पटाखों का त्योहार दिवाली करीब है, लेकिन बिना पटाखों के ही दिल्ली की हवा जहरीली हो गई है. राजधानी दिल्ली के ज्यादातर इलाके प्रदूषण की चपेट में हैं. CPCB के मुताबिक, यहां के ज्यादातर हिस्से 200-300 यानि ‘खराब श्रेणी’ की एक्यूआई की चपेट में हैं. कुछ जगहों की संख्या’ 300-400 के बीच में है. यानि ‘बहुत खराब श्रेणी’ तक पहुंच चुकी है.
दो दिन पहले राजधानी की हवा का AQI 400 से पार था. दिल्ली के लोग इस खराब हवा में सांस लेने को मजबूर हैं. हैरान करने वाली बात ये है कि दिल्ली की हवा पटाखों के कारण नहीं धुंध नहीं बनी हुई है बल्कि इसके पीछे का कारण पराली है. पंजाब और हरियाणा में धान की कटाई के बाद जोरों से पराली को जलाया जा रहा है जिसका असर राजधानी दिल्ली में देखने को मिल रहा है.
कहां कितना है एक्यूआई?
18 अक्टूबर को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक, सहादरा में 300, आरके पुरम 274, चांदनी चौक 238, सोनिया विहार में 275, आईजीआई एयरपोर्ट पर 263, शादीपुर 301, नॉर्थ कैंपस डीयू 259, अशोक विहार 272, नेहरू नगर 273 बना हुआ है.
खराब श्रेणी और बेहद खराब श्रेणी पर बने हुए प्रदूषण के कारण दिल्ली के लोगों के स्वाथ्य पर भी काफी बुरा असर पड़ रहा है. लोगों को हवा के कारण सांस लेने में भी कई बार दिक्कत हो रही है. एम्स के डॉक्टरों के मुताबिक, दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने के कारण लोगों में सांस लेने और स्किन संबंधी बीमारियां बढ़ी हैं. लोग खांसने और छींकने को मजबूर हैं. कुछ लोग इससे बचने के लिए मास्क का इस्तेमाल कर रहे हैं.
कैसे बढ़ा है प्रदूषण?
पंजाब और हरियाणा में पराली जलाए जाने के कारण राजधानी दिल्ली में धुआं बढ़ गया है और यहां की हवा प्रदूषण के उच्चतम स्तर पर पहुंच चुकी है. साथ ही यहां पर निकल रहे फैक्ट्रियों के धुएं भी हवा को प्रदूषित करने में हिस्सेदारी निभा रहे हैं.
प्रदूषण के बढ़ते स्तर के कारण GRAP-1 की पाबंदियां लगाई गई हैं, जिनमें सड़कों पर मशीनीकृत कामों पर रोक लगाई गई है. साथ ही समय-समय पर पानी का छिड़काव किया जाना चाहिए. सड़कों पर गाड़ियों की संख्या को भी कम करने के लिए एक ऑफिस के कर्मचारियों को एकसाथ सफर करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है.