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गाजा युद्ध अब भी लगा रहा क्रूड में आग, क्या चुनाव के बाद महंगा होने वाला है पेट्रोल-डीजल?

इजराइल और हमास के बीच गाज़ा पट्टी में जारी युद्ध ने पूरे पश्चिमी एशिया की राजनैतिक व्यवस्था को अस्त-व्यस्त कर दिया है. ऐसे में कच्चे तेल की कीमतें रोज नए रिकॉर्ड बना रही हैं. फिलहाल क्रूड ऑयल की कीमतें अपने हाई लेवल से थोड़ी नीचे आई हैं, लेकिन ये अभी भी 5 महीने के उच्च स्तर पर ही हैं. इसी के साथ ओपेक देशों के प्रमुख घटक ईरान के सप्लाई घटाने का जोखिम भी बना हुआ है. ऐसे में संभव है कि आने वाले दिनों में कच्चे तेल के भाव दुनिया में कोहराम मचाएं और भारत जैसे देशों में पेट्रोल-डीजल की कीमतों को बढ़ाएं, जो कच्चे तेल के आयात पर निर्भर हैं.

मंगलवार को कच्चे तेल की कीमत स्थिर बनी रहीं. ब्रेंट क्रूड ऑयल के प्राइस में मामूली ही सही फिर भी बढ़त दर्ज की गई है. ब्रेंट क्रूड ऑयल मंगलवार को 5 सेंट्स बढ़कर 90.43 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया, जबकि वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (डब्ल्यूटीआई) कच्चे तेल का भाव 86.33 डॉलर बना हुआ है.

गिरकर यूं फिर चढ़ा कच्चा तेल

इजराइल और हमास के बीच सीजफायर के लिए काहिरा में शुरू हुई नए दौर की बातचीत के बाद सोमवार को ब्रेंट और डब्ल्यूटीआई दोनों में ही काफी अंतराल के बाद गिरावट दर्ज की गई थी. हालांकि मंगलवार को ब्रेंट में आए मामूली उछाल ने मार्केट की उम्मीदों को तोड़ दिया.

रॉयटर्स की खबर के मुताबिक इसकी एक वजह इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू का वो बयान भी रहा, जिसमें उन्होंने कहा कि गाजा के रफाह एनक्लेव में इजराइल के हमले की तारीख तय हो चुकी है. इसने बाजार की बची हुई उम्मीदों पर भी पानी फेर दिया.

महंगा हो जाएगा पेट्रोल डीजल?

एक्सपर्ट्स का कहना है कि पश्चिमी एशिया में अगर इसी तरह के हालात बने रहे, तो कच्चा तेल महंगा हो जाएगा और इसका असर पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर पड़ेगा. हमास को ईरान का समर्थन हासिल है, जो तेल उत्पादक देशों (ओपेक) में तीसरा सबसे बड़ा ऑयल प्रोड्यूसर देश है. ऐसे में कच्चे तेल की कीमतों में उछाल का जोखिम बना हुआ है.

इस बीच तुर्किए ने भी मंगलवार को जेट फ्यूल समेत कई अन्य पेट्रोलियम प्रोडक्ट के एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध लगा दिया. ये प्रतिबंध गाजा में सीजफायर नहीं होता. वहीं मेक्सिको की सरकारी तेल कंपनी पेमेक्स का कहना है कि वह अपना निर्यात घटाकर 3,30,000 बैरल प्रति दिन पर लाएगी. इससे अमेरिकी, यूरोपीय और एशियाई देशों को कंपनी से होने वाली सप्लाई एक तिहाई तक घटेगी. इस तरह मार्केट में कच्चे तेल की कीमतें और बढ़ने की उम्मीद है.

भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा क्रूड इंपोर्टर है. अपनी जरूरत का 85 प्रतिशत क्रूड ऑयल भारत आयात ही करता है. इस तरह लगातार कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने से देश में जल्द ही पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है. संभव है कि चुनाव खत्म होने के बाद ही ये बढ़ोतरी हो जाए.

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