इंदौर। डॉ. आंबेडकर और संविधान के नारे पर महू में कांग्रेस के तमाम बड़े नेताओं की भीड़ सोमवार को जुटी। दो मुख्यमंत्री, कई पूर्व केंद्रीय मंत्री, युवा कांग्रेस, सेवा दल, एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष और कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य सब एक ही मंच पर दिखे।
रैली के अंत में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी बसपा के संस्थापक कांशीराम की बहन स्वर्णकौर को लेकर भी पहुंचे। राहुल गांधी की बगल वाली कुर्सी पर बैठाया और फिर राहुल से मुलाकात करवाई।
कांग्रेस दलित-आदिवासी और पिछड़े को साधते हुए दिखी और पटवारी अपने केंद्रीय नेताओं को साधने की कोशिश में दिखे।
बिना पूर्व घोषणा के कांशीराम के स्वजनों को मंच पर बुलाया
- राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का भाषण खत्म होने के बाद कांशीराम फाउंडेशन की चेयरमैन और उनकी बहन स्वर्णकौर को मंच पर लाया गया। पटवारी ने उनका परिचय दिया।
- स्वर्ण कौर के साथ कांशीराम के भतीजे लखबीरसिंह भी थे। स्वर्णकौर ने राहुल गांधी के गले में नीला टुपट्टा डालकर कांशीराम की तस्वीर भेंट की। इस पर राहुल ने उन्हें गले लगा लिया।
- पटवारी ने बिना पूर्व घोषणा के जिस तरह कांशीराम के स्वजनों को मंच पर बुलाया उससे माना जा रहा है कि वे भी आलाकमान की नजर चढ़ने के लिए उन्हीं के फार्मूले को अपना रहे हैं।
- पटवारी ने लोकसभा की हार के जिस अंदाज में माफी मांगी और आगे संगठन कसने का वादा किया। ऐसे में पटवारी ने एक तरह से अपने लिए काम करने की ओर मोहलत मांगी।
प्रदेश की भीड़ और कबीर के भजन
डॉ. आंबेडकर की नगरी में होने वाले इस आयोजन में भीड़ जुटाकर ताकत दिखाना प्रदेश कांग्रेस के लिए चुनौती माना जा रहा था। बहुत हद तक कांग्रेस इसमें सफल होती दिखी। कांग्रेस ने आयोजन के मंच को अलग अंदाज में बनाया था।
मुख्य मंच के अगल-बगल दो मंच बने थे। एक मंच पर शहर व प्रदेश के दूसरे नेताओं-पदाधिकारियों को बैठा दिया गया था। दूसरा मंच कबीर भजन गायक प्रहलाद सिंह टिपाणिया के नाम था।
टिपाणिया की मंडली ने सभा से पहले भजन की प्रस्तुतियां दी। बाद में करीब 10 मिनट तक टिपाणिया राहुल गांधी से चर्चा करते दिखे।
कमल नाथ जल्द रवाना
महू के आयोजन की अनुमति जिला कांग्रेस सदाशिव यादव के नाम से ली गई थी। आयोजन के दौरान यादव लगातार मंंच पर सक्रिय दिखे। बड़े नेताओं के साथ तस्वीरें खिंचवाने में यादव के साथ अरविंद बागड़ी भी आगे रहे। हालांकि शहर कांग्रेस अध्यक्ष सुरजीतसिंह चड्ढा सिर्फ स्वागत के दौरान एक ही बार मंंच पर नजर आए। कमल नाथ रैली समाप्त होने से पहले रवाना हो गए। हालांकि तब तक राहुल गांधी का भाषण समाप्त हो चुका था।