TMC सांसद महुआ मोइत्रा को सदन की सदस्यता निष्कासित कर दिया गया। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने मोइत्रा के निष्कासन का प्रस्ताव पेश किया जिसे सदन ने ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। महुआ मोइत्रा के लोकसभा से निष्कासन पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का बयान सामने आया है। उन्होंने इसे लोकतंत्र के लिए दुखद दिन करार दिया है।
संवैधानिक अधिकारों के साथ धोखा
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, टीएमसी सांसद मोइत्रा को लोकसभा से निष्कासन करना भारतीय संसदीय लोकतंत्र के लिए दुखद दिन है। ममता बनर्जी का कहना है कि पार्टी महुआ के साथ है।महुआ युवा पीढ़ी की हैं। वे कैसे विश्वासघात करते हैं? मोइत्रा को अपना पक्ष रखने की अनुमति नहीं दी गई, यह अस्वीकार्य है। क्या ये लोकतंत्र है? यह संवैधानिक अधिकारों के साथ धोखा है। ममता बनर्जी ने कहा आज वे बहुमत में थे। हम भी दो तिहाई बहुमत वाले हैं। हम निष्कासित भी कर सकते हैं लेकिन हम न्याय बनाए रखने की कोशिश करते हैं।
लेनदेन का कोई सबूत नहीं- तृणमूल कांग्रेस
वहीं, तृणमूल कांग्रेस ने महुआ मोइत्रा के मामले में आचार समिति की कार्यवाही की निष्पक्षता पर सवाल खड़े किए हैं। टीएमसी ने लोकसभा में कहा कि पार्टी नेता के खिलाफ नकदी के लेनदेन का कोई सबूत नहीं है। सदन में आचार समिति की रिपोर्ट पर चर्चा के दौरान तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने लोकसभा अध्यक्ष से कई बार आग्रह किया कि मोइत्रा को उनका पक्ष रखने का मौका दिया जाए, लेकिन बिरला ने पुरानी संसदीय परिपाटी का हवाला देते हुए इससे इनकार कर दिया।
यह निष्पक्ष सुनवाई नहीं है
बिरला ने पार्टी सांसद कल्याण बनर्जी को बोलने का मौका दिया। सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा समिति की पूरी रिपोर्ट मीडिया में लीक कर दी गई है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं हाथ जोड़कर आग्रह करता हूं कि महुआ को बोलने का मौका दिया जाए।” कल्याण बनर्जी ने कहा, ‘‘निष्पक्ष सुनवाई तब होती है जब प्रभावित व्यक्ति को सुना जाता है। अगर उसे सुना नहीं जाएगा तो कोई निष्पक्ष सुनवाई नहीं होगी।” संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा, ‘‘ लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी के समय 10 लोगों को निष्कासित किया गया था। उस समय चटर्जी ने स्पष्ट रूप से कहा था कि आरोपी सांसद समिति के समक्ष पेश हुए, ऐसे में इन्हें सदन में बोलने का अधिकार नहीं है।”