सूरत कोर्ट ने मानहानि मामले में राहुल गांधी को दोषी करार देते हुए 2 साल की सजा सुनाई थी. इस फैसले के बाद लोकसभा सचिवालय ने राहुल गांधी की संसद की सदस्यता को रद्द कर दिया है. जनप्रतिनिधि कानून के मुताबिक, अगर सांसदों और विधायकों को किसी भी मामले में 2 साल या उससे ज्यादा की सजा होने पर उनकी सदस्यता (संसद और विधानसभा से) रद्द हो जाती है। वही इस पूरे मामले में केंद्रीय राज्यमंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।
जनता देगी कम से कम 20 साल की सजा
प्रहलाद सिंह पटेल ने आगे कहा कि पूर्व सासंद राहुल गांधी को सूरत के माननीय न्यायालय ने मोदी उपनाम से जुड़े मानहानि मामले में दो साल की सजा दी है। लेकिन मुझे पूरा यकीन है कि जनता की अदालत उन्हें इससे भी बड़ी सजा देगी। जनता कम से कम उन्हें 20 साल की सजा देगी। उन्होंने जो अपराधा किया है वो क्षमा योग्य नहीं है। लेकिन इसके बाद भी उन्हें माफी मांगने का मौका था, लेकिन उन्होंने माफी नहीं मांगी। यह उनका अहंकार है। यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट ने भी उन्हें चेताया था। लेकिन शायद वे अपने आप को देश के कानून और संविधान से ऊपर समझते हैं। यही अहंकार की वजह से और उनकी सामंती सोच के कारण आज उनकी लोकसभा से सदस्यता चली गई।
देश की पिछड़ी जातियों और देश का नेतृत्व करने वाले यशस्वी प्रधानमंत्री मा. श्री @narendramodi जी के खिलाफ राहुल गांधी द्वारा जो अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल हुआ था, उसमें कानून और संवैधानिक व्यवस्था ने अपना काम करते हुए उनकी लोकसभा सदस्यता रद्द की है।@PMOIndia @BJP4India pic.twitter.com/bgDjiYxqpP
— Prahlad Singh Patel (@prahladspatel) March 24, 2023
कांग्रेस की सामंती मानसिकता
कांग्रेस की मानसिकता सामंती है। जिस तरह से किसी जाती विशेष को उन्होंने चोर कहा वह दिखाता है कि वे पिछड़ी जातियों के प्रति भेदभाव रखते है। कांग्रेस शायद एक पिछड़ी जाति के व्यक्ति को प्रधानमंत्री के रूप में पचा नहीं पा रही है। राहुल गांधी जब माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के लिए अपशब्द कहते हैं तो वे इस देश के उन लोगों का भी अपमान करते हैं जिन्होंने मोदी जी को प्रधानमंत्री के रूप में चुना है। गांधी परिवार द्वारा इस तरह का मोदी जी का अपमान पहली बार नहीं किया गया। इसके पहले उनकी मां सोनिया गांधी जी भी माननीय प्रधानमंत्री जी के लिए भी अपमान जनक भाषा का इस्तेमाल कर चुकी है। हैरत की बात है कि अपनी गलती मानने की बजाय कांग्रेस पार्टी न्यायालय पर ही सवाल खड़ा कर रही है।