ब्रेकिंग
बीजेपी सांसद प्रताप सारंगी को राहुल गांधी ने धक्का मारा या कुछ और? जानिए कैसे लगी चोट भरी मेट्रो में युवक को गिराकर दो बंदों ने बेरहमी से पीटा, Delhi Metro का नया वीडियो वायरल विराट कोहली की महिला से जमकर बहस, मेलबर्न एयरपोर्ट पर मचा बवाल महाकुंभ में आप भी लगा सकते हैं अपनी दुकान, बस करना ये आसान काम सुबह-सुबह संभल सांसद जिया उर रहमान बर्क के घर पहुंचा बिजली विभाग, मीटर से लेकर एसी-पंखे तक की जांच, ... जम्मू-कश्मीर: कुलगाम में मुठभेड़, 5 आतंकी ढेर, 2 जवान घायल, ऑपरेशन जारी कार की डिक्की में रख रहा था शव, गूगल मैप्स ने कैद की तस्वीर, संदिग्ध गिरफ्तार कार की डिक्की में रख रहा था शव, गूगल मैप्स ने कैद की तस्वीर, संदिग्ध गिरफ्तार लद्दाख में महसूस किए गए भूकंप के झटके, रिक्टर स्केल पर 4.3 रही तीव्रता डॉक्टर नहीं अब तांत्रिक करेंगे इलाज! ICU में भर्ती था मरीज, परिजनों ने कराई झाड़-फूंक

14 साल बाद लौटा बेटा…भूल चुका था अपनी पहचान, कर्नाटक में खाता रहा ठोकरें; शिवकुमार के घर वापसी की कहानी

छत्तीसगढ़ का एक शख्स 14 साल बाद घर वापस लौटा है. वह कर्नाटक के मंगलुरु में भटकता रहा. वह अपनी पिछली यादों को भूल चुका था. वह एक एनजीओ की मदद से फिर अपने घर लौटा है. लेकिन, यहां आकर पता चला कि उसकी मां की मौत हो चुकी है. मां की मौत की खबर से उसके आंखों से आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं. इस शख्स का नाम शिवकुमार है. आइए जानते हैं इसकी कहानी.

मंगलुरु स्थित व्हाइट डव्स नामक एनजीओ ने शिवकुमार की घर वापसी में मदद की.व्हाइट डव्स संस्थान के अधिकारियों ने बताया कि शिवकुमार को मंगलुरु के पांडेश्वर स्थित पुलिस अधीक्षक कार्यालय के बाहर बस स्टैंड पर पाया गया था. वह अपनी पिछली यादों को भूल चुका था और उसे एनजीओ के सदस्य अपने घर ले गए थे. शिवकुमार अक्सर अचानक तेज आवाजें करता था और खुद से बात करता रहता था. वह घर जाने की बात करता था, लेकिन उसे यह नहीं पता था कि उसका घर कहां था.

इलाज के बाद यादें आईं

इलाज के बाद, उसने हाल ही में अपने चाचा के नाम याद किए और कुछ जानकारी दी. इसी जानकारी के आधार पर, व्हाइट डव्स के मैनेजर जेराल्ड ने दो सप्ताह तक काम किया और अंततः छत्तीसगढ़ में उसके चाचा का पता लगाया. शिवकुमार मानसिक रूप से बचपन से ही कमजोर था और 2008 में अपने पिता की मृत्यु के बाद अपनी मां और चाचा के साथ दिल्ली गया था, जहां वह निर्माण स्थलों पर काम करता था. वे रेलवे स्टेशन के पास रहते थे और शिवकुमार अक्सर वहीं रहता था.

घर में सब थे, लेकिन मां नहीं थी

दुर्भाग्य से, 2009 में उसकी मां एक इमारत से गिरकर घायल हो गईं और बिस्तर पर थीं. इसके बाद, उसके चाचा ने उसकी मां को छत्तीसगढ़ ले जाने का फैसला किया और शिवकुमार को दिल्ली में छोड़ दिया. जब वे वापस दिल्ली लौटे, तो वे शिवकुमार को ढूंढने में असमर्थ रहे. उनकी कई कोशिशों के बावजूद शिवकुमार का पता नहीं चल पाया. उनकी बिस्तर पर पड़ी मां, जो अपने बेटे के लौटने का बेसब्री से इंतजार कर रही थीं, दो साल पहले इस दुनिया से चली गईं.

व्हाइट डव्स द्वारा शिवकुमार के परिवार से संपर्क स्थापित करने के बाद, उसके परिवार के सदस्य, जिसमें उसका चाचा और चचेरा भाई शामिल थे, शिवकुमार को अपने साथ छत्तीसगढ़ ले गए ताकि वह अपने छोटे भाई और उनके परिवार के साथ रह सके.

शिवकुमार की यह कहानी यह बताती है कि मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं सिर्फ व्यक्ति को ही नहीं, बल्कि उसके परिवार को भी गहरे असर डालती हैं. हालांकि उनका घर लौटना एक नई शुरुआत की तरह है, लेकिन इन घटनाओं ने उनके परिवार के लिए मानसिक और भावनात्मक रूप से बहुत बड़ी चोट दी.

बीजेपी सांसद प्रताप सारंगी को राहुल गांधी ने धक्का मारा या कुछ और? जानिए कैसे लगी चोट     |     भरी मेट्रो में युवक को गिराकर दो बंदों ने बेरहमी से पीटा, Delhi Metro का नया वीडियो वायरल     |     विराट कोहली की महिला से जमकर बहस, मेलबर्न एयरपोर्ट पर मचा बवाल     |     महाकुंभ में आप भी लगा सकते हैं अपनी दुकान, बस करना ये आसान काम     |     सुबह-सुबह संभल सांसद जिया उर रहमान बर्क के घर पहुंचा बिजली विभाग, मीटर से लेकर एसी-पंखे तक की जांच, भारी फोर्स की तैनात     |     जम्मू-कश्मीर: कुलगाम में मुठभेड़, 5 आतंकी ढेर, 2 जवान घायल, ऑपरेशन जारी     |     कार की डिक्की में रख रहा था शव, गूगल मैप्स ने कैद की तस्वीर, संदिग्ध गिरफ्तार     |     कार की डिक्की में रख रहा था शव, गूगल मैप्स ने कैद की तस्वीर, संदिग्ध गिरफ्तार     |     लद्दाख में महसूस किए गए भूकंप के झटके, रिक्टर स्केल पर 4.3 रही तीव्रता     |     डॉक्टर नहीं अब तांत्रिक करेंगे इलाज! ICU में भर्ती था मरीज, परिजनों ने कराई झाड़-फूंक     |