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स्वयंभू बाबाओं का कलंकित साम्राज्य… भोले बाबा ही नहीं, कई बार इनके चंगुल में भी फंसे हैं लोग

भारत में अहं ब्रह्म अस्मि की अवधारणा बहुत पुरानी है, इसका सीधा आशय अलौकिक बोध से है. और यह अलौकिकता हर किसी की चेतना से बंधी होती है. हाल ही में एक फिल्म आई कल्की 2898 एडी. यहां सुप्रीम नाम के एक किरदार ने जिस तरह की दुनिया बसाई, वह अलौकिकता की पराकाष्ठा है. यानी अलौकिकता जितनी प्राचीन है, उतनी ही युगातीत भी. आज जब हाथरस सत्संग कांड से पूरे देश में हड़कंप मचा है तो ऐसे स्वयंभू सुप्रीमों के कथित कॉप्लेक्स और उसके यास्किन की चर्चा लाजिमी हो जाती है. हाथरस के स्वयंभू भोले बाबा ने भी एक ऐसा साम्राज्य बसाया था, जिसके रहस्य से पर्दा धीरे-धीरे उठने लगा है और अंधभक्तों की आंखें खुलने लगी हैं.

हमारी परंपरा बताती है, बाबा सिद्धि से बनते हैं. मान्यताएं उनको स्वामी का दर्जा देती हैं. उनके पुण्य, प्रताप, यश, कीर्ति, धर्म की स्थापना, अध्यात्म की ऊंचाई, समाज का उत्थान, जन कल्याण और सत्य वचन किसी भी शख्स को महात्मा बनाते हैं लेकिन कल्की काल में ना जाने कई ऐसे लोगों ने भी बाबा का चोला धारण कर लिया, जिन्हें सिद्धि या सत्य वचन से तो कोई वास्ता नहीं लेकिन लाखों लोगों की कमजोर नस का दोहन करके स्वयंभू बाबा कहलाने में कोई गुरेज नहीं किया. हाथरस के स्वयंभू भोले बाबा की भांति ऐसे बाबाओं की लंबी सूची है, जिन्होंने आम जनों की आस्था, विश्वास और आकांक्षा के साथ धोखा किया है.

आसाराम का आश्रम यानी चमचमाता कॉप्लेक्स

समाज में फर्जी बाबाओं की जब पोल खुलने लगी तो कुछ साल पहले ही अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने देश की जनता से ऐसे किसी भी स्वयंभू किस्म के बाबाओं से दूर रहने की सलाह दी थी. लेकिन हाथरस कांड बताता है कि लोगों की चेतना में बैठी चमत्कार की आस के आगे इस सलाह का कोई असर नहीं हुआ. ऐसे ही बाबाओं की धोखे और रहस्यों से भरी दुनिया से पर्दा हटा आसाराम और निर्मल बाबा के काल में. साल था-2013. आसाराम के चमचमाते कॉम्प्लेक्स की काली करतूतें एक-एक कर सामने आती गईं. आसाराम के काले साम्राज्य का पर्दाफाश करके उसे दुनिया के सामने बेनकाब करने वाला सिर्फ एक ही बंदा काफी था.

चौंकाने वाला वाकया तो तब सामने आया जब आसाराम के साथ ही उसका बेटा नारायण साईं भी उसी काले साम्राज्य का हिस्सेदार के रूप में सामने आया. बाप-बेटे की जोड़ी ने पाप की हर सीमा लांघ दी. आसाराम का हर आश्रम किसी अंडरवर्ल्ड से कम साबित नहीं हुआ. लेकिन ये महज फिल्मी डायलॉग नहीं कि कानून के हाथ लंबे होते हैं. कानून ने यकीनन आसाराम को ऐसी सजा मुकर्रर की, जिसके बाद आज आसाराम का कोई नाम लेना नहीं चाहता.

लव चार्जर वाले बाबा का धोखा

आसाराम की तरह ही स्वयंभू बाबाओं की इस लिस्ट में ना जाने कितने ही इच्छाधारी और नामधारी हैं और ना जाने कितने ही आम लोगों का इनके चंगुल में आर्थिक, मानसिक और दैहिक शोषण हो चुका है. लेकिन हैरत की बात तो ये कि ऐसे बाबाओं का सम्मोहन और काले जादू का खेल बदस्तूर जारी रहा. इनकी ताकत के आगे सत्ता और प्रशासन सभी नतमस्तक रहे. रामपाल और गुरमीत राम रहीम की ताकत को भला कौन भूल सकता है. गाहे बगाहे राम रहीम आज भी प्रशासन को अपनी क्षमता का अहसास करा ही जाता है. अपनी बुलंदी के दौर में इसने खुद को लव चार्जर और मैसेंजर ऑफ गॉड और ना जाने क्या क्या घोषित कर रखा था. अल्ट्रा मॉडर्न लुक और स्पार्क से लैस राम रहीम ने गरीबों का मसीहा और किसी भी मजहब से परे खुद को इंसां घोषित कर रखा था. लेकिन परतें जब उतरीं तो इंसां का सारा सच सामने आने लगा.

हरी चटनी, लाल चटनी वाला बाबा

इसी क्रम में निर्मल बाबा की कहानी भी सबको याद होगी जिसका इलाज लाल चटनी और हरी चटनी के लिए मशहूर रहा है. हर दुख का इलाज समोसे बांटो, गोलगप्पे खिलाओ लेकिन अकाउंट में पैसे डालना मत भूलो. हर टीवी चैनल पर निर्मल बाबा के स्लॉट बुक होते थे, इससे जितने पैसे आते थे, उतनी ही टीआरपी भी मिलती थी. बाबा के कथित चमत्कार के सब मुरीद थे लेकिन जांच पड़ताल के बाद जब शिकंजा कसा तो इस बाबा के प्रभामंडल का भी काउंटडाउन होने लगा. स्वयंभू बाबाओं की दुनिया में ऐसे अनेक फर्जी अवतरण हुए हैं, जिन्होंने राष्ट्रीय ख्याति पाई है, जबकि प्रदेश, जिला स्तर पर ऐसे बाबाओं की आज भी कमी नहीं. गांवों में तो ऐसे बाबाओं की भरमार है.

रैकेट चलाने वाला इच्छाधारी बाबा

सबसे हैरत की बात तो ये कि अंधविश्वास पर रोक लगाने के लिए राज्यों ने कड़े कानून भी बनाए हैं लेकिन आस्था और श्रद्धा के नाम पर अंधविश्वास फैलाने वाले, लोगों को मानसिक तौर कमजोर बनाने वाले खेल पर सीधी रोक कभी नहीं लगी. और यही वजह है कि कभी राम पाल जैसा बाबा पकड़ा जाता है, जिस पर देश द्रोह का मुकदमा चलता है तो रामवृक्ष यादव जैसा अपराधी प्रवृति का किरदार सामने आता है तो कभी पैसे लेकर लोगों की गोद में बैठने वाली राधे मां का वीडियो वायरल होता है तो कभी रैकेट चलाने का आरोपी इच्छाधारी नाम से मशहूर भीमानंद की काली करतूत उजागर होती है. और जब हाथरस कांड सामने आता है तो चरणों की धूल पाने की होड़ का अंधविश्वासी खेला फिर से दिखाई देता है, जिसकी चपेट में 121 लोग काल के गाल में समा जाते हैं.

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