भोपाल। झारखंड के पास हवा के ऊपरी भाग में बना चक्रवात समाप्त हो गया है। मानसून द्रोणिका के भी अब ऊपर की तरफ खिसकने के संकेत मिले हैं। इस वजह से अब प्रदेश में मानसून की गतिविधियों में कमी आने के संकेत मिलने लगे हैं। इससे धूप निकलने लगेगी। हालांकि अलग-अलग स्थानों पर सक्रिय अन्य मौसम प्रणालियों के प्रभाव से गरज-चमक के साथ छिटपुट बौछारें भी पड़ सकती हैं।
उधर पिछले 24 घंटों के दौरान शनिवार सुबह साढ़े आठ बजे तक सागर में 64.4, गुना में 46.9, रतलाम में 41, मंडला में 37.3, जबलपुर में 32.8, रीवा में 29.4, दमोह में 21, सतना में 19.6, दतिया में 18.8, खरगोन में 17.4, शिवपुरी में 17, छिंदवाड़ा में 16.6, भोपाल (शहर) में 10.5, नौगांव में सात, खजुराहो में 5.6, नरसिंहपुर में पांच, टीकमगढ़ में चार, सिवनी में 3.2, ग्वालियर में 2.5, सीधी एवं पचमढ़ी में 1.8, नर्मदापुरम में 1.2, उमरिया में 1.1 मिलीमीटर वर्षा हुई।
मौसम विज्ञान केंद्र से मिली जानकारी के मुताबिक मानसून द्रोणिका वर्तमान में जैसलमेर, कोटा, शिवपुरी, सीधी, बालसोर से होते हुए बंगाल की खाड़ी तक जा रही है। गुजरात और उससे लगे अरब सागर पर हवा के ऊपरी भाग में बना चक्रवात अब और ऊर्जावान होकर दक्षिण-पश्चिम राजस्थान पर सक्रिय हो गया है। राजस्थान पर ही एक पश्चिमी विक्षोभ भी बना हुआ है। इसके अतिरिक्त गुजरात के तट से लेकर केरल के तट तक एक अपतटीय द्रोणिका भी बनी हुई है।
मौसम विज्ञान केंद्र के पूर्व वरिष्ठ विज्ञानी अजय शुक्ला ने बताया कि बंगाल की खाड़ी और उसके आसपास अभी कोई प्रभावी मौसम प्रणाली सक्रिय नहीं है। मानसून द्रोणिका के भी ऊपर की तरफ खिसकने के आसार हैं। इस वजह से प्रदेश में फिलहाल मानसून की गतिविधियों में कमी आने लगेगी। हालांकि राजस्थान पर बने चक्रवात के कारण कुछ नमी मिलते रहने के कारण कहीं-कहीं बौछारें पड़ सकती हैं, लेकिन भारी वर्षा की उम्मीद फिलहाल नहीं है। 14 जुलाई को बंगाल की खाड़ी में एक चक्रवात बनने के संकेत मिले हैं। उसके प्रभाव से 15 जुलाई से प्रदेश में एक बार फिर रुक-रुककर वर्षा का दौर शुरू हो सकता है।