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सुरों की मलिका शमशाद बेगम

वो गायिका जिसने अपनी आवाज़ से कई पीढ़ियों का दिल जीत लिया…संगीत की कोई फॉर्मल ट्रेनिंग नहीं … लेकिन जो भी उनका गाना सुनता, मंत्रमुग्ध हो जाता था
बॉलीवुड के शुरुआती दौर में संगीत की मल्लिका … जी हां 40 और 50 के दशक में जिसका हर संगीत पर नाम लिखा रहता था…नाम था शमशाद बेगम

मेरे पिया गये रंगून’ और तेरी महफिल में किस्मत आजमाने..जैसे गानों के साथ कई गीतों को शमशाद बेगम ने अपनी आवाज दी और हमेशा के लिए अमर कर दिया, यूं कहें तो शमशाद बेगम अपने जमाने की शोख हसीनाओं की आवाज हुआ करती थीं, चौथे और पांचवे दशक की फिल्मों की खनकती हुई आवाज की मल्लिका थी शमशाद बेगम
उनके सुरीले गीत आज भी लोगों के कानों में गूंजते हैं..

शमशाद बेगम भारतीय हिंदी सिनेमा का वो नाम हैं, जिसको संगीत के प्रेमी कभी नहीं भूल सकते हैं। शमशाद ने अपने करियर में ऐसे गीतों को गाया था, जो फैंस के जहन में अब तक तर-ओ-ताजा हैं।

शमशाद बेगम का जन्म 14 अप्रैल 1919 को अमृतसर में हुआ । उन्होंने अपने गायन की शुरुआत रेडियो से की थी। साल 1937 में शमशाद बेगम ने लाहौर रेडियो पर अपना पहला गीत गाया। फिर साल 1944 में उन्होंने मुंबई का रुख किया , इसके बाद पूरी दुनिया ने शमशाद बेगम की आवाज के जादू को महसूस किया।


अपने करियर में उन्होंने कई भाषाओं में छह हजार से ज्यादा गाने गाए । शमशाद बेगम अपने जमाने की सबसे ज्यादा डिमांड में रहने वालीं और मोटी फीस लेने वालीं प्लेबैक सिंगर थीं। बेगम साहिबा दिखने में भी उतनी ही खूबसूरत थीं। उनकी खूबसूरती के आगे बड़ी-बड़ी अभिनेत्रियां फेल थीं। जब वह गानों से सभी के बीच धूम मचा रही थीं, तभी उनको फिल्मों में अभिनय के भी ऑफर आए, लेकिन परिवार की रुढ़िवादी सोच होने की वजह से उन्होंने ये ऑफर ठुकरा दिया ।

श्मशाद बेगम की शादी काफी विवादों में रही थी। उस दशक में जब लोग लव मैरेज की बात सोच भी नहीं सकते थे …उन्होंने लव मैरेज की… वे जिससे प्यार करती थीं उसी से शादी करना चाहती थीं। ये वाक्या साल 1934 की है। उस समय देश में हिंदू-मुस्लिम दंगे हो रहे थे। इसी साल शमशाद की मुलाकात गणपत लाल बट्टो से हुई। दोनों एक-दूसरे को काफी पसंद करते थे। दोनों के घर वाले इस शादी के खिलाफ थे, लेकिन उन्होंने परिवार के खिलाफ जाकर शादी कर ली।

कह सकते हैं कि शमशाद बेगम सिंगर तो जबरदस्त थीं ही साथ में बहुत बिंदास भी थीं. तभी तो उस जमाने में मुस्लिम होकर भी एक हिंदू से शादी की. ये आज भी इतना आसाां नहीं है उन्होंने अपने करियर में एक से बढ़कर एक गाने गाए। { GFX IN} इसमें ‘ओ गाड़ीवाले गाड़ी धीरे हांक रे’ (मदर इंडिया), कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना’ (सीआईडी), ‘कभी आर कभी पार लागा तीरे-नजर’ (आर-पार), ‘मेरे पिया गये रंगून’ (पतंगा), छोड़ बाबुल का घर (बाबुल), कजरा मोहब्बत वाला (किस्मत), दूर कोई गाए (बैजू बावरा), न बोल पी पी मोरे अंगना (दुलारी) और एक दो तीन आजा मौसम है रंगीन (आवारा) जैसे गानें शामिल हैं।{ GFX OUT}

फिल्मों से दूर होने के बाद शमशाद गुमनाम हो गईं। अपने करियर में उन्होंने कई अवॉर्ड अपने नाम किए। 2009 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया था। साल 2013 में 23 अप्रैल को शमशाद बेगम का निधन हो गया। शमशाद के गाने का असर ही है कि आज भी ये सारे गाने सुनने में नए से लगते हैं और ये भी सच है कि आनेवाली कई पीढ़ियां भी इन गानों को हमेशा पसंद करेगी.

 

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