सर्वोदय अस्पताल के डाक्टर ने पहले से भर्ती मरीज को बताया सड़क हादसे का घायल, हाई कोर्ट के निर्देश पर डाक्टर-दवा विक्रेता पर मामला दर्ज
जबलपुर । जबलपुर के सर्वोदय अस्पताल प्रबंधन ने पहले से भर्ती मरीज को सड़क हादसे का घायल बनाकर उसकी फर्जी रिपोर्ट बनाई और मेडिकल स्टोर्स संचाल ने दवाओं के फर्जी बिल तैयार किए। इन दस्तावेजों को मोटर दावा अधिकरण में पेश किया गया। न्यायालय ने ओमती पुलिस को आरोपित चिकित्सक डा.राजेश अग्रवाल और प्रियांशु मेडिकल स्टोर्स के संचालक प्रियांश के खिलाफ मामला दर्ज करने के निर्देश दिए। ओमती थाना ने न्यायालय के निर्देश पर मामला दर्ज किया है।
अतिरिक्त मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण में चार्जशीट दाखिल की
लार्डगंज थाने में वर्ष 2020 में सड़क दुर्घटना का मामला दर्ज किया गया। इस घटना में सोनू दाहिया को घायल बताया गया। मामले में आवेदक मनीष लारिया था। लार्डगंज पुलिस ने वर्ष 2021 में 25 वें अतिरिक्त मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण में चार्जशीट दाखिल की।
19 अक्टूबर 2020 को सड़क हादसे में घायल हुआ था
वहीं इसके बाद एक ओर मामला अधिकरण में दायर हुआ, जिसमें घायल तो जमना प्रसाद था, लेकिन अनावेदक मनीष लारिया ही था। न्यायालय को बताया गया कि सोनू दाहिया 19 अक्टूबर 2020 को सड़क हादसे में घायल हुआ था। उसे इसी दिन 12 बजकर एक मिनिट पर सर्वोदय अस्पताल एवं रिसर्च सेन्टर में भर्ती किया गया।
जांच की और डाक्टर व दवा दुकान संचालक के बयान दर्ज किए
अस्पताल और मेडिकल स्टोर की दवाओं के बिल थे। न्यायालय ने मामले में डा. अग्रवाल और दवा दुकान संचालक प्रियांशु को तलब किया। जांच की और डाक्टर व दवा दुकान संचालक के बयान दर्ज किए, तो पता चला कि वह 16 अक्टूबर से अस्पताल में भर्ती था। इसके बावजूद उसे 19 अक्टूबर को सड़क हादसे में घायल होना और इसी दिन भर्ती होना बताया गया। अस्पताल के कई दस्तावेज साक्ष्य भी न्यायालय को मिल गए।
ऐसे खुली पोल
सोनू की रिपोर्ट में डॉ अग्रवाल ने लिखा कि 19 अक्टूबर को उसे भर्ती करने के बाद उसके पैर से पस आने लगा था, वहीं पैर भी काला पड़ गया था, जबकि यदि वह 19 अक्टूबर को ही सड़क हादसे में घायल हुआ होता, तो पैर से पस आने की बात संभव ही नहीं थी। इसी बात से डाक्टर और दवा दुकान संचालक की कारसतानी सामने आ गई।
पुलिस अधिकारी की भूमिका भी संदेह के दायरे में है
ओमती पुलिस ने मामले में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है, लेकिन मामले की एफआईआर दर्ज करने और जांच के बाद न्यायालय में चालान पेश करने वाले पुलिस अधिकारी की भूमिका भी संदेह के दायरे में है।
कोई दोषी पाया जाता है, तो उसे भी आरोपित बनाया जाएगा
ओमती पुलिस के अनुसार मामले में उक्त अधिकारी, गवाह समेत अन्य के बयान भी दर्ज किए जाएंगें, यदि कोई दोषी पाया जाता है, तो उसे भी आरोपित बनाया जाएगा।