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3 हाई-प्रोफाइल कार्यक्रमों से नदारद रहे एकनाथ शिंदे, क्या महायुति में पड़ गई है दरार?

महाराष्ट्र के भाजपा नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन के भीतर दरार बढ़ने की अटकलें तेज हो गई है, क्योंकि उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे हाल में तीन हाई-प्रोफाइल सरकारी कार्यक्रमों से अनुपस्थित रहे हैं. छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा के उद्घाटन, मराठा राजा की जयंती समारोह और थीम पार्क के उद्घाटन से शिंदे नदारद रहे. इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी शामिल हुए थे. इससे सत्तारूढ़ गठबंधन के भीतर शीत युद्ध की चल रही अफवाहों को हवा मिली है.

महायुति गठबंधन, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी शामिल हैं. इस गठबंधन ने नवंबर 2024 के राज्य चुनावों में जीत हासिल की थी और सरकार का गठन किया है.

​​हालांकि, यह मजबूत दिखने वाला गठबंधन में अपने गठन के बाद से ही लगातार असंतोष उभर रहा है. गठबंधन में शिवसेना गुट का नेतृत्व करने के बावजूद शिंदे को मुख्यमंत्री पद से बाहर रखा जाना और उसके बाद राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण में उनकी नियुक्ति ने शुरुआती तनाव का संकेत दिया.

शिंदे का भाजपा के साथ क्या बढ़ा है तनाव?

हाल की कई घटनाओं ने इन तनावों को और बढ़ा दिया है. कई विधायकों से वाई श्रेणी की सुरक्षा वापस लिए जाने से, जिसका असर शिंदे के शिवसेना गुट पर पड़ रहा है और इससे अटकलों को और हवा मिल गई है, जबकि सरकार का दावा है कि यह कदम सुरक्षा आकलन के आधार पर उठाया गया है, शिंदे की पार्टी के प्रभावित विधायकों की बड़ी संख्या ने नाराजगी को जन्म दिया है.

गठबंधन के भीतर मतभेद सुरक्षा चिंताओं से परे भी है. लड़की बहन योजना की शुरुआत, जिसे गठबंधन की चुनावी सफलता का श्रेय दिया जाता है, उस समय टकराव का कारण बन गई, जब शिंदे की पार्टी ने एनसीपी की प्रचार सामग्री से मुख्यमंत्री शब्द को हटाने पर आपत्ति जताई थी.

बढ़ते तनाव ने अटकलों को दी हवा

इसी तरह, नासिक और रायगढ़ में संरक्षक मंत्रियों की नियुक्ति ने और असहमति को जन्म दिया. फडणवीस की अध्यक्षता में 2027 के नासिक कुंभ मेले की समीक्षा बैठक से शिंदे की अनुपस्थिति बढ़ती हुई खाई को और उजागर किया है.

इन बढ़ते तनावों के बावजूद, वरिष्ठ भाजपा नेता आशीष शेलार ने दरार को कम करके आंका और जोर देकर कहा कि सरकार सौहार्दपूर्ण तरीके से काम कर रही है. शिंदे ने खुद भी इस भावना को दोहराया और किसी भी “शीत युद्ध” से इनकार किया. हालांकि, इन महत्वपूर्ण घटनाओं से शिंदे की अनुपस्थिति और गठबंधन के भीतर लगातार मतभेदों ने गठबंधन की एकता और प्रभावी ढंग से शासन करने की इसकी क्षमता पर संदेह पैदा कर रहा है.

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