ब्रेकिंग
RSS के 100 साल पूरे, संगठन में बड़े बदलाव की तैयारी; क्या-क्या बदलेगा? तेजाब हमले के बाद 16 साल की लड़ाई, आखिर क्यों बरी हो गए शाहीन के आरोपी? क्रिस्मस के दिन बंद रहेगा शेयर बाजार, नहीं होगा सोना-चांदी का कारोबार, ये रही 2026 की हॉलिडे लिस्ट वरदान नहीं, मुसीबत भी बन सकता है AI! इन सलाहों से रखें दूरी कम बजट में क्रिसमस सेलिब्रेशन, इन यूनिक तरीकों से बच्चे होंगे खुश उत्तराखंड, हिमाचल और जम्मू-कश्मीर… जानें कैसा रहेगा आज तीनों पहाड़ी राज्यों का मौसम इंद्रेश उपाध्याय ने खत्म किया विवाद: यादव समाज की नाराजगी के बाद जारी किया माफीनामा, सफाई में दी अपन... कर्नाटक में 'मौत का सफर': ट्रक से टकराते ही आग का गोला बनी स्लीपर बस, 9 यात्री जिंदा जले पीएम मोदी का क्रिसमस संदेश: पवित्र प्रार्थना सभा में शिरकत की, ईसाई समुदाय को दीं प्रभु यीशु के जन्म... अब सिर्फ चेहरा नहीं, रणनीतिकार भी": नए साल में कांग्रेस का पावर बैलेंस बदलेगा, प्रियंका गांधी के पास...
देश

गठबंधन साथी या खुद सपा? आंकड़ों से समझें हार के लिए कौन कितना जिम्मेदार

लखनऊ  उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) और गठबंधन सहयोगियों को बड़ी हार का सामना करना पड़ा है। अखिलेश यादव की कप्तानी में सपा, राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) और अपना दल (कमेरावादी) का गठबंधन 125 सीटों पर सिमट गया। वहीं, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने सहयोगियों निषाद पार्टी और अपना दल (एस) के साथ मिलकर ना सिर्फ सत्ता में वापसी की बल्कि इतिहास भी रच दिया। जीत-हार की खुशी और गम के बीच पार्टियों के लिए अब यह समय आंकड़ों के विश्लेषण का है। आपके मन में भी यह सवाल जरूर होगा कि भाजपा के जीत में उसके सहयोगियों की भूमिका कैसी रही और सपा की हार में साथी किस हद तक जिम्मेदार रहे? आइए आंकड़ों के जरिए इसे समझने की कोशिश करते हैं।

पिछले कुछ चुनावों में यूपी की राजनीति ने गठबंधन के कई नए प्रयोग देखे हैं। कुछ सफल हुए तो कुछ पूरी तरह फ्लॉप। गठबंधन की सफलता या असफलता सबसे अधिक इस बात पर निर्भर करता है कि पार्टियां एक दूसरे को कितना वोट ट्रांसफर कर पाईं। इस मामले में सपा और रालोद को पहले ही चरण में बड़ा झटका लगा, जहां वोट शेयर के मामले में भाजपा सपा से 18 फीसदी आगे रही। रालोद महज 8 सीट जीत पाई तो अपना दल (कमेरावादी) का खाता भी नहीं खुल सका। पार्टी नेता पल्लवी पटेल ने उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को सिराथू सीट से हराया, लेकिन वह सपा के सिंबल पर चुनाव लड़ीं।

सपा गठबंधन में शामिल दलों का स्ट्राइक रेट

इकनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अखिलेश यादव की अपनी पार्टी भी कप्तानी पारी नहीं खेल पाई और उसके एक तिहाई से भी कम उम्मीदवार जीत दर्ज कर सके। साइकिल चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़े 343 उम्मीदवारों में से 111 ही जीत दर्ज कर सके। वहीं सुभासपा के 17 में से 6 उम्मीदवार जीतने में कामयाब रहे और पार्टी का स्ट्राइक रेट 35 फीसदी रहा। अपना दल (कमेरावादी) का तो खाता तक ना खुल सका। 5 सीटों में से एक भी नहीं जीत पाई। वहीं, रालोद के 33 प्रत्याशियों में से 8 को ही जीत मिली। जयंत की पार्टी का स्ट्राइक रेट 24 फीसदी रहा।

भाजपा गठबंधन में किसका कैसे प्रदर्शन

भगवा कैंप की जीत में भाजपा का अहम योगदान रहा और उसने कप्तानी पारी खेली। पार्टी दो तिहाई सीटों पर जीतने में कामयाब रही। कुल 370 में से 255 प्रत्याशी जीते। भाजपा के सहयोगी दलों के प्रदर्शन की बात करें तो निषाद पार्टी ने 16 में से 6 सीटें जीत लीं और 38 फीसदी का स्ट्राइक रेट रहा। वहीं अपना दल (एस) का प्रदर्शन तो और भी लाजवाब रहा। पार्टी को 17 सीटों में से 12 पर जीत मिली और 71 फीसदी का स्ट्राइक रेट रहा।

Related Articles

Back to top button