयोजन में भूटान, श्रीलंका, इंडोनेशिया, नेपाल और भारत के संस्कृति मंत्री भाग लेंगे। सम्मेलन ‘नए युग में मानववाद का सिद्धांत” विषय पर हो रहा है। उद्घाटन कार्यक्रम में राज्यपाल मंगुभाई पटेल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश की संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर और सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. नीरजा गुप्ता भी मौजूद हैं। कार्यक्रम के दौरान ‘द पेनारोमा ऑफ इंडियन फिलोसफर्स एंड थिंकर्स’ पुस्तक का विमोचन किया गया।
बच्चा-बच्चा गाता है धर्म की जय हो – शिवराज
कार्यक्रम में अपने संबोधन के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि यह मध्यप्रदेश का सौभाग्य है कि 7वें धर्म धम्म सम्मेलन का आयोजन इस धरती पर हो रहा है। यहां पधारे सभी गणमान्यजनों और नागरिकों का प्रदेश वासियों की ओर से स्वागत करता हूं। भारत अत्यंत प्राचीन और महान राष्ट्र है। एक ही चेतना समस्त जड़ और चेतन में विद्यमान है, यही भारत का मूल चिंतन है। इसीलिए भारत में कहा गया कि “सियाराम मय सब जग जानी”, “अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम्। उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्”।। भारत के गांव-गांव में बच्चा-बच्चा यह उद्घोष करता है कि ‘धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो, प्राणियों में सद्भावना हो और विश्व का कल्याण हो।’ सीएम शिवराज ने आगे कहा कि भगवान बुद्ध कह गए हैं कि ‘युद्ध नहीं शांति, घृणा नहीं प्रेम, संघर्ष नहीं समन्वय, शत्रुता नहीं मित्रता’ और यही वो मार्ग है जो भौतिकता की अग्नि में दग्ध विश्व मानवता को शांति का दिग्दर्शन कराएगा। मुझे कहते हुए प्रसन्नता है कि धर्म धम्म का पहला सिद्धांत सभी जीवों के साथ दया और सम्मान के साथ व्यवहार करना है। एक ही चेतना सब में है। सीएम शिवराज ने कहा कि धर्म-धम्म सम्मेलन में अलग-अलग बिंदुओं पर विद्वान गंभीर चिंतन और मनन करेंगे। मुझे पूरा विश्वास है कि इस चिंतन से जो अमृत निकलेगा, वो दुनिया को शाश्वत शांति के पथ का दिग्दर्शन कराने में सफल होगा।
तीन दिवसीय इस सम्मेलन के दौरान 115 शोध पत्र पढ़े जाएंगे। परिचयात्मक (कीनोट) सत्र में राम जन्मभूमि न्यास के सचिव स्वामी गोविंद देव गिरी महाराज, श्रीलंका के प्रो. कोटापितिये राहुल अनुष्का थेरो और स्वामीनारायण शोध संस्थान अक्षरधाम के महोमुखोपाध्याय साधु भद्रेश दास अपने विचार व्यक्त करेंगे। मुख्य सत्र में अमेरिका से प्रो. डेविड फ्राले, ब्रिटेन के डा. इयान बेकर, दक्षिण कोरिया के प्रो. जियो ल्योंग ली, थाइलैंड से डां. सुपची वीरपुचांग, चिन्मय मिशन के स्वामी मित्रानंद और पंजाब केंद्रीय विवि के चासंलर प्रो. जगबीर सिंह मौजूद रहेंगे।