संसदीय समिति ने कहा है कि विदेश में रह रहे भारतीय ‘साफ्ट पावर’ का प्रतिनिधित्व करते हैं। भारतीय दूतावासों और वाणिज्य दूतावासों को अपने-अपने देशों में भारतीयों से संपर्क बढ़ाना चाहिए। भारतीय दूतावास विदेश में पढ़ रहे भारतीय छात्रों को महसूस कराए कि विदेश में भारतीय मिशन उनके लिए अपने घर जैसा है।
विदेश मामलों की संसदीय समिति ने लोकसभा में पेश की गई अपनी रिपोर्ट में सोमवार को कहा कि विदेश में रह रहे भारतीय ‘साफ्ट पावर’ के जरिये सांस्कृतिक कूटनीति को बढ़ावा दे रहे हैं। ‘साफ्ट पावर’ किसी देश की वह क्षमता होती है कि जिससे वह बिना दबाव के दूसरे देशों से अपनी इच्छानुसार कार्य करवा सकता है। ‘साफ्ट पावर’ में संस्कृति, राजनीतिक मूल्य और कुशल विदेश नीति का योगदान होता है।
समिति ने सुझाव दिया कि वैश्विक स्तर पर भारत के हित और प्रभाव को आगे बढ़ाने में अप्रवासी समुदाय की क्षमता का उपयोग किया जाना चाहिए। समिति ने इस संबंध में नीतिगत ढांचा तैयार और इसे समयबद्ध तरीके से लागू करने के लिए कार्ययोजना तैयार करने की सिफारिश की है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि विदेश मंत्रालय ने समिति को बताया कि वह भारत में विभिन्न हवाईअड्डों के माध्यम से रोजगार के लिए विदेश जाने वाले सभी अप्रवासियों के अनिवार्य आनलाइन पंजीकरण की सुविधा की संभावना तलाश रहा है। कोरोना के कारण नौकरी छूटने के बाद खाड़ी क्षेत्र से भारतीयों के देश लौटने का जिक्र करते हुए समिति ने कहा कि उनके लिए आजीविका सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पुनर्वास योजना शुरू की जानी चाहिए।
समिति ने यह भी कहा है कि विदेश मंत्रालय चीन में भारतीय छात्रों की वापसी के लिए समन्वित प्रयास करे। मंत्रालय ने समिति को बताया कि वह नई दिल्ली और बीजिंग में भारतीय दूतावास के माध्यम से चीनी अधिकारियों के साथ भारतीय छात्रों की वापसी का मामला लगातार उठाता रहा है। कोरोना के कारण चीन ने 28 मार्च, 2020 से वीजा परमिट निलंबित करके चीन आने पर प्रतिबंध लगा दिया था।