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धार्मिक

लगातार आ रही हैं बाधाएं और परेशानियां करें कालाष्टमी का व्रत सुलझेगी तमाम समस्याएं

Kalashtami 2023: कई बार जीवन में एक के बाद बाधाएं आती रहती हैं और व्यक्ति परेशान हो जाता है। उसकी समझ में नहीं आता कि सारी परेशानियों को उसी का पता कैसे मिल जाता है। अगर ज्योतिष शास्त्र की मानें, तो जीवन में आनेवाली इस तरह की समस्याओं की वजह ग्रहों की स्थिति और उनके दुष्प्रभाव होते हैं। इस तरह की बाधाओं के लिए आम तौर पर शनि या राहु की स्थिति को जिम्मेवार माना जाता है। ऐसे में इन समस्याओं से छुटकारा पाने का उपाय है, इन ग्रहों और उनसे जुड़े देवताओं को प्रसन्न करना। आज हम आपको बता रहे हैं एक विशेष व्रत, जिससे अचानक आनेवाली ऐसी बाधाओं से राहत मिल सकती है।

कालाष्टमी व्रत का महत्व

प्रत्येक माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन कालाष्टमी का व्रत रखने का विधान है। इस दिन भगवान भोलेनाथ के रुद्रावतार, काल भैरव का पूजन किया जाता है। भैरव का सौम्य रूप बटुक भैरव और उग्र रूप काल भैरव माना गया है। शास्त्रों के अनुसार, भगवान काल भैरव की पूजा-अर्चना करने से जीवन में आने वाले परेशानियों से मुक्ति मिलती है। जिन लोगों को अनिद्रा और मानसिक तनाव अधिक रहता है, उन्हें भी इनकी पूजा-अर्चना से लाभ होता है। खास तौर पर शनि और राहु की बाधाओं से मुक्ति के लिए काल भैरव की आराधना अवश्य करनी चाहिए। काल भैरव की उपासना करने वाले के जीवन से हर तरह की नकारात्मकता दूर होती है और सकारात्मकता का प्रवेश होता है।

तिथि एवं पूजन विधि

5 जून से आषाढ़ मास का प्रारंभ हो चुका है और 10 जून, शनिवार को कालाष्टमी का व्रत होगा। धर्म ग्रंथों के अनुसार, कालाष्टमी के व्रत के दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान काल भैरव की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। किसी मंदिर में जाकर उनकी प्रतिमा के सामने दीप जलाकर व्रत का संकल्प लें और रात्रि में उनकी आरती करें। काल भैरव को भगवान शिव का रौद्र रूप माना जाता है। इन्हें तंत्र-मंत्र का देवता भी कहा जाता है। इनकी पूजा से सभी ग्रह-दोष, बुरी दृष्टि, भय-बाधा आदि का नाश हो जाता है।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

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