ब्रेकिंग
राष्ट्रपति ने दी मंजूरी: जस्टिस सूर्यकांत देश के अगले मुख्य न्यायाधीश नियुक्त, 24 नवंबर को शपथ ग्रहण... दिल्ली दंगा: सत्ता परिवर्तन की 'खूनी साज़िश'! पुलिस के खुलासे ने राजनीतिक गलियारों में मचाया हड़कंप संजय सिंह ने BJP को घेरा: 'छठ पूजा में रुकावट डालने वालों का झूठ अब बेनकाब, छठी मैया से माफ़ी माँगे भ... बिहार चुनाव हुआ खूनी! मोकामा में जन सुराज पार्टी के समर्थक की गोली मारकर हत्या, चुनावी हिंसा भड़काने... फैन्स की धड़कनें तेज! भारत-ऑस्ट्रेलिया सेमीफाइनल पर संकट के बादल, क्या 'रिजर्व डे' ही बचाएगा महामुका... रणवीर सिंह को सीधी चुनौती! ‘धुरंधर’ से भिड़ने वाले साउथ सुपरस्टार ने चला बड़ा दाँव, क्या बॉलीवुड एक्टर... साजिश का सनसनीखेज खुलासा! अलीगढ़ में मंदिरों पर 'I love Mohammad' लिखने वाले निकले हिंदू युवक, 4 गिर... मुंबई में घंटों चला हाई वोल्टेज ड्रामा: RA स्टूडियो में बच्चों को बंधक बनाने वाले सनकी आरोपी का पुलि... TikTok विवाद सुलझाने की अंतिम कोशिश? बैन हटाने के लिए चीन ने तैयार किया 'बड़ा प्रस्ताव', जल्द हो सकती... जीवन में चाहिए अपार सफलता? आज से ही ब्रह्म मुहूर्त में उठना शुरू करें, जानिए 3 काम जो आपकी किस्मत बद...
देश

दुष्कर्म पीड़िता के बच्चे को गोद लेने के बाद उसका DNA टेस्ट कराना उचित नहीं

बंबई उच्च न्यायालय ने अपने एक फैसले में कहा कि गोद दिए जाने के पश्चात दुष्कर्म पीड़िता के बच्चे की डीएनए जांच कराना बच्चे के हित में नहीं होगा। न्यायमूर्ति जी ए सनाप की एकल पीठ ने 17 वर्षीय लड़की के साथ दुष्कर्म के आरोपी को दस नवंबर को जमानत दे दी थी। लड़की दुष्कर्म के बाद गर्भवती हो गई थी। लड़की ने बच्चे को जन्म दिया और उसे गोद देने की इच्छा जताई। पीठ ने प्रारंभ में पुलिस से जानना चाहा कि क्या उसने पीड़िता से जन्मे बच्चे की डीएनए जांच कराई है।

इस पर पुलिस ने अदालत को सूचित किया कि लड़की ने बच्चे को जन्म देने के बाद उसे गोद देने की इच्छा जताई। पुलिस ने बताया कि बच्चे को गोद लिया जा चुका है और संबंधित संस्थान गोद लेने वाले माता-पिता की पहचान उजागर नहीं कर रहा है। उच्च न्यायालय ने अपनी टिप्पणी में कहा कि यह तर्कसंगत है। उच्च न्यायालय ने कहा,‘‘ यह कहना उचित है कि चूंकि बच्चे को गोद दिया जा चुका है ऐसी तथ्यात्मक स्थिति में बच्चे की डीएनए जांच उसके (बच्चे के) हित में और बच्चे के भविष्य के लिए ठीक नहीं होगी।”

आरोपी ने अपनी जमानत याचिका में दावा किया था कि वैसे तो पीड़िता की उम्र 17 वर्ष है और उनके बीच संबंध सहमति से बने थे। पुलिस में दर्ज शिकायत के अनुसार आरोपी ने लड़की के साथ जबरदस्ती संबंध बनाए थे,जिससे वह गर्भवती हो गई थी। आरोपी को 2020 में ओशीवारा पुलिस ने दुष्कर्म और यौन उत्पीड़न के आरोप में भारतीय दंड संहिता और यौन अपराधों से बच्चों को संरक्षण (पोस्को) अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया था। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि वह इस स्तर पर आरोपी की इस दलील को स्वीकार नहीं कर सकता कि पीड़िता ने संबंध के लिए सहमति दी थी, लेकिन चूंकि आरोपी 2020 में गिरफ्तारी के बाद से जेल में है इसलिए जमानत दी जानी चाहिए। उच्च न्यायालय ने कहा कि यद्यपि आरोपपत्र दाखिल किया गया लेकिन विशेष अदालत ने आरोप तय नहीं किए हैं।

Related Articles

Back to top button