बिलासपुर में शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती की विशाल धर्मसभा का आयोजन हुआ। धर्म सभा में तमाम राजनीतिक दलों के नेता जनप्रतिनिधि व बड़ी संख्या में शहरवासी शामिल हुए। इस दौरान धर्मसभा में शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने आरएसएस पर बड़ा हमला बोला।शंकराचार्य ने कहा, 62 साल पहले वे जब दिल्ली में विद्यार्थी थे उस समय आरएसएस के जितने संचालक थे, उनके बड़े भाई के पास आते थे। आगे उन्होंने कहा कि, वे किसी भी संगठन के विरोधी नहीं हैं, लेकिन आरएसएस के पास परंपरा प्राप्त कोई ग्रंथ नहीं है, इससे ज्यादा नाजुक स्थिति कुछ नहीं हो सकती है।
किसी के पास बाइबल किसी के पास कुरान किसी के पास गुरु ग्रंथ है, लेकिन आरएसएस बता दे उनके पास कोई परंपरा प्राप्त ग्रंथ है क्या। सबसे ज्यादा दयनीय स्थिति आरएसएस की ही हुई है। वे किस आधार पर काम करेंगे, राज करेंगे जब कोई ग्रंथ ही उनके पास नहीं है। आरएसएस के पास किसी ग्रंथ का आश्रय ही नहीं है।शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने आगे कहा, परंपरा प्राप्त कोई गुरु, कोई नेता भी आरएसएस के पास नहीं है। बिना ग्रंथ, गुरु और गोविंद के कहां जाएंगे। जहां भी जाएंगे घूम फिर कर यहीं आएंगे, नहीं तो भटकते रहेंगे। आगे शंकराचार्य ने कहा कि, राजनीति का नाम राज धर्म है। धर्म की सीमा के बाहर राजनीति नहीं होती है।
राजनीति राजधर्म अर्थ नीति, छात्र धर्म यह एकार्थक है। धर्म की सीमा के बाहर राजनीति नहीं होनी चाहिए। राजनीति का अर्थ ही होता है राजधर्म जो सार्थक होते हैं उनका धर्म होता है। प्रजा के हित में अपने जीवन का अनुपालन और उपयोग करना। धर्म विहीन राजनीति की कल्पना नहीं कर सकते। लेकिन धार्मिक जगत में हस्तक्षेप करके मठ मंदिरों की मर्यादा को विकृत करना राजनीति नहीं है, राजनीति के नाम का उन्माद है। आगे उन्होंने कहा कि, हिंदू खतरे में नहीं हैं, हिंदू धर्म को ना जानने वाले और ना मानने वाले खतरे में हैं।