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Kissing Scene के बाद भारी कीमत चुकाते हैं इमरान हाशमी, पत्नी करती हैं पिटाईं, वसूलती हैं लाखों

इमरान हाशमी फिल्म इंडस्ट्री के अकेले ऐसे स्टार हैं, जिनको सीरियल किसर का टैग मिल चुका है. उनके पहले ऐसा टैग किसी को नहीं मिला है. शुरूआती दिनों में तो एक्टर की हर फिल्म में किसिंग सीन होते जरूर थे और लोगों का मानना है कि जिस फिल्म में उनके किसिंग सीन होते थे वो हिट होती थी. आप सोच रहे होंगे कि हम अचानक से इमरान हाशमी और उनके किसिंग सीन की बात क्यों करने लगे हैं. दरअसल आज हम आपके लिए जो किस्सा लेकर आए हैं, वो इसी पर बेस्ड है. चलिए इसके बारे में जानते हैं.

इमरान ने फिल्म ‘मर्डर’ में मल्लिका शेरावत के साथ किसिंग सीन देकर सनसनी मचा दी थी. वो अपने बेहतरीन गानों और रोमांटिक सीन्स के लिए भी मशहूर हैं. एक्टर अभी तक अपनी कई को-स्टार्स को स्क्रीन पर किस कर चुके हैं. हालांकि इसके लिए उनको भारी कीमत चुकानी पड़ती है. हर किसिंग सीन के बाद इमरान हाशमी को पत्नी की मार खानी पड़ती है और वो महंगे गिफ्ट भी लेती हैं.

किसिंग सीन देख पत्नी पीटती थीं

जब इमरान हाशमी की किताब ‘द किस ऑफ लाइफ’ की लॉन्चिंग थी, उस वक्त एक्टर से एक सवाल पूछा गया था. उनसे पूछा गया था कि जब वो फिल्मों में किसिंग सीन देते हैं, तो उनकी पत्नी का क्या रिएक्शन होता है. इसके जवाब में एक्टर ने बताया था कि उनकी पत्नी किसिंग सीन से बहुत जलती हैं. एक्टर ने कहा था कि “शुरुआत में तो वो जब मेरा कोई ऐसा सीन देखती थीं तो मुझे बैग से बहुत मारती थीं. हालांकि जब बाद में उनको चीजें समझ में आने लगीं तो वो बैग से नहीं हाथों से मारने लगी थीं.” इमरान ने ये भी बताया था कि हर किसिंग सीन के बाद उनको एक कीमत चुकानी पड़ती है.

किसिंग सीन के बदले में पत्नी को ये गिफ्ट देते हैं इमरान

इमरान ने बताया था, “मुझे हर किसिंग सीन या बोल्ड सीन के बदले में अपनी बीवी को महंगा बैग गिफ्ट करना होता है. उसकी अलमारी बैग से भरी पड़ी है. कुछ लोगों का मानना है कि मेरी हर वो फिल्म हिट होती है, जिसमें किसिंग सीन होता है, लेकिन मेरी बीवी इससे बहुत जलती है.”

इमरान हाशमी का वर्कफ्रंट

इमरान के वर्कफ्रंट की बात करें तो पिछले साल वो सलमान खान की फिल्म ‘टाइगर 3’ में विलेन के रोल में नजर आए थे. इस किरदार में इमरान ने बेहतरीन एक्टिंग की थी. इस वक्त वो एक-दो नहीं बल्कि पांच फिल्मों में जुड़े हैं. उनके पास ‘दे कॉल हिम ओजी’, ‘ग्राउंड जीरो’, ‘गोदाचारी 2’, ‘शूटआउट एट बायकुला’, ‘कैप्टन नवाब’ जैसी फिल्में हैं.

सिंगरौली में पंचायतों में कराए गए निर्माण कार्यों से सूचना पटल नदारद,ग्रामीणों को नहीं मिल पाती निर्माण कार्यों की जानकारी     |     सड़क के अभाव में नहीं आई एम्बुलेंस, दर्द से कराहती गर्भवती को परिजन इस तरह लेकर पहुंचे अस्पताल     |     पिकनिक मनाने गई छात्रा 500 फीट गहरी खाई में गिरी, हुई मौत     |     उमरिया में दर्दनाक हादसा, अनियंत्रित बाइक हैंडपंप से टकराई,युवक की मौत     |     ग्वालियर में गोली मारकर एक युवक की हत्या, फैली सनसनी     |     शहडोल से निवास जा रही बिना नंबर की पिकअप पलटी, एक की मौत     |     दिल्ली – मुंबई एक्सप्रेस – वे के मानपुरा पर हादसा, महाकुंभ से लौटते समय इनोवा पलटी, मासूम की मौत     |     खंडवा के खेड़ी गांव में फूटी नर्मदा पाइपलाइन, दो दिन के लिए पेयजल सप्लाई प्रभावित     |     सुल्तानपुर के बेखौफ कॉलोनाइजर: कॉलोनी काटने नियम, कानूनों को रखा ताक पर,धड़ल्ले से काट रहे अवैध कॉलोनी     |     भोपाल। प्रारंभिक शिक्षा नई शिक्षा नीति में महत्वपूर्ण स्तंभ है, इसे देखते हुए शाजापुर कलेक्टर ऋजु बाफना द्वारा नवाचार कर शाला पूर्व शिक्षा के लिए जिले की 200 आंगनवाड़ी केन्द्रो में 6 जनवरी 2025 से पायलेट प्रोजेक्ट शुरू कराया गया है। नवाचार का उद्देश्य बच्चों के मस्तिष्क में प्रारंभिक विकास को गति देना है, जिससे वे स्कूल में प्रवेश से पहले ही एक ठोस शैक्षणिक आधार प्राप्त कर सके। नवाचार की सफलता पर कलेक्टर बाफना ने 1 अप्रैल 2025 से जिले की सभी 1054 आंगनवाड़ी केन्द्रो में शाला पूर्व शिक्षा देने के लिए अगला कदम उठाया है। थीम आधारित शिक्षा शाला पूर्व शिक्षा के लिए आंगनवाड़ी केन्द्रो की कार्यकर्ताओं, सहायिकाओं तथा क्षेत्रीय पर्यवेक्षको को एक दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया, जिसमें राज्य शिक्षा केन्द्र से प्राप्त हुई शाला पूर्व शिक्षा मार्गदर्शिका के आधार पर बच्चों को शिक्षा की ओर ले जाने के लिए प्रशि‍क्षित किया गया। प्रशिक्षण में अलग-अलग थीम पर 30 दिवस की कार्ययोजना दी गई, जिमसें बच्चों को मेरा परिवार, सब्जियां, फल, पेड़ पौधे और फूल, हवा, पानी, जानवर, समुदाय और कामगार, वाहन, मौसम और समय पर आधारित शिक्षा प्रदान की जा रही है। शाला पूर्व शिक्षा से बच्चे शैक्षणिक क्षमता लेकर विद्यालयों में प्रवेश लेंगे इससे उन्हें शिक्षा ग्रहण करने में दिक्कतों का सामना नहीं करना पडे़गा। थीम आधारित शिक्षा का उददेश्य बच्चों को समझने व सोंचने की क्षमता को विकसित करना है, जिससे वे विद्यालय में आसानी से शिक्षा ग्रहण कर सके। इसके लिए बच्चों को थीम डोमेन आधारित पाठ्यक्रम, वर्कबुक, प्री-स्कूल किट आदि भी दी गई है। नवाचार के क्रियान्वयन में जनभागीदारी जिले की 200 आंगनवाड़ी केन्द्रो में प्रारंभ की गई शाला पूर्व शिक्षा के क्रियान्वयन में स्थानीय जन सहयोग से खेल सामग्री एवं स्थानीय उपलब्ध संसाधनों जैसे कि सब्जियां, फल, मिट्टी के खिलौने आदि सामग्रियां भी प्राप्त हो रही है। मॉनिटरिंग एवं प्रभावी क्रियान्वयवन नवाचार के प्रभावी क्रियान्वयन एवं निगरानी के लिए वाट्सएप्प पर ग्रुप बनाया गया है, जिसपर प्रतिदिन की गतिविधियां आंगनवाड़ी केन्द्रो द्वारा साझा की जाती है। किसी भी तरह की कमी पाए जाने पर तुरंत सुधार के निर्देश दिए जाते है। इसका अवलोकन स्वयं कलेक्टर एवं नोडल अधिकारी द्वारा की जाती है। आंगनवाड़ी केन्द्रो के पर्यवेक्षण के लिए सीडीपीओ एवं पर्यवेक्षको को सप्ताह में तीन दिन मंगलवार, गुरूवार एवं शुक्रवार को दो-दो आंगनवाड़ी केन्द्रो का निरीक्षण करने के निर्देश दिए गए है। मॉनिटरिंग के लिए गूगल फार्म भी तैयार किया गया है, जिसमें विस्तृत प्रश्नों के जवाब देना होता है। साथ ही एक घण्टे के अंतराल से जीपीएस कैमरे से खींची गई दो फोटो भी संलग्न करना होती है। बच्चों की प्रोगेस से संबंधित प्रविष्ठियां दर्ज करने के निर्देश दिये गये है। इस प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन से आंगनवाड़ी केन्द्र समय पर खुल रहे हैं। बच्चों की उपस्थिति बढ़ रही है। अभिभावक अपने बच्चों को समय पर आंगनवाड़ी केन्द्रों में भेज रहे है। आंनगवाड़ी केन्द्रो में बच्चों को समय पर नाश्ता, भोजन आदि भी प्रदान किया जा रहा है। कलेक्टर  की इस अभिनव पहल से जिले के बच्चों के शैक्षणिक विकास में गुणवत्तापूर्ण सुधार देखने को मिल रहा है, जिससे बच्चों के भविष्य की शिक्षा की नीव मजबूत होगी। पायलेट प्रोजेक्ट के सफल क्रियान्वयन के उपरांत यह पूरे जिले की 1054 आंगनवाड़ी केन्द्रों में 01 अप्रैल 2025 से लागू किया जाएगा, जिससे बच्चों के संपूर्ण शैक्षिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।     |