हिन्दू धर्म में करवा चौथ का व्रत सबसेअधिक महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे जीवन में के लिए निर्जला उपवास रखती है. ये व्रत हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है. इस दिन महिलाएं पूरे दिन बिना अन्न और जल ग्रहण किए पति की लंबी आयु के लिए उपवास करती है और रात को चांद देखने के बाद अपना व्रत तोड़ती करती हैं. करवा चौथ का पर्व पूरे उत्तर भारत में मनाया जाता है. उत्तर प्रदेश में भी इस पर्व की धूम देखने को मिलती है.
हिन्दू धर्म में करवा चौथ को सुहागिन स्त्रियों को सबसे बड़ा माना जाता है. ये व्रत सूर्योदय से लेकर रात में चंद्रोदय तक चलता हैं. महिलाएं इस दिन सोलह श्रृंगार करती है और अपने पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत करती है. महिलाएं पूरा दिन न तो अन्न ग्रहण करती और न ही जल. रात को जब चंद्रोदय होता है तब महिला चांद अर्घ्य देकर पति की लंबी आयु की मंगल कामना करते हुए अपना उपवास पूरा करती है.
करवा चौथ पर चतुर्थी तिथि 20 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 46 मिनट से प्रारंभ होगी और 21 अक्टूबर को सुबह 04 बजकर 16 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में शाम होने के बाद से ही महिलाओं को चांद के निकलने का इंतजार रहता है. लेकिन, इस बार चांद देखने के लिए महिलाओं को ज्यादा इंतजार नहीं करना होगा. इस बार रविवार को चंद्रमा का उदय शाम 7 बजकर 40 मिनट पर हो जाएगा. राजधानी दिल्ली-नोएडा से लेकर प्रयागराज और अयोध्या तक तमाम बड़े शहरों में चांद इस समय दिखाई देगा.
किस शहर में कब दिखेगा चांद
शहर का नाम
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चांद निकलने का समय
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लखनऊ | 07 बजकर 42 मिनट |
कानपुर | 07 बजकर 47 मिनट |
नोएडा | 07 बजकर 52 मिनट |
दिल्ली | 9 बजकर 10 मिनट |
प्रयागराज | 07 बजकर 42 मिनट |
अयोध्या | 07 बजकर 38 मिनट |
वाराणसी | 07 बजकर 32 मिनट |
बरेली | 07 बजकर 46 मिनट |
गाजियाबाद | 07 बजकर 52 मिनट |
आगरा | 07 बजकर 55 मिनट |
कोलकाता | 07 बजकर 46 मिनट |
देहरादून | 07 बजकर 09 मिनट |
अमृतसर | 07 बजकर 54 मिनट |
भोपाल | 08 बजकर 29 मिनट |
अहमदाबाद | 07 बजकर 38 मिनट |
चेन्नई | 08 बजकर 43 मिनट |
मुंबई | 08 बजकर 59 मिनट |
कुरुक्षेत्र | 08 बजे |
शिमला | 07 बजकर 47 मिनट |
जम्मू | 07 बजकर 52 मिनट |
पंजाब | 07 बजकर 48 मिनट |
बिहार | 08 बजकर 29 मिनट |
झारखंड | 08 बजकर 35 मिनट |
कुछ ऐसी है मान्यता
ऐसा माना जाता है कि पूजा के दौरान करवा (मिट्टी का पात्र) का प्रयोग किया जाता है, जिसे पति की प्रतीकात्मक सुरक्षा के रूप में देखा जाता है. महिलाएं करवा को भगवान गणेश और चंद्रमा के सामने रखकर पूजा करती हैं. फिर चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपने पति के हाथ से पानी पीकर व्रत का समापन करती हैं. पति पत्नी को आवश्यक रूप से विशेष उपहार देते हैं, इसमें आभूषण, कपड़े और अन्य उपहार शामिल होते हैं.