बिलासपुर। सूरजपुर क्षेत्र से पकड़ी गई बाघिन की दहाड़ अचानकमार टाइगर रिजर्व में सुनाई देगी। दरअसल यह कवायद एटीआर में बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए किया जा रहा है। सूरजपुर से बाघिन को रेस्क्यू किया गया था। इस दौरान वह घायल थी। बाघिन का इलाज रायपुर के सुंदरवन में रखकर किया जा रहा था। अब वह पूरी तरह से स्वस्थ हो गई है। लिहाजा उसे एटीआर में छोड़ने का निर्णय लिया गया है। बाघिन को रेडियो कालर भी लगाया गया है, ताकि उसके पल-पल की गतिविधियों की जानकारी मिल सके।
बाघिन को एक महीने पहले सूरजपुर के उड़गी ब्लाक के काला मंजन गांव के नजदीक के जंगल से पकड़ा गया था। दरअसल बाघिन ने दो ग्रामीणों को घायल कर दिया था। लिहाजा रेस्क्यू कर बाघिन को पकड़ा गया। रेस्क्यू टीम में कानन पेंडारी के वन्य प्राणी चिकित्सक पीके चंदन भी शामिल थे। ट्रैंक्यूलाइजर गन लगने के बाद जैसे ही बाघिन बेहोश हुई, उस पिंजरे में डालकर जंगल सफारी के लिए रवाना कर दिया गया। हालांकि जंगल सफारी लेकर जाने का पहला उददेश्य बाघिन का उपचार था। दरअसल वह पूरी तरह जख्मी थी।
जब बाघिन पूरी तरह स्वस्थ हो गई, तब मुख्यालय के अफसरों के बीच उसे छोड़ा जाए, इसे लेकर चर्चा हुई। इसमें इस निर्णय पर सहमति बनी कि अचानकमार टाइगर रिजर्व से बेहतर कोई दूसरा सुरक्षित जगह नहीं है। वैसे भी टाइगर रिजर्व में दूसरे टाइगर रिजर्व से बाघ लाकर छोड़ने की योजना है। इससे की यहां संख्या बढ़ सके। इस बाघिन के आने से उम्मीद है कि अचानकमार में बाघों की संख्या बढ़ेगी। सुरक्षा को लेकर भी खास इंतजाम किए गए हैं। बाघिन को रेडियो कालर लगाकर छोड़ने की योजना है, ताकि यह पता चल सके कि वह कहां है। इससे बाघिन पूरी तरह सुरक्षित रहेगी।