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केजरीवाल के सिपहसलार कैसे अपनी सीटों पर ही उलझे, जानें आतिशी-सिसोदिया, भारद्वाज सहित AAP के दिग्गजों का हाल

दिल्ली विधानसभा चुनाव की लड़ाई काफी दिलचस्प होती जा रही है. इस बार दिल्ली में किसी एक पार्टी के पक्ष में कोई लहर नहीं दिख रही है बल्कि हर सीट की अपनी लड़ाई है. बीजेपी और कांग्रेस ने अरविंद केजरीवाल ही नहीं बल्कि उनके सिपहसलारों के खिलाफ अपने मजबूत प्रत्याशी उतारकर सियासी चक्रव्यूह रचा है. इसके चलते सीएम आतिशी से लेकर मनीष सिसोदिया और सौरभ भारद्वाज जैसे दिग्गज नेता अपनी ही सीट पर उलझे हुए नजर आ रहे हैं.

बीजेपी और कांग्रेस ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के दिग्गज नेताओं को उनके घर में ही घेरने का ताना-बाना बुना है. इस बार दोनों विपक्षी दलों ने न सिर्फ अरविंद केजरीवाल बल्कि सीएम आतिशी और उनके मौजूदा मंत्रियों के खिलाफ मजबूत दांव चले हैं. इसके चलते केजरीवाल के सेनापित अपनी-अपनी सीट बचाने में लगे हैं और दूसरी सीटों पर प्रचार करने के लिए नहीं पहुंच पा रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि कांग्रेस और बीजेपी की घेराबंदी को केजरीवाल ब्रिगेड तोड़ने में सफल हो पाएगी?

केजरीवाल को मिल रही तगड़ी टक्कर

नई दिल्ली विधानसभा सीट से अरविंद केजरीवाल चौथी बार चुनावी मैदान में उतरे हैं, लेकिन पिछले तीन चुनाव की तरह राह इस बार आसान नहीं है. कांग्रेस ने संदीप दीक्षित और बीजेपी ने प्रवेश वर्मा जैसे दिग्गज नेता को नई दिल्ली सीट पर उतारकर अरविंद केजरीवाल के खिलाफ तगड़ी टक्कर देने की कवायद की है. विपक्ष की इस रणनीति के चलते केजरीवाल चुनाव प्रचार में अपने ही क्षेत्र में फंसे हुए हैं और दूसरे इलाकों में बहुत ज्यादा वक्त नहीं दे पा रहे. हालांकि, हर रोज दो से तीन क्षेत्र में रैली कर रहे हैं.

जंगपुरा सीट पर उलझे मनीष सिसोदिया

अरविंद केजरीवाल ने अपने सबसे मजबूत सिपहसलार मनीष सिसोदिया को इस बार जंगपुरा सीट से उतारा है. 1013 से लेकर 2020 तक पटपड़गंज सीट से सिसोदिया विधायक चुने जाते रहे हैं, लेकिन इस बार जंगपुरा से किस्मत आजमा रहे हैं. कांग्रेस ने फरहाद सूरी और बीजेपी ने कांग्रेस से आए तरविंदर सिंह मारवाह जंगपुरा सीट पर सिसोदिया के खिलाफ उतरे हैं. मारवाह 1998 से 2013 तक जंगपुरा सीट से कांग्रेस के विधायक रहे हैं.

2022 में मारवाह ने कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया था. कांग्रेस के फरहाद सूरी भी इसी इलाके से लगातार पार्षद हैं. इस तरह जंगपुरा सीट पर सिसोदिया के खिलाफ विपक्ष ने जबरदस्त चक्रव्यूह रचा है. इसके चलते सिसोदिया अपनी ही सीट तक ही सीमित हैं. जंगपुरा सीट से बाहर किसी दूसरी सीट पर प्रचार के लिए नहीं पहुंच पा रहे हैं जबकि पार्टी में केजरीवाल के बाद दूसरे सबसे बड़े स्टार प्रचारक हैं. सिसोदिया अपनी जीत के लिए केजरीवाल से लेकर आतिशी और भगवंत मान जैसे नेताओं को जंगपुरा में प्रचार के लिए बुला चुके हैं.

सीएम आतिशी के लिए बढ़ा दी टेंशन

अरविंद केजरीवाल ने अपनी जगह आतिशी को सीएम की कुर्सी सौंपी थी. मुख्यमंत्री आतिशी के खिलाफ कालकाजी सीट पर कांग्रेस ने अलका लांबा और बीजेपी ने रमेश बिधूड़ी को प्रत्याशी बनाकर जबरदस्त तरीके से घेराबंदी की है. ऐसे में आतिशी भी अपनी सीट पर ही फोकस कर रही हैं. सीएम आतिशी प्रचार का ज्यादातर समय कालकाजी सीट पर लगा रही हैं, जिस वजह से दूसरी सीटों पर बहुत समय प्रचार के लिए नहीं पहुंच पा रही हैं. कालकाजी सीट के अलावा दिन में एक से दो अनय सीटों पर ही प्रचार के लिए पहुंच रही हैं जबकि सत्ता की कमान उनके ही हाथों में है.

भारद्वाज-इमरान अपनी-अपनी सीट में फंसे

केजरीवाल के करीबी नेताओं में सौरभ भारद्वाज की गिनती होती है, जो दिल्ली सरकार में सबसे पावरफुल मंत्री माने जाते हैं. चौथी बार ग्रेटर कैलाश विधानसभा सीट से किस्मत आजमा रहे हैं. बीजेपी ने भारद्वार के खिलाफ ग्रेटर कैलाश सीट से एक बार फिर शिखा राय को उतारा है. 2020 चुनाव में शिखा राय को करीब 40 फीसदी वोट मिले थे और वो अभी पार्षद भी हैं जबकि कांग्रेस से गर्वित सिंघवी मैदान में है. इसके चलते भारद्वाज अपनी सीट पर उलझ गए हैं और दूसरी सीटों पर प्रचार करने नहीं पहुंच पा रहे हैं.

दिल्ली सरकार के मंत्री और आम आदमी पार्टी के मुस्लिम चेहरा माने जाने वाले इमरान हुसैन अपनी बल्लीमरान सीट पर काफी फंसे हुए नजर आ रहे हैं. कांग्रेस से दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री हारुन यूसुफ चुनाव लड़ रहे हैं तो बीजेपी से कमल बागड़ी चुनाव लड़ रहे हैं. बागड़ी रामनगर से पार्षद हैं और दलित समाज से आते हैं. मुस्लिम बहुल सीट पर इमरान हुसैन को काफी टक्कर मिलती नजर आ रही है, जिसके चलते वो अपनी सीट से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं.

गोपाल राय और अहलावत फंसे

दिल्ली सरकार में मंत्री और केजरीवाल के मजबूत सेनापति माने जाने वाले गोपाल राय बाबरपुर सीट से हैट्रिक लगाने के लिए उतरे हैं, लेकिन बीजेपी और कांग्रेस ने मजबूत दांव खेलकर उन्हें घेर रखा है. गोपाल राय के खिलाफ बीजेपी से अनिल वशिष्ठ और कांग्रेस से हाजी इशराक चुनाव लड़ रहे हैं. हाजी इशराक 2015 में सीलमपुर सीट से विधायक रह चुके हैं. 40 फीसदी के करीब बाबरपुर सीट पर मुस्लिम मतदाता है और दिल्ली दंगे की चपेट में यह सीट रही है. धार्मिक ध्रुवीकरण होता नजर आ रहा है, जिसके चलते गोपाल राय अपनी ही सीट पर उलझे हुए हैं.

सुल्तानपुर माजरा विधानसभा सीट से आम आदमी पार्टी के मुकेश अहलावत चुनाव लड़ रहे हैं. अहलावत पार्टी के दलित चेहरा माने जाते हैं और दिल्ली सरकार में मंत्री हैं. सुल्तानपुर माजरा सीट पर मुकेश अहलावत के खिलाफ कांग्रेस से जय किशन और बीजेपी से कर्म सिंह कर्मा मैदान में हैं. जय किशन दिग्गज नेता माने जाते हैं और लगातार तीन बार विधायक रहे हैं तो बीजेपी के कर्म सिंह भी पूरे दमखम के साथ हैं.

नागलोई जाट सीट पर आम आदमी पार्टी के रघुविंदर शौकीन भी फंसे हुए नजर आ रहे हैं. शौकीन दिल्ली सरकार में मंत्री हैं और पार्टी के जाट चेहरा माने जाते हैं, लेकिन इस बार उन्हें अपनी ही जाति के नेताओं से मुकाबला करना पड़ रहा है. शौकीन के खिलाफ बीजेपी से पूर्व विधायक मनोज शौकीन और कांग्रेस से रोहित चौधरी चुनाव लड़ रहे हैं, तीनों ही जाट समाज से हैं. इस तरह जाट बनाम जाट की लड़ाई में रघुविंदर अपनी सीट से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं.

अरविंद केजरीवाल के करीबी माने जाने वाले ओखला के विधायक अमानतुल्लाह खान के लिए भी इस बार काफी मुश्किल राह हो गई है. अमानतुल्लाह खान हैट्रिक लगाने के लिए उतरे हैं, लेकिन बीजेपी ने मनीष चौधरी, कांग्रेस ने अरीबा खान तो ओवैसी ने शिफाउर रहमान को उतारकर उनकी राह में कांटे बिछा दिए हैं. तीन मुस्लिम कैंडिडेट होने के चलते मुस्लिम वोट बिखरता हुआ नजर आ रहा है, जिसके चलते अमानतुल्लाह अपनी सीट से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं. इसी तरह राजेंद्र नगर सीट पर दुर्गेश पाठक के लिए मुश्किल खड़ी नजर आ रही है. बीजेपी से उमंग बजाज और कांग्रेस से विनीत यादव चुनाव लड़ रहे हैं.

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