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ओम बिरला: 40 साल का राजनीतिक करियर, MLA से लोकसभा स्पीकर तक का सफर

राजस्थान के कोटा से सांसद ओम बिरला 18वीं लोकसभा में स्पीकर पद के लिए बीजेपी के उम्मीदवार होंगे. ओम बिरला इससे पहले 17वीं लोकसभा के स्पीकर थे. ओम बिरला का स्पीकर बनना तय माना जा रहा है. ओम बिरला अगर स्पीकर बन जाते हैं तो लगातार दूसरी बार स्पीकर बनने वाले वह चौथे नेता होंगे. इससे पहले एमए अयेंगर, गुरदयाल सिंह ढीलो और बलराम जाखड़ ये कारनामा कर चुके हैं.

ओम बिरला की गिनती बीजेपी के दिग्गज नेताओं में होती है. वह 1991 में भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष बने. साल 1997 में बिरला युवा मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बने. ओम बिरला वर्ष 2003 में पहली बार कोटा दक्षिण विधानसभा सीट से जीतकर राजस्थान विधानसभा पहुंचे. 2008 में वह दूसरी बार कोटा दक्षिण से विधायक निर्वाचित हुए. 2013 में उन्होंने जीत की हैट्रिक लगाई और लगातार तीसरी बार विधानसभा पहुंचे.

जयपुर से दिल्ली तक का सफर…

वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में ओम बिरला ने कोटा-बूंदी निर्वाचन क्षेत्र से 2 लाख से अधिक वोटों से जीत हासिल कर 16वीं लोकसभा में प्रवेश किया. नवनिर्वाचित सांसद ओम बिरला को 2014 में ही संसदीय प्राक्कलन समिति के सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया. वह संसदीय याचिका समिति, ऊर्जा संबंधी स्थायी समिति और सलाहकार समिति में भी सदस्य चुने गए.

वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में ओम बिरला अपनी पूर्ववत सीट से लगातार दूसरी बार जीत दर्ज कर संसद पहुंचे. सर्वसम्मति से 19 जून, 2019 को उन्हें 17वीं लोक सभा का अध्यक्ष निर्वाचित किया गया. सदन अध्यक्ष निर्वाचित होने के बाद उन्होंने सदन की कई पुरानी परंपराओं को बदला. कागजों पर चलने वाली संसदीय कार्यवाही को टैबलेट और मोबाइल पर डिजिटल स्वरूप देने में ओम बिरला के कदम क्रांतिकारी रहे.

लोकसभा अध्यक्ष सांसदों को ऑनरेबल एमपी के संबोधन के बजाए `माननीय सदस्यगण कहकर संबोधित करते हैं तो एडजर्नमेंट मोशन को स्थगन प्रस्ताव और `ज़ीरो आवर` को शून्य काल कहते हैं. इतना ही नहीं सदन में वोटिंग के दौरान उन्होंने ‘यस-नो की परंपरा को हां-नहीं में बदला. ओम बिरला की राजनीतिक यात्रा 4 दशक से ज़्यादा का समय पार कर चुकी है.

वह लगातार तीसरी बार लोकसभा पहुंचे हैं. उन्होंने 2014 के चुनाव में 41 हजार से ज्यादा वोटों से जीत हासिल की. ओम बिरला ने कांग्रेस के प्रह्लाद गुंजल को हराया. बिरला को 7 लाख 50 हजार 496 वोट मिले तो प्रह्लाद गुंजल को 7 लाख 8 हजार 522 वोट मिले.

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