निदेशालय ने स्पष्ट कहा है कि कोई भी निजी स्कूल कम से कम तीन साल तक स्कूल की वर्दी के रंग, डिजाइन व अन्य कोई बदलाव नहीं कर सकते हैं। वर्दी में बदलाव होने पर अभिभावकों को हर साल वर्दी खरीदनी पड़ जाती है, जिससे उन पर अतिरिक्त आर्थिक दबाव पड़ता है।
निजी स्कूल अपने विद्यार्थियों को किताबें एवं स्कूल की वर्दी (ड्रेस) किसी खास विक्रेता से खरीदने पर बाध्य नहीं कर सकेंगे। स्कूलों को अपनी वेबसाइट पर किताबें व वर्दी खरीदने के लिए कम से कम पांच दुकानों की सूची जारी करनी होगी। वहीं स्कूल तीन साल तक वर्दी में किसी तरह का बदलाव नहीं कर सकेंगे। शिक्षा निदेशालय ने यह आदेश जारी कर दिया है। स्पष्ट कहा है कि आदेश का उल्लंघन करने वाले स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
दिल्ली के स्कूलों में नया सत्र (2023-24) एक अप्रैल से शुरू होने वाला है। स्कूल खुलने पर किताबों व वर्दी की जरूरत होगी। हर साल निजी स्कूल संचालक अपने विद्यार्थियों पर किसी खास विक्रेता से वर्दी एवं किताब कॉपियां खरीदने का दबाव बनाते हैं। दरअसल निजी मान्यता प्राप्त स्कूल किताबों-पाठ्य सामग्री व वर्दी के नाम पर अभिभावकों से मोटा पैसा लेते हैं। उन्हें निजी प्रकाशकों की पुस्तकें खरीदने के लिए बाध्य किया जाता है, जो कि एनसीईआरटी की किताबों के मुकाबले में काफी महंगी होती हैं।
इसे देखते हुए शिक्षा निदेशालय ने किसी खास विक्रेता से किताबें व वर्दी खरीदने के लिए बाध्य नहीं करने की व्यवस्था बीते साल से शुरू की थी। निदेशालय के नोटिस में आया है कि कुछ स्कूल इस व्यवस्था को लागू करने के लिए दिए गए आदेशों का पालन नहीं कर रहे हैं। इसके बाद निदेशालय ने आगामी नए सत्र से पहले एक बार फिर स्कूलों को आदेश जारी किए हैं।
निदेशालय ने स्पष्ट कहा है कि कोई भी निजी स्कूल कम से कम तीन साल तक स्कूल की वर्दी के रंग, डिजाइन व अन्य कोई बदलाव नहीं कर सकते हैं। वर्दी में बदलाव होने पर अभिभावकों को हर साल वर्दी खरीदनी पड़ जाती है, जिससे उन पर अतिरिक्त आर्थिक दबाव पड़ता है। आदेश में कहा गया है कि स्कूल किताबों व अन्य पाठ्य सामग्री की कक्षावार सूची स्कूल की वेबसाइट और विशिष्ट
स्थानों पर प्रदर्शित करेंगे।
स्कूल अपनी वेबसाइट पर स्कूल के नजदीक की कम से कम पांच दुकानों का पता और टेलीफोन नंबर भी प्रदर्शित करेंगे। जिससे कि अभिभावक अपनी सुविधानुसार उन दुकानों से किताबें व ड्रेस खरीद सकें। इस आदेश की अवहेलना को गंभीरता से लिया जाएगा और दिल्ली स्कूल एजुकेशन एक्ट 1973 के तहत कार्रवाई भी की जा सकती है। दिल्ली अभिभावक संघ की अध्यक्ष अपराजिता गौतम ने कहा कि एक बार फिर नई तारीख के साथ आदेश आया है। अब इस आदेश की अवहेलना स्कूल करता है तो अभिभावक जिला उपशिक्षा निदेशक (जोन) को लिखित शिकायत सबूतों के साथ दें।