केंद्र और राज्य सरकार के करोड़ों कर्मचारियों की तरफ से पुरानी पेंशन को बहाल करने की मांग की जा रही है. कुछ राज्य सरकारों ने इसको लेकर कर्मचारियों की मांगों को मान लिया है. लेकिन केंद्र सरकार की कोशिश है कि पुरानी और नई पेंशन योजना को लेकर बीच का रास्ता निकाजा जाए. इसी के मद्देनजर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को फाइनेंस बिल पेश करने के दौरान लोकसभा में कहा कि नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में सुधार किये जाने की जरूरत है.
वित्त सचिव की अगुवाई में होगा कमेटी का गठन
एनपीएस में सुधार को वित्त मंत्री ने सरकारी कर्मचारियों की पेंशन से जुड़े मामले में समिति के गठन का प्रस्ताव रखा. कमेटी का गठन वित्त सचिव की अगुवाई में किया जाएगा. सवाल यह है कि कर्मचारियों की लंबे समय से पुरानी पेंशन को बहाल करने की मांग के बीच सरकार बीच का रास्ता निकालने के लिए क्या कदम उठा सकती है? सूत्रों का कहना है सरकार ऐसा रास्ता निकालने की कोशिश कर रही है, जिससे सरकारी खजाने पर अतिरिक्त बोझ डाले बिना कर्मचारियों को खुश किया जा सके.
बीच का रास्ता निकालने की कोशिश
सूत्रों का कहना है मोदी सरकार पुरानी पेंशन की मांग पर बीच का रास्ता निकालने का प्लान कर रही है. सरकार दो विकल्पों को लेकर विचार कर रही है. पहले विकल्प के तौर पर यह विचार किया जा रहा है कि सरकारी कर्मचारियों को एनपीएस के तहत प्राप्त अंतिम वेतन के करीब 50% पर गारंटीशुदा पेंशन दी जाए. इस नियम के लागू होने से सरकारी खजाने पर ज्यादा बोझ डाले बिना मौजूदा एनपीएस में बदलाव किया जा सकेगा.
एनपीएस में इस तरह हो सकता है बदलाव
वित्त मंत्रालय से जुड़े सूत्रों का यह भी कहना है कि एनपीएस में इस तरह बदलाव हो सकता है कि रिटायरमेंट के बाद कर्मचारी को एकमुश्त राशि के रूप में 41.7% राशि मिल जाए. बाकी 58.3% राशि वार्षिकीकरण के आधार पर मिले. विश्लेषण से यह पता चला है कि यदि केंद्र / राज्य सरकार के योगदान (14%) से निर्मित 58.3% कोष का वार्षिकीकरण किया जाता है तो एनपीएस में पेंशन अंतिम आहरित वेतन का लगभग 50% हो सकती है. सरकार की तरफ किसी तरह का आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है.