भोपाल । प्रदेश भाजपा संगठन में दो संगठन मंत्रियों की तैनाती को लेकर साल भर से लगाई जा रही तमाम अटकलों पर अब पूर्णविराम लग दिया है। दरअसल, हाल ही में हरियाणा में हुई संघ की होली बैठक में इससे जुड़े तमाम निर्णय लिए जा चुके हैं। ऐेसे में किसी भी प्रचारक को अब मप्र भाजपा में सह संगठन मंत्री का दायित्व देकर नहीं भेजा जाएगा। मप्र में संगठन के मुखिया हितानंद शर्मा ही रहेंगे। विधानसभा एवं लोकसभा चुनाव तक शर्मा ही संगठन को लीड करेंगे।
पूर्व संगठन महामंत्री सुहास भगत की भाजपा से संघ में वापसी के साथ ही अकटलें लगाई जा रही थीं कि मप्र में सह संगठन मंत्री की दायित्व फिर से सौंपे जाएंगे। ऐसे में प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा को दो प्रमुख सहायत मिल जाएंगे। जिन्हें संघ के अलग-अलग प्रांत की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। इसको लेकर कई बार मंथन भी हुआ था, लेकिन आखिरी में सह संगठन मंत्रियों की परंपरा को आगे नहीं बढ़ाने पर निर्णय हुआ है। उल्लेखनीय है कि पूर्व में भाजपा संगठन में सह संगठन मंत्रियों की व्यवस्था रही है। भगवतशरण माथुर और अरविंद मेनन भी सह संगठन मंत्री के दायित्वों का निर्वहन कर चुके हैं। हालांकि मेनन केा बाद में प्रदेश संगठन महामंत्री का दायित्व भी मिला था। मेनन के बाद सुहास भगत को संगठन महामंत्री का दायित्व सौंपा गया था। सुहास भगत के समय संघ के प्रचारक रहे अतुल राय को सह संगठन मंत्री का दायित्व सौंपा गया था। राय को महाकौशल क्षेत्र की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। हालांकि राय की सुहास भगत से पहले ही भाजपा से वापसी हो गई थी। इसके बाद सुहास भगत की भाजपा से वापसी के बाद हितानंद शर्मा को संगठन महामंत्री का दायित्व सौंपा गया। इसके बाद से ही यह अटकलें हैं कि दो सह संगठन मंत्री मिलेंगे। अब इसकी संभावना लगभग पूरी तरह से खत्म हो गई है।
हितानंद शर्मा के संगठन महामंत्री बनने के बाद भाजपा में संभागीय संगठन मंत्रियों की व्यवस्था खत्म कर दी गई है। इसके अलग-अलग कारण सामने आए थे। जिसमें प्रमुख संभागीय पदाधिकारियों का सत्ता और संगठन में ेजरूरत से ज्यादा दखल होना बताया गया था।