भोपाल। एयरपोर्ट अथॉरिटी ने इंटरनेशनल उड़ानें शुरू होने से पहले ही आईएलएस यानी इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम को अपग्रेड कर दिया है। अभी तक भोपाल एयरपोर्ट में कैटेगरी-1 सिस्टम स्थापित है। अब यहां आधुनिक कैटेगरी-2 सिस्टम स्थापित किया गया है। बुधवार को एयरपोर्ट अथॉरिटी ने इसकी ग्राउंड टेस्टिंग की।
फिलहाल पुराना सिस्टम होने के कारण कोहरा एवं कम दृश्यता होने पर उड़ानों को पास के हवाई अड्डों पर डायवर्ट करना पड़ता है। सर्दी में मौसम खराब होने के कारण दृश्यता बहुत कम हो जाती है। ऐसे समय में भोपाल एयर ट्रैफिक क्षेत्र में आने वाली उड़ानों को अक्सर इंदौर, नागपुर या जयपुर डायवर्ट कर दिया जाता है। सिस्टम अपग्रेड होने से यह समस्या लगभग समाप्त हो जाएगी।
एयरपोर्ट पर अभी तक कैटेगरी-1 सिस्टम के साथ रनवे विजुअल रेंज (आरवीआर) भी लगा है। इसकी मदद से रनवे पर लगी लाइटिंग की मदद से 550 मीटर तक दृश्यता होने पर विमान लैंड हो जाते हैं। सिस्टम अपग्रेड होने के बाद 350 मीटर तक दृश्यता होने पर भी विमान आसानी से लैंड हो सकेंगे।
अथॉरिटी ने रनवे विजुअल रेंज के पास ही सेंट्रल लाइन लाइट स्थापित की है। इसकी मदद से विमानों को ट्रैफिक क्षेत्र में आते ही रनवे नजर आने लगेगा। इससे सुरक्षित लैंडिंग हो सकेगी। रनवे एंड के पास सेना की कुछ जमीन है। इसके लिए एयरपोर्ट अथॉरिटी ने सेना से समन्वय स्थापित कर नया सिस्टम अपग्रेड किया है।
पहले दृश्यता कम होने पर मैनुअली यह पता लगाया जाता था कि दृश्यता कितनी है। इसमें काफी समय लगता था। कई बार विमान एयरपोर्ट के आसपास मंडराते रहते हैं। हाल ही में स्वचलित मौसम अवलोकन प्रणाली (एडब्ल्यूओएस) भी स्थापित की गई है। इसकी स्थापना से मौसम खराब होने पर पायलटों को तत्काल कोहरे, वर्षा या आंधी चलने की जानकारी मिलती है। सभी सिस्टम एक साथ काम करेंगे तो विमान डायवर्ट नहीं होंगे।
इनका कहना है
हमने आधुनिक कैटेगरी-2 सिस्टम स्थापित कर लिया है। बुधवार को इसकी ग्राउंड टेस्टिंग की गई। टेस्ट रिपोर्ट सही मिली है। डीजीसीए से औपचारिक अनुमति मिलते ही नया सिस्टम काम करने लगेगा। भविष्य में शुरू होने वाली इंटरनेशनल उड़ानों को भी इसका लाभ मिलेगा।
– रामजी अवस्थी, एयरपोर्ट डायरेक्टर