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स्कंद षष्ठी व्रत का इस विधि से करें पारण, जीवन में बनी रहेंगी खुशियां!

हिंदू धर्म में स्कंद षष्ठी के व्रत का विशेष महत्व है. स्कंद षष्ठी का व्रत भगवान शिव के बड़े बेटे भगवान कार्तिकेय को समर्पित है. हर माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी का व्रत किया जाता है. जो भी स्कंद षष्ठी का व्रत करता है उसके जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है. ये व्रत महिलाएं संतान प्राप्ति और संतान की लंबी उम्र के लिए भी करती हैं.

स्कंद षष्ठी के व्रत का पारण अगले दिन शुभ मुहूर्त में विधि विधान से किया जाता है. धार्मिक मान्यता है कि अगर इस व्रत का पारण शुभ मुहूर्त में और विधि विधान से नहीं किया गया तो स्कंद षष्ठी का व्रत करने वालों को उसका फल प्राप्त नहीं होता. ऐसे में आइए जानते हैं कि स्कंद षष्ठी का व्रत का पारण किस विधि से करना चाहिए.

हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ महीने की षष्ठी तिथि सोमवार 3 फरवरी यानी आज सुबह 6 बजकर 52 मिनट पर शुर हो चुकी है. इस तिथि का समापन कल 4 फरवरी को सुबह 4 बजकर 37 मिनट पर हो जाएगा. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, माघ महीने में स्कंद षष्ठी का व्रत आज ही है. कल सूर्योदय के बाद स्कंद षष्ठी के व्रत का पारण किया जाएगा.

ऐसे करें स्कंद षष्ठी के व्रत का पारण

स्कंद षष्ठी व्रत का पारण अगले दिन शुभ मुहूर्त में करना चाहिए. प्रात: काल स्नान के बाद पहले भगवान कार्तिकेय की विधि पूर्वक पूजा करनी चाहिए. इसके बाद ही व्रत का पारण करना चाहिए. पूजा के बाद व्रत का पारण करना शुभ माना गया है. व्रत का पारण करने के बाद क्षमतानुसार, गरीबों और जरूरतमंद लोगों को अन्न धन और वस्त्रों का दान करना चाहिए. हिंदू मान्यताओं के अनुसार, ऐसा करने वालों को उनके काम में सफलता मिलती है. साथ ही जाीवन में सुख-शांति रहती है.

स्कंद षष्ठी के व्रत का महत्व

स्कंद षष्ठी के दिन जो भी विधि-विधान से व्रत और पूजन करते हैं उन पर भगवान कार्तिकेय विशेष कृपा करते हैं. स्कंद षष्ठी का व्रत करने से संतान प्राप्ति और उनकी लंबी आयु तो होती ही है. इसके अलावा शनि दोष से छुटकारा मिल जाता है. साथ ही जीवन की तमाम परेशानियों का अंत हो जाता है. हर काम में सफलता प्राप्त होती है.

खंडवा के खेड़ी गांव में फूटी नर्मदा पाइपलाइन, दो दिन के लिए पेयजल सप्लाई प्रभावित     |     सुल्तानपुर के बेखौफ कॉलोनाइजर: कॉलोनी काटने नियम, कानूनों को रखा ताक पर,धड़ल्ले से काट रहे अवैध कॉलोनी     |     भोपाल। प्रारंभिक शिक्षा नई शिक्षा नीति में महत्वपूर्ण स्तंभ है, इसे देखते हुए शाजापुर कलेक्टर ऋजु बाफना द्वारा नवाचार कर शाला पूर्व शिक्षा के लिए जिले की 200 आंगनवाड़ी केन्द्रो में 6 जनवरी 2025 से पायलेट प्रोजेक्ट शुरू कराया गया है। नवाचार का उद्देश्य बच्चों के मस्तिष्क में प्रारंभिक विकास को गति देना है, जिससे वे स्कूल में प्रवेश से पहले ही एक ठोस शैक्षणिक आधार प्राप्त कर सके। नवाचार की सफलता पर कलेक्टर बाफना ने 1 अप्रैल 2025 से जिले की सभी 1054 आंगनवाड़ी केन्द्रो में शाला पूर्व शिक्षा देने के लिए अगला कदम उठाया है। थीम आधारित शिक्षा शाला पूर्व शिक्षा के लिए आंगनवाड़ी केन्द्रो की कार्यकर्ताओं, सहायिकाओं तथा क्षेत्रीय पर्यवेक्षको को एक दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया, जिसमें राज्य शिक्षा केन्द्र से प्राप्त हुई शाला पूर्व शिक्षा मार्गदर्शिका के आधार पर बच्चों को शिक्षा की ओर ले जाने के लिए प्रशि‍क्षित किया गया। प्रशिक्षण में अलग-अलग थीम पर 30 दिवस की कार्ययोजना दी गई, जिमसें बच्चों को मेरा परिवार, सब्जियां, फल, पेड़ पौधे और फूल, हवा, पानी, जानवर, समुदाय और कामगार, वाहन, मौसम और समय पर आधारित शिक्षा प्रदान की जा रही है। शाला पूर्व शिक्षा से बच्चे शैक्षणिक क्षमता लेकर विद्यालयों में प्रवेश लेंगे इससे उन्हें शिक्षा ग्रहण करने में दिक्कतों का सामना नहीं करना पडे़गा। थीम आधारित शिक्षा का उददेश्य बच्चों को समझने व सोंचने की क्षमता को विकसित करना है, जिससे वे विद्यालय में आसानी से शिक्षा ग्रहण कर सके। इसके लिए बच्चों को थीम डोमेन आधारित पाठ्यक्रम, वर्कबुक, प्री-स्कूल किट आदि भी दी गई है। नवाचार के क्रियान्वयन में जनभागीदारी जिले की 200 आंगनवाड़ी केन्द्रो में प्रारंभ की गई शाला पूर्व शिक्षा के क्रियान्वयन में स्थानीय जन सहयोग से खेल सामग्री एवं स्थानीय उपलब्ध संसाधनों जैसे कि सब्जियां, फल, मिट्टी के खिलौने आदि सामग्रियां भी प्राप्त हो रही है। मॉनिटरिंग एवं प्रभावी क्रियान्वयवन नवाचार के प्रभावी क्रियान्वयन एवं निगरानी के लिए वाट्सएप्प पर ग्रुप बनाया गया है, जिसपर प्रतिदिन की गतिविधियां आंगनवाड़ी केन्द्रो द्वारा साझा की जाती है। किसी भी तरह की कमी पाए जाने पर तुरंत सुधार के निर्देश दिए जाते है। इसका अवलोकन स्वयं कलेक्टर एवं नोडल अधिकारी द्वारा की जाती है। आंगनवाड़ी केन्द्रो के पर्यवेक्षण के लिए सीडीपीओ एवं पर्यवेक्षको को सप्ताह में तीन दिन मंगलवार, गुरूवार एवं शुक्रवार को दो-दो आंगनवाड़ी केन्द्रो का निरीक्षण करने के निर्देश दिए गए है। मॉनिटरिंग के लिए गूगल फार्म भी तैयार किया गया है, जिसमें विस्तृत प्रश्नों के जवाब देना होता है। साथ ही एक घण्टे के अंतराल से जीपीएस कैमरे से खींची गई दो फोटो भी संलग्न करना होती है। बच्चों की प्रोगेस से संबंधित प्रविष्ठियां दर्ज करने के निर्देश दिये गये है। इस प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन से आंगनवाड़ी केन्द्र समय पर खुल रहे हैं। बच्चों की उपस्थिति बढ़ रही है। अभिभावक अपने बच्चों को समय पर आंगनवाड़ी केन्द्रों में भेज रहे है। आंनगवाड़ी केन्द्रो में बच्चों को समय पर नाश्ता, भोजन आदि भी प्रदान किया जा रहा है। कलेक्टर  की इस अभिनव पहल से जिले के बच्चों के शैक्षणिक विकास में गुणवत्तापूर्ण सुधार देखने को मिल रहा है, जिससे बच्चों के भविष्य की शिक्षा की नीव मजबूत होगी। पायलेट प्रोजेक्ट के सफल क्रियान्वयन के उपरांत यह पूरे जिले की 1054 आंगनवाड़ी केन्द्रों में 01 अप्रैल 2025 से लागू किया जाएगा, जिससे बच्चों के संपूर्ण शैक्षिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।     |     शाजापुर में नवाचार से बच्चों के शैक्षिक विकास में हो रही है वृद्धि     |     टमाटर के दाम गिरने से खंडवा में दुखी किसान खेतों से फसल उखाड़कर फेंकने को मजबूर     |     उन्हें मोक्ष का ज्ञान नहीं… महाकुंभ भगदड़ में मारे गए लोगों पर धीरेंद्र शास्त्री के बयान से रामभद्राचार्य का किनारा     |     वस्त्र से नहीं विचार से योगी होते हैं, जो सच छिपाए वो कभी योगी नहीं हो सकता, मिल्कीपुर में बोले अखिलेश     |     ‘पिता के शव के 2 टुकड़े करो, एक तुम जलाओ और एक मैं’… अंतिम संस्कार के लिए 2 बेटों में लड़ाई     |     अभिषेक शर्मा का वो फैसला जिसने बदल डाली उनकी जिंदगी, बन चुके हैं खौफ का दूसरा नाम     |     Kissing Scene के बाद भारी कीमत चुकाते हैं इमरान हाशमी, पत्नी करती हैं पिटाईं, वसूलती हैं लाखों     |