ब्रेकिंग
AIMIM का बिहार में बढ़ता दखल! विधानसभा चुनाव के लिए जारी की एक और लिस्ट, अब तक उतारे गए इतने उम्मीदव... मोहन भागवत का बड़ा बयान: 'दुनिया विनाश की तरफ जा रही है', बोले- 'मगर समाधान का रास्ता सिर्फ हमारे पा... कर्तव्य पथ पर दिखा अलौकिक दृश्य! दीपों की रोशनी से जगमग हुआ पूरा इलाका, CM रेखा गुप्ता बोलीं- 'यह आस... JNU में छात्रों पर लाठीचार्ज? प्रदर्शन के बाद अध्यक्ष समेत 6 छात्रों के खिलाफ FIR, लगे हाथापाई और अभ... लापरवाही की हद! नसबंदी कराने आई 4 बच्चों की मां को डॉक्टर ने लगाया इंजेक्शन, कुछ ही देर में हो गई मौ... निकाह के 48 घंटे बाद ही मौत का रहस्य! सऊदी से लौटे युवक की लटकी लाश मिली, परिजनों का सीधा आरोप- 'यह ... साध्वी प्रज्ञा के विवादित बोल: लव जिहाद पर भड़कीं, बोलीं- 'बेटी को समझाओ, न माने तो टांगें तोड़कर घर... दिवाली पर किसानों की हुई 'धनवर्षा'! CM मोहन यादव ने बटन दबाकर ट्रांसफर किए ₹265 करोड़ रुपये, बंपर सौ... नॉनवेज बिरयानी पर खून-खराबा! ऑर्डर में गलती होने पर रेस्टोरेंट मालिक को मारी गोली, मौके पर मौत से हड... विवादित बोल पर पलटे गिरिराज सिंह? 'नमक हराम' बयान पर सफाई में बोले- 'जो सरकार का उपकार नहीं मानते, म...
मध्यप्रदेश

सरगुजा संभाग में पीईकेबी के प्रतिपूरक वनरोपण के अंतर्गत भारतीय वन विभाग ने 50 लाख से ज्यादा पेड़ लगाए

रायपुर। छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य में पर्यावरण क्षरण के संबंध में लोकसभा प्रश्न के उत्तर में प्रधान मुख्य वन संरक्षक कार्यालय ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में वन महानिरीक्षक (वन्यजीव प्रभाग) को एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की है। जिसमें साल 2023 तक, परसा ईस्ट के बासेन कोयला खदान में खनन के लिए प्रतिपूरक उपायों के रूप में, वनीकरण, खदान सुधार और स्थानांतरण प्रयासों के लिए कुल 53,40,586 पेड़ लगाए गए हैं। इन नए लगाए गए पेड़ों में से लगभग 40,97,395 जीवित पेड़ हैं। वहीं खनन के लिए 94,460 पेड़ों का विदोहन किया गया है।

आम आदमी पार्टी के पंजाब के सांसद संदीप कुमार पाठक द्वारा उठाए गए प्रश्न में हसदेव अरण्य में पर्यावरणीय प्रभाव के कई पहलुओं पर जानकारी मांगी गई थी। जिसके जवाब में भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा लिखित में जवाब प्रस्तुत किया। जिसमें बताया गया कि हसदेव अरण्य कोयला क्षेत्रों पर अलग से कोई अध्ययन नहीं किया है। हालांकि, राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ एंड सीसी) के निर्देशों के बाद, भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद (आईसीएफआरई) ने भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) के साथ मिलकर जैव विविधता मूल्यांकन अध्ययन किया और सरकार को रिपोर्ट सौंपी गई। इस रिपोर्ट में खनन गतिविधियों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की सिफारिश नहीं की गई है।

वहीं इस क्षेत्र में चल रही खनन गतिविधियों को सुविधाजनक बनाने के लिए आने वाले कई वर्षों में अनुमानित 2,73,757 पेड़ों का विदोहन किये जाने की उम्मीद है। इस जानकारी का उद्देश्य पर्यावरण संबंधी चिंताओं तथा हसदेव अरण्य में शमन और पुनरुद्धार की दिशा में उठाए गए कदमों पर प्रकाश डालना है।

उल्लेखनीय है कि राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम (आरआरवीयूएनएल) अपने बिजली उत्पादन संयंत्रों की कोयले की मांगों को पूरा करने के लिए छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में तीन उपयुक्त कोयला खदानों का मालिक है। आरआरवीयूएनएल पहले से ही परसा ईस्ट कांता बासन ब्लॉक का संचालन कर रहा है और औद्योगीकरण और नौकरियों से वंचित इस जिले में करीब 10,000 प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा किए हैं। राजस्थान सरकार का निगम छत्तीसगढ़ सरकार को 1,000 करोड़ रुपये से अधिक के कर, रॉयल्टी और अन्य शुल्क भी देता है। आरआरवीयूएनएल द्वारा अपने दो अन्य परसा और केते एक्सटेंशन ब्लॉकों का संचालन शुरू करने के बाद यह संख्या दोगुनी होने की संभावना है। लगातार चार वर्षों से कोयला मंत्रालय से पांच सितारा रेटिंग के साथ, पीईकेबी ब्लॉक न केवल छत्तीसगढ़ में बल्कि भारत में एक मॉडल खदान के रूप में उभरा है। अंग्रेजी माध्यम सीबीएसई स्कूल, अदाणी विद्या मंदिर ने भी एक अनूठा मॉडल विकसित किया है, जहां छात्रों की माताएं 1,000 से अधिक छात्रों के लिए नाश्ता और दोपहर का भोजन बनाती हैं और उन्हें मुफ्त शिक्षा, परिवहन, स्टेशनरी, यूनिफॉर्म और कई अन्य सुविधाएं प्रदान करती हैं।

Related Articles

Back to top button