रायपुर। छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जाति, जनजाति, ओबीसी और ईडब्ल्यूएस को 76 फीसदी आरक्षण दिए जाने संबंधी पारित विधेयक को लेकर बड़ी खबर आ रही है। राज्यपाल बिश्वभूषण हरिचंदन छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार को आरक्षण संशोधन विधेयक को वापस लौटा दिया है। बतादें कि राज्य विधानसभा ने दो दिसंबर को आरक्षण संशोधन विधेयक सर्वसम्मति से पास किया था और उसे पांच मंत्रियों ने राज्यपाल को सौंपा था। आरक्षण संशोधन विधेयक लौटाए जाने के बाद मंत्री रविंद्र चौबे ने मीडिया से बातचीत में कहा, हमारे पास और भी विकल्प है। सरकार दोबारा विधेयक भेज सकती है। भाजपा पर निशाना साधते हुए मंत्री चौबे ने कहा, बीजेपी आरक्षण विरोधी है। आरक्षण लौटाए जाने के बाद एक बार फिर छत्तीसगढ़ का सियासी पारा चढ़ गया है।
आरक्षण पर राज्यपाल बोले- सीएम से पूछें, बघेल बोले- भाजपा आरक्षण के खिलाफ
इससे पहले कृषि विश्वविद्यालय के दीक्षा समारोह में शामिल होने पहुंचे राज्यपाल बिश्वभूषण हरिचंदन से जब मीडिया ने आरक्षण संशोधन विधेयक पर हस्ताक्षर को लेकर सवाल किया, तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया था। हरिचंदन ने कहा कि यह राजनीतिक मामला है, इस बारे में मुख्यमंत्री से पूछें। राज्यपाल के बयान के बाद जब मीडिया ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से सवाल किया तो उन्होंने भाजपा पर निशाना साधा था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मैंने तो प्रधानमंत्री को पत्र लिखा, लेकिन उधर से जवाब नहीं आ रहा है। कुल मिलाकर भारतीय जनता पार्टी आरक्षण के खिलाफ है। मुख्यमंत्री ने कहा कि विधानसभा से जो विधेयक पारित है, वो राजभवन में अटका है। हमें कृषि महाविद्यालय शुरू करने हैं। और भी महाविद्यालय खोले जा रहे हैं। वहां स्टाफ, असिस्टेंट प्रोफेसरों की भर्ती करनी है, लेकिन जब तक आरक्षण बिल लटका हुआ है, तब तक हम भर्ती नहीं कर पा रहे हैं।
विधानसभा में दो दिसंबर को आरक्षण संशोधन विधेयक सर्वसम्मति से हुआ था पास
राज्य विधानसभा ने दो दिसंबर को आरक्षण संशोधन विधेयक सर्वसम्मति से पास किया था और उसे पांच मंत्रियों ने राज्यपाल को सौंपा था। तत्कालीन राज्यपाल अनुसुईया उइके ने वादा किया था कि आरक्षण विधेयक पास होने के बाद तत्काल हस्ताक्षर करेंगी, लेकिन विधानसभा से पास विधेयक को लेकर राज्यपाल ने पहले सरकार से 10 सवाल पूछा, उसके बाद अलग-अलग समाज के लोग कोर्ट चले गए। वर्तमान राज्यपाल हरिचंदन ने विधानसभा के बजट सत्र में अपने अभिभाषण में कहा था कि आरक्षण संशोधन विधेयक पर विचार किया जा रहा है। हालांकि नए राज्यपाल को आए भी ढाई महीने से ज्यादा का समय हो गया है, लेकिन विधेयक पर अब तक हस्ताक्षर नहीं हो पाया है। दीक्षा समारोह में राज्यपाल और मुख्यमंत्री अगल-बगल बैठे थे और आपस में बात भी करते रहे।
आरक्षण के कारण रुक गई भर्तियां
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि बहुत सारे विभाग हैं, जिनमें भर्ती करनी है, लेकिन भर्ती अटकी है। शिक्षा विभाग, पुलिस, स्वास्थ्य विभाग, सिंचाई विभाग में भर्ती की प्रक्रिया शुरू करनी है, लेकिन सब भर्ती रुकी हुई है। दूसरी तरफ, कई प्रतियोगी परीक्षाएं होनी हैं, जो आरक्षण विधेयक लटके होने के कारण रुकी हुई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने राज्यपाल से भी मुलाकात की थी और बताया था कि भर्तियां रुकी हुई हैं। छात्रों के भविष्य को देखते हुए जल्द निर्णय लें।
पुराने आरक्षण पर नौकरियां दे सरकार: भाजपा
पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्हें पता है कि जिस विधेयक पर राज्यपाल के हस्ताक्षर नहीं हुए हैं, वह नौवीं अनुसूची में शामिल नहीं हो सकता है। जब तक सुप्रीम कोर्ट से आरक्षण पर निर्णय नहीं हो जाता है, तब तक पूर्व की भांति 50 प्रतिशत या फिर 58 प्रतिशत आरक्षण के आधार पर भर्तियां शुरू करनी चाहिए।