ताइवान ने हाल ही में अपने पहले स्वदेशी मानव रहित हमलावर नौसैनिक ड्रोन (USV) का अनावरण किया है, जो उसकी समुद्री सुरक्षा रणनीति में बड़ा बदलाव ला सकता है. इस ड्रोन बोट का विकास यूक्रेन की ड्रोन वॉरफेयर रणनीति से प्रेरित होकर किया गया है. ताइवान का यह कदम चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियों के खिलाफ उसकी असामान्य युद्ध रणनीति का हिस्सा है. हालांकि, कुछ विशेषज्ञों ने इस नए सैन्य उपकरण की लागत और प्रभावशीलता को लेकर चिंता जताई है.
यह मानव रहित नौसैनिक ड्रोन एंडेवर मंटा USV 8.6 मीटर लंबा और 3.7 मीटर चौड़ा है. इसका वजन 5 टन से अधिक है और यह 65 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकता है. दो इंजन से चलने वाला यह बोट फाइबर-रिइंफोर्स्ड प्लास्टिक से बना है, जिससे यह हल्का और टिकाऊ बना रहता है. इसमें 4G, रेडियो और सैटेलाइट कम्युनिकेशन जैसी अत्याधुनिक संचार प्रणालियां लगाई गई हैं. इसके अलावा, यह ऑटोनॉमस नेविगेशन सिस्टम से लैस है, जिससे दुश्मन के इलेक्ट्रॉनिक जामिंग के बावजूद यह अपने बेस पर लौट सकता है.
ताइवान के लिए क्यों है अहम?
इस नए ड्रोन बोट को चीन की बढ़ती समुद्री शक्ति के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है. ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि 2026 तक इन ड्रोन बोट्स का बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जाएगा. इनमें उच्च-विस्फोटक वारहेड और हल्के टॉरपीडो लगाने की क्षमता होगी, जिससे ये दुश्मन के जहाजों से टकराकर जबरदस्त तबाही मचा सकते हैं. इसकी ट्रिमारन हुल डिजाइन इसे समुद्र की तेज लहरों में भी स्थिर बनाए रखती है.
क्या है चीन की प्रतिक्रिया?
चीन ताइवान को अपने हिस्से के रूप में देखता है और उसे किसी भी हाल में अपने नियंत्रण में लेना चाहता है. बीजिंग ने इस नई तकनीक पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि ताइवान की यह सैन्य तैयारी चीन के लिए चिंता का विषय बन सकती है. हाल के महीनों में चीन ने ताइवान के समुद्री क्षेत्र में सैन्य गतिविधियां बढ़ाई हैं, जिससे तनाव और बढ़ गया है.
अमेरिका और ताइवान का सैन्य सहयोग
अमेरिका ताइवान को सैन्य समर्थन देने के लिए प्रतिबद्ध है. वाशिंगटन ताइवान को आधुनिक हथियार और सैन्य तकनीक उपलब्ध कराता रहा है, जिससे ताइवान अपनी रक्षा को मजबूत बना सके. ताइवान की रणनीति अब लेयर्ड डिफेंस की ओर बढ़ रही है, जिसमें ड्रोन बोट्स, एरियल ड्रोन और मिसाइल सिस्टम मिलकर दुश्मन के समुद्री हमले को रोकने का काम करेंगे.
भविष्य की संभावनाएं
विशेषज्ञों का कहना है कि ताइवान को अपने मानव रहित नौसैनिक ड्रोन का उत्पादन बड़े पैमाने पर करने के लिए आर्थिक और तकनीकी चुनौतियों का सामना करना होगा. हालांकि, ये ड्रोन बोट्स पारंपरिक युद्धपोतों की तुलना में सस्ते होंगे, लेकिन इन्हें मजबूत समुद्री हालात में टिकाऊ बनाने के लिए और परीक्षण की जरूरत है. ताइवान का लक्ष्य इनका लागत प्रभावी उत्पादन सुनिश्चित करना है, ताकि यह चीन की सैन्य शक्ति के सामने प्रभावी ढंग से खड़ा हो सके.