नई दिल्ली । केंद्र की नीतियों के विरोध में दिल्ली के रामलीला मैदान में संघर्ष रैली का आयोजन किया गया। यहां देश के अलग-अलग राज्यों से आए किसान और मजदूर संगठनों ने एकजुटता दिखाई है। रैली में बड़ी संख्या में देश के अलग-अलग राज्यों से किसान और मजदूर पहुंच रहे हैं। रैली का आयोजन अखिल भारतीय किसान सभा, सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन और अखिल भारतीय खेत मजदूर यूनियन ने संयुक्त रूप से किया है। इस रैली में देशभर से आए किसान, मजदूर और खेत मजदूरों के साथ आशा, आंगनवाड़ी और मनरेगा वर्कर्स मौजूद हैं। इस प्रदर्शन को देखते हुए एआईकेएस मोर्चा की तरफ से कहा जा रहा है कि हमारा सवाल देश की नरेंद्र मोदी सरकार से है कि दो करोड़ लोगों को नौकरी देने का वादा किया गया था, लेकिन हम सरकार से पूछना चाहते हैं कि आखिर वह नौकरी कहां गईं और कितने लोगों को नौकरी दी गई है।
वहीं सीपीआईएम ने ट्वीट करते हुए लिखा, सभी श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी 26,000 रुपये प्रति माह और पेंशन 10,000 रुपये सुनिश्चित करें। ठेके पर कोई काम नहीं चलेगा। अग्निपथ योजना को वापस लो। सीटू ने ट्वीट कर कहा, आदिवासियों से उनका वन तथा भूमि का अधिकार छीना जा रहा है और इसे कॉपोर्रेट को सौंपा जा रहा है। किसानों को लाभकारी मूल्य नहीं मिल रहा है। ऐसे समय में जब मनरेगा के तहत काम की मांग लगातार बढ़ रही थी, सरकार ने इसके लिए आवंटन में भारी कमी कर दी है।
पश्चिम बंगाल से आए कर्मचारियों ने अपनी मांगों में कहा कि सरकारी कर्मचारियों पर तानाशाही हमले बंद करो। वहीं असम और पंजाब की आशा कार्यकर्ता अपने-अपने राज्यों की समस्याओं पर चर्चा की। इस रैली-प्रदर्शन के माध्यम से देश के मेहनतकश मजदूरों ने अपनी मांगों दोहराया। इसमें न्यूनतम मजदूरी 26,000 रुपये प्रति माह और पेंशन 10,000 रुपये प्रतिमाह सुनिश्चित करने की मांग की।