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कूनो नेशनल पार्क के बाहर ही डेरा जमाए है नर चीता

श्योपुर ।  नामीबिया से लाया गया चीता ओबान मंगलवार को भी कूनो नेशनल पार्क से सटे गांव के आसपास घूमता रहा। इस दौरान एक वीडियो बहुप्रसारित हो रहा है जिसमें वनकर्मी इस विदेशी चीता को अंग्रेजी भाषा में ही प्यार से गो ओबान गो व चलो ओबान कहते सुने जा रहे हैं। हालांकि डीएफओ पीके वर्मा का कहना है कि चीता कभी-कभी पार्क की सीमा में आता है, थोड़ी देर विचरण के बाद नए इलाकों की ओर चला जाता है। चीते को जबरदस्ती कूनो के अंदर लाने के प्रयास से वह तनाव में आ सकता है, इसलिए वन कर्मी निगरानी कर प्यार से ही वापस लाने का प्रयास कर रहे हैं। ग्रामीणों को चीते की लोकेशन के हिसाब से दूर रहने का संदेश पहले ही भेज दिया जाता है।

चीता मानिटरिंग की टीम कभी मांस के टुकड़े डालती है

कूनो के खुले जंगल में छोड़े गए एल्टन और फ्रेडी चीता की लोकेशन पार्क में ही है, जबकि ओबान और आशा ने पार्क से सटे श्योपुर की विजयपुर तहसील से लेकर शिवपुरी जिले तक की सीमा में भी उपस्थिति दर्ज करा दी है। ओबान पिछले तीन दिन से आसपास के गांवों में घूम रहा है। जिसे वापस लाने के लिए वनकर्मी, चीता मानिटरिंग की टीम कभी मांस के टुकड़े डालती है तो कभी आवाज लगाती है। ऐसे में वनकर्मियों का अंग्रेजी में ओबान को वापस चलने के लिए कहने का वीडियो चर्चा में आ गया है। मंगलवार को ओबान शिवपुरी जिले की सीमा के पास अगरा-पिपरवास तक पहुंच गया। ये क्षेत्र नेशनल पार्क से करीब 15 से 20 किमी दूर है।

चीतों के सुरक्षा के लिए हरियाणा से प्रशिक्षित होकर कूनो पहुंचा जर्मन शेफर्ड

कूनो में शिकारियों से चीतों व अन्य वन्य जीवों की सुरक्षा अब हरियाणा से सात माह तक प्रशिक्षण प्राप्त 11 माह का ईलू नामक मादा जर्मन शेफर्ड डाग करेगा। दो कर्मचारियों को भी इसके साथ प्रशिक्षित किया गया है। मंगलवार को तीनों कूनो आ गए हैं। डीएफओ पीके वर्मा का कहना है कि डाग ट्रैफिक इंडिया संस्थान ने दिया है। यह एक सरकारी एजेंसी का ही पार्ट है। जो देश भर में जगह-जगह ऐसे डाग देते हैं। पंचकुला में सात माह तक इसे और स्टाफ को प्रशिक्षण दिया गया है। वन क्षेत्र में शिकार से चीतों को भी खतरा है, ऐसे में अगर कोई घटना हो तो गंध के आधार पर डाग शिकारी तक पहुंचा देता है। शासन ने अभी सागर और जबलपुर से डाग स्क्वायड कूनो भेजा है, जो यहां सेवाएं दे रहा है।

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