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मुरैना की छह विधानसभाओं में योगी के छह विधायक सक्रिय, शहर से लेकर गांव तक कर रहे भ्रमण

मुरैना। विधानसभा चुनाव को अभी साढ़े तीन से चार महीने का समय है। भारतीय जनता पार्टी चुनावी रण में अभी से उतर चुकी है। जिले की दो विधानसभा सीट सुमावली से ऐंदल सिंह कंषाना व सबलगढ़ से सरला रावत को भाजपा ने प्रत्याशी भी घोषित कर दिया है। चंबल में शिवराज सरकार की खोई हुई जमीन को तराशने का जिम्मा इस बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विधायकों को मिली हैं।

योगी के छह विधायक मुरैना जिले की एक-एक विधानसभा पर मोर्चा संभाल चुके हैं। इसे लेकर कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ शुक्रवार को ही मुरैना में भाजपा पर तंज कस चुके हैं कि यूपी के विधायकों के आने से भाजपा को अपनी हकीकत का अहसास हो जाएगा।

विधायक सात दिन बाद देंगे रिपोर्ट

उदाहरण से समझें कि सबलगढ़ में टिकट फाइनल होने के बाद भाजपा के कईयों नेता निराश व आक्रोशित हैं, क्योंकि पार्टी 9 बार से एक ही परिवार के सदस्यों काे टिकट देती आ रही है। इस आपसी कलह को थामने के लिए उप्र के विधायक तन-मन से जुटे हैं। इसी तरह मुरैना, दिमनी व सुमावली सीट पर लगातार दो बार हार किन कारणों से हुई, उनका पता लगाने के लिए उप्र के विधायक जुटे हुए हैं। सात दिन के मुरैना प्रवास के बाद यह विधायक अपनी रिपोर्ट हाईकमान को देंगे।

भाजपा ने दूसरे राज्य के विधायक मैदान में उतारे

साल 2018 के विधानसभा चुनाव में मुरैना जिले की छह विधानसभा सीटाें पर भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा। जीते हुए छह विधायकों में से चार विधायक मुरैना के रघुराज कंषाना, अंबाह के कमलेश जाटव, दिमनी के गिर्राज डण्डोतिया और सुमावली के ऐंदल सिंह कंषाना सिंधिया के साथ भाजपा में चले गए थे। इसके बाद 2020 में उप चुनाव हुआ, जिसमें केवल दिमनी में भाजपा के टिकट पर कमलेश जाटव जीत सके। बाकी तीन सीटाें पर भाजपा को करारी शिकस्त झेलनी पड़ी।

2018 में जौरा सीट पर कांग्रेस के बनवारीलाल जापथाप जीते, जिनका एक साल बाद ही कैंसर से निधन हो गया, उप चुनाव में जौरा से भाजपा के सूबेदार रजौधा जीते। वर्तमान स्थिति यह है कि छह सीटों में से चार कांग्रेस के कब्जे में है, दो पर भाजपा के विधायक हैं।

बीते साल हुए मुरैना नगर निगम के चुनाव में भाजपा का किला ढह गया और कांग्रेस की शारदा सोलंकी जीतीं। स्थानीय नेता भाजपा की इस बदतर हालत का सटीक आंकलन नहीं कर पा रहे हैं, इसीलिए उप्र के अनुभवी व संगठन में मजबूत पकड़ वाले विधायकों को मुरैना की कमान दी है।

यह विधायक मुरैना में तलाश रहे जीत के रास्ते

  • उप्र फतेहपुर की खाजा सीट से लगातार चार बार विधायक चुने गए कृष्णा पासवान को सुमावली विधानसभा की जिम्मेदारी दी गई है, जहां आपसी कलह के कारण भाजपा लगातार दो चुनाव हार चुकी है।
  • उप्र के बिजनौर जिले की नहटोर विधानसभा सीट से लगातार तीन बार विधायक का चुनाव जीते चुके ओमकार सिंह को सबलगढ़ विधानसभा की जिम्मेदारी दी गई है।
  • उप्र के कानपुर जिले की बिठुर विधानसभा सीट से लगातार दो बार विधायक रहे अभिजीत सांगा दिमनी विधानसभा में मोर्चा संभाले हुए हैं।
  • उप्र की सिधौली-सीतापुर सीट से दो बार विधायक बने भाजपा विधायक मनीष रावत को मुरैना विधानसभा की जिम्मेदारी दी गई है।
  • उप्र की देवरिया सीट से दो बार के विधायक सभाकुंवर कुशवाह को जौरा विधानसभा की जिम्मेदारी दी गई है।
  • अयोध्या की बीकापुर विधानसभा के भाजपा के युवा विधायक डा. अमित चौहान के पिता तीन बार व मां एक बार विधायक रही हैं, संगठन में मजबूत पकड़ वाले बीकापुर विधायक को अंबाह विधानसभा की जिम्मेदारी दी गई है।

कार्यकर्ताओं की समस्याओं को जाना

यहां 2018 के चुनाव में भाजपा हार गई थी, उसे जिताना है। इसके लिए कार्यकर्ता भी लालायित दिखाई दे रहे हैं। मुझे दिमनी विधानसभा की जिम्मेदारी मिली है, अच्छी बात यह है कि पूरे दिमनी विधानसभा में बूथ स्तर तक कार्यकर्ता मौजूद है। जिनके बीच जाकर उन्होंने कार्यकर्ताओं की समस्याओं को जाना है। लोगाें से चर्चा की है, दिमनी में भाजपा मजबूत है, हम चुनाव जीतेंगे।

अभिजीत सांगा, विधायक बिठुर विस, उप्र

कमियों को दूर कर जीतेंगे मुरैना में चुनाव

मुरैना विधानसभा सीट की जिम्मेदारी मुझे हाईकमान ने दी है। मैं विधानसभा के नेताओं से लेकर मैदानी कार्यकर्ता, बूथ स्तर तक पर जाकर स्थिति देख रहा हूं। मुरैना में भाजपा बहुत अच्छी स्थिति में है। यहां संगठन मजबूत है। हम चुनाव जीतेंगे। कुछ कमियां हैं, जिनसे पिछले दो चुनाव हारे, उन्हें दूर किया जाएगा।

मनीष रावत, सिधौली सीतापुर विधायक, उप्र

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